झांसी

Jhansi Medical College Fire Accident: बच्चों को बचाने वाले शख्स का बड़ा दावा, एक बेड पर थे 6 बच्चे, वार्ड में थे 70 बच्चे 

उत्तर प्रदेश के झांसी से दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहां महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू में भीषण आग लग गई, जिसके कारण 10 बच्चों की मौत हो गई। अब इन सबके बीच एक शख्स ने बड़ा दावा किया है।

झांसीNov 16, 2024 / 03:30 pm

Swati Tiwari

Jhansi Medical College Fire Accident: उत्तर प्रदेश के झांसी के महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज के NICU में आग लगने से 10 बच्चे मर गए। इसमें 16 से ज्यादा बच्चे घायल हैं , जिनकी स्थिति गंभीर बनी हुई है। इन सबके बीच बच्चों को बचाने वाले कृपाल सिंह राजपूत ने एक मीडिया चैनल से बात करते हुए दावा किया है कि उन्होंने 25 से ज्यादा बच्चों की जान बचाई है। साथ ही उनका कहना है कि एक बेड पर 6 बच्चे लेटे हुए थे, इसके अलावा वार्ड में 70 से ज्यादा बच्चे थे। 

शख्स ने किया बड़ा दावा 

एक मीडिया चैनल से बात करते हुए बच्चों की जान बचाने वाले कृपाल ने कहा, ‘एक नर्स के शरीर में आग लग गई थी। उसका पैर झुलस गया है। नर्स चीखती-चिल्लाती भागी। इसके बाद मैं बच्चों को बचाने के लिए दौड़ा। मुझे लगा कि अब बच्चों के शरीर में आग लगने वाली है। उस समय अस्पताल के स्टाफ बाहर थे। मैंने देखा कि एक बेड पर 6-6 बच्चे थे। करीब 70 बच्चे रहे होंगे। मैंने खुद 20-25 बच्चों को बचाया। जहां ज्यादा आग लगी थी वहां जाना मुश्किल था। उस जगह को छोड़कर बाकी जगह से बच्चों को निकाला। जिसका बच्चा था उसे सौंप दिया। कम से कम 10-15 बच्चे जल गए। बहुत भीषण आग लग गई थी। बच्चों को जैसे-तैसे निकला।’
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बच्चों की मौत का जिम्मेदार कौन? 

आग लगने के बाद भी सुरक्षा अलार्म नहीं बजा जिसके कारण कई बच्चों को नहीं बचाया जा सका। इसके अलावा ये भी कहा जा रहा है कि अग्निशमन सिलेंडरों पर भरने की तारीख 2019 और एक्सपायरी 2020 दर्ज की गई थी। दस मासूम बच्चों की मौत और परिजनों की चीखों के बीच ये सवाल और अहम हो गया है कि आखिर इतने बड़े खर्च पर स्थापित अस्पताल के वार्ड में आग कैसे लग गई। अब ये सरकारी अस्पतालों की लापरवाही है या कुछ और ये जांच के बाद ही पता चल पाएगा।

क्या कहना है अस्पताल प्रशासन का?

मेडिकल कॉलेज में कुल 146 फायर डिस्टिंगशर सिस्टम लगे हुए हैं। हादसे के समय नीकू वार्ड के फायर डिस्टिंगशर का उपयोग भी किया गया था। इन सभी उपकरणों को समय-समय पर ऑडिट भी किया जाता है। इस दौरान कमियों को दूर किया जाता है। फरवरी में इन सभी का ऑडिट किया गया था जबकि जून में मॉक ड्रिल की गयी थी। मेडिकल कॉलेज में फायर डिस्टिंगशर के खराब होने की बात पूरी तरह से निराधार है। वार्ड में शार्ट सर्किट से आग लगी थी। हादसे की जांच की जा रही है।
डॉ. नरेंद्र सिंह सेंगर, प्राचार्य, झांसी रानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज

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