इससे भी बड़ी बात यह है कि परिवार में दूसरा कोई भी सदस्य पढ़ा लिखा व नौकरी में नहीं होने से तीनों भाई-बहनों को मार्गदर्शन देने वाला भी नहीं है। इसके बावजूद पिछले तीन सालों में तीनों भाई बहन ने डॉक्टर बनने का सपना साकार कर दिया। यह सिलसिला पिछले 3 वर्षो से लगातार चल रहा है।
2022 में बहन अंजली नागर, 2023 में छोटे भाई अविनाश नागर तथा 2024 में बड़े भाई अजय नागर ने भी नीट परीक्षा अच्छे अंकों से पास कर एमबीबीएस में दाखिले की राह आसान कर ली है। तीन सालों में तीनों भाई बहनों का टेलेंट देख व डॉक्टर बनने का सपना पूरा होने पर गांव व परिवार के लोग भी दंग है।
यह भी पढ़ें
राजस्थान की बेटियों के लिए गुड न्यूज, इन 35 जिलों में भजनलाल सरकार देगी ये सुविधा शुरू से होनहार थे तीनोंचलेट गांव निवासी छात्रा अंजलि नागर ने 10वीं क्लास में 95 प्रतिशत, 12 वीं में 82 प्रतिशत, जबकि भाई अविनाश नागर के 10वीं में 85 व 12वीं में 92 प्रतिषत व दूसरे भाई अजय नागर ने 10 वीं बोर्ड में 82 व बारहवी बोर्ड में 72 प्रतिशत अंक प्राप्त किए है।
ऐसे हुआ नीट में चयन
अंजलि नागर ने 2022 में नीट परीक्षा में 584 अंक प्राप्त किए। उसका जामनगर गुजरात की सरकारी यूनिवर्सिटी में आयुर्वेद में चयन हुआ। 2023 में भाई अविनाश नागर ने नीट परीक्षा में 660 अंक प्राप्त कर झारखंड के देवघर एस संस्थान में दाखिला लिया। अब 2024 में बडे भाई अजय नागर ने भी नीट परीक्षा में में 661 अंक प्राप्त कर ओबीसी वर्ग में ऑल इण्डिया में 9203वीं रैंक हासिल की है।
अंजलि नागर ने 2022 में नीट परीक्षा में 584 अंक प्राप्त किए। उसका जामनगर गुजरात की सरकारी यूनिवर्सिटी में आयुर्वेद में चयन हुआ। 2023 में भाई अविनाश नागर ने नीट परीक्षा में 660 अंक प्राप्त कर झारखंड के देवघर एस संस्थान में दाखिला लिया। अब 2024 में बडे भाई अजय नागर ने भी नीट परीक्षा में में 661 अंक प्राप्त कर ओबीसी वर्ग में ऑल इण्डिया में 9203वीं रैंक हासिल की है।
यह भी पढ़ें
नीट में 23 लाख परीक्षार्थियों को पछाड़ कर टॉपर बना श्रीगंगानगर का आदर्श, फुल मार्क्स लाकर सबको चौंकाया, जानें सफलता की कहानी घर में सुख-सुविधाओं के संसाधन तक नहीं, कमरों में टीनशेडचलेट गांव में एक छोटे से घर में तीनों भाई-बहनों के लिए घर में सुख सुविधाओं के संसाधन तक नहीं है। घर में दो कमरे बने हुए है जिनमें छत व प्लास्टर तक नहीं है। दोनों कमरों पर टीनशेड होने के साथ ही एक कमरे में पशुओं के लिए भूसा भरा हुआ है जबकि दूसरे बचे कमरे में परिवार के सभी 5 सदस्यों को एक साथ भी रहना पड़ता है। लहसुन भरने के लिए घर में एक बरामदा बना हुआ है। मां 2005 से ही तीनों पुत्र पुत्रियों के साथ कोटा में किराए का कमरा लेकर रह रही है। मां ही उनके लिए खाना बनाने से लेकर सभी काम करती थी। अब तीनों का चयन हो गया तो वह गांव में रहने आ गई है।
पिता कर रहे खेती बाड़ी का काम
चलेट निवासी पिता राजेन्द्र नागर पिछले 20 साल से गांव की पुश्तैनी जमीन में कड़ी मेहनत से खेती बाड़ी का काम कर अपने बेटे बेटियों को पढ़ा रहे हैं। पिछले कुछ वर्षो से लहसुन के भाव अच्छे होने से उन्हें कोटा के अच्छे शिक्षण संस्थानों में पढ़ाया गया। खेती बाड़ी के अलावा परिवार में आय का दूसरा कोई स्रोत नहीं है। पिता राजेन्द्र नागर ने बताया कि बच्चों को पढ़ा लिखाकर डॉक्टर बनने का सपना देखा था जो आज सच हो रहा है। खेतों में पसीना बहाकर तीनों बच्चों का मेडिकल में चयन होने पर अब अपने आप पर गर्व महसूस हो रहा है।
चलेट निवासी पिता राजेन्द्र नागर पिछले 20 साल से गांव की पुश्तैनी जमीन में कड़ी मेहनत से खेती बाड़ी का काम कर अपने बेटे बेटियों को पढ़ा रहे हैं। पिछले कुछ वर्षो से लहसुन के भाव अच्छे होने से उन्हें कोटा के अच्छे शिक्षण संस्थानों में पढ़ाया गया। खेती बाड़ी के अलावा परिवार में आय का दूसरा कोई स्रोत नहीं है। पिता राजेन्द्र नागर ने बताया कि बच्चों को पढ़ा लिखाकर डॉक्टर बनने का सपना देखा था जो आज सच हो रहा है। खेतों में पसीना बहाकर तीनों बच्चों का मेडिकल में चयन होने पर अब अपने आप पर गर्व महसूस हो रहा है।