सरकारी योजनाओं का कोई फायदा नहीं?
पीएम मातृत्व वंदन योजना, जननी सुरक्षा योजना, जननी-शिशु सुरक्षा योजना जैसी अनेक योजनाएं गर्भवती महिलाओं के लिए संचालित की जा रही हैं। इन योजनाओं के तहत महिलाओं का पंजीकरण करवाया जाता है, नियमित जांच और दवाएं मुहैया करवाई जाती हैं, और अल्ट्रासाउंड भी कराया जाता है। गांव-गांव आशा कार्यकर्ता और एएनएम तैनात हैं जो महिलाओं का स्वास्थ्य ध्यान रखती हैं। लेकिन इन सबके बावजूद, स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2023-24 में 32 गर्भवती महिलाओं की मौत हो चुकी है। वहीं, 1 जुलाई से अब तक 18 गर्भवती महिलाओं ने अपनी जान गंवाई है।
मैटरनल डेथ रिव्यू कमेटी करेगी मौतों की जांच
इन मौतों के कारणों का पता लगाने के लिए, मंगलवार को सीएमओ डॉ. सुधाकर पांडेय की अध्यक्षता में मैटरनल डेथ रिव्यू कमेटी की बैठक आयोजित की जाएगी। बैठक में पांच गर्भवती महिलाओं की मौतों की गहन समीक्षा की जाएगी। इस बैठक में संबंधित गांवों की आशा कार्यकर्ता और एएनएम, शहर के एक नर्सिंग होम के डॉक्टर, मेडिकल कॉलेज के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभागाध्यक्ष डॉ. दिव्या जैन, आरसीआरआई के डॉ. एनके जैन, सभी सीएचसी के मेडिकल अधीक्षक, और डॉ. विजयश्री शुक्ला समेत अन्य लोग शामिल होंगे।