विश्व जल दिवस विशेष: हमारी धरती में आज कम हैं जल, हम सहेजेंगे तो ही सुरक्षित होगा कल झालावाड़.आज विश्व जल दिवस मनाया जा रहा है। इसका लक्ष्य भी यही है कि सभी को स्वच्छ एवं सुरक्षित जल की उपलब्धता हो और जल संरक्षण के महत्व पर भी ध्यान केन्द्रित रहे। भूजल को लेकर झालावाड़ […]
विश्व जल दिवस विशेष: हमारी धरती में आज कम हैं जल, हम सहेजेंगे तो ही सुरक्षित होगा कल
झालावाड़.आज विश्व जल दिवस मनाया जा रहा है। इसका लक्ष्य भी यही है कि सभी को स्वच्छ एवं सुरक्षित जल की उपलब्धता हो और जल संरक्षण के महत्व पर भी ध्यान केन्द्रित रहे। भूजल को लेकर झालावाड़ जिले की स्थिति अच्छी नहीं है। कहने का मतलब कि झालावाड़ जिले के दो ब्लॉक को छोडकऱ सभी ब्लॉक में भूजल की स्थिति खराब है। जिलेभर में लगातार जल दोहन होने से भूजल का स्तर बहुत खराब हो गया है। कुछ ब्लॉक में तो अत्यधिक भूजल का दोहन कर दिया गया है। अब वहां जल संकट को लेकर बहुत स्थितियां विकट है और आने वाले समय में क्या होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। जिले के आठ ब्लॉक में से 5 ब्लॉक अति दोहन व दो क्रिटीकल व एक ब्लॉक ही सुरक्षित की श्रेणी में है। जिले के अकलेरा व भवानीमंडी ब्लॉक क्रिटिकल, वहीं बकानी, डग, झारापाटन, खानपुर, मनोहरथाना अतिदोहन की श्रेणी में है। जबकि सुरक्षित ब्लॉक में पिड़ावा ही है। ऐसे में आने वाले समय में जल संरक्षण की दृष्टि से ये चिंता का विषय है। जिले में पर्याप्त बारिश होने व बड़ी संख्या में नदियां व बांध होने के बाद भी बारिश का पानी जमीन में नहीं जा पा रहा है। जबकि दोहन उससे कई गुणा हो रहा है। जिले में पहले हजारों बीघा जमीन असिंचित हुआ करती थी, लेकिन अब जगह-जगह बोरवेल लगाकर सिंचित कर ली गई है। उसके अनुपात में वाटर रिचार्ज नहीं हो पा रहा है। घरों में भी लाखों लीटर पानी खुले व बहते नलों से हो बर्बाद हो रहा है। इसके चलते ये हालात बन रहे हैं।
ब्लॉक प्रीमानसून पोस्टमानसून अंतर
अकलेरा 9.76 5.48 4.28
बकानी 9.8 5.33 4.47
भ.मंडी 10.85 6.45 4.4
डग 14.45 8.13 6.14
झालरापाटन 12.5 5.48 7.02
खानपुर 12.7 5.36 7.34
म.थाना 10.42 6.5 3.92
पिड़ावा 12.84 7.33 5.51
कुल 93.32 50.24 43.08
घटते भूजल व अतिदोहन के ये बड़े कारण
- सिंचाई कार्य में सबसे ज्यादा भूजल का उपयोग
-औद्योगिकीकरण व शहरीकरण -बढ़ती जनसंख्या
-बारिश की कमी
- लगातार पेड़-पौधों की कटाई
-भूजल का अंधाधुध दोहन
- बिना अनुमति के हजारों फीट तक जमीन में बोरवाल लगाए जाना।
-घरों के वाटर हॉर्वेस्टिंग सिस्टम लगाकर अपने छत के पानी से भूजल को रिचार्ज करें
- सिंचाई पद्धति को बदलना होगा, जैसे फव्वारा, ड्रिप सिंचाई प्रणाली को अपनाना होगा
-सप्लाई से जो पानी मिल रहा उसका ही उपयोग करें, बहुत ही संकट के समय ही हम नलकूप आदि का उपयोग करें
-वेस्ट पानी का उपयोग रिसाईकिल कर करना
-कम पानी की जरूरत से उगने वाली फसलों पर काम करना
-इंडस्ट्रीज में उपयोग में लिए पानी के पुनरू उपयोग के लिए रिसाइकलिंग पर फोकस करना
-कुएं, बावडिय़ां, तालाबों का जीर्णोद्वार करना, बारिश से पहले उन तक पानी पहुंचे ऐसे प्रबंध करना
जिले में पठारी एरिया ज्यादा है, बारिश का पानी बहकर निकल जाता है। यहां छोटे-छोटे एनिकट बनाने होंगे। पहाड़ी क्षेत्रों में अमृत सरोवर एकिनट जैसी संरचनाए बनाकर जल संरक्षण कर वाटर लेवल बढ़ा सकते हैं। इसके लिए हर व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से जागरूक होना होगा।
असल में आमजन को भी जल संरक्षण के अभियान में जुडऩा चाहिए। भूजल एक सीमित संसाधन है इसका उपयोग हम सोच समझकर करें। छोटी-छोटी बातों को ध्यान रखते हुए हम भूजल को बचा सकते है। वाटर हॉर्वेस्टिंग सिस्टम के जरिए भी जमीन को रिचार्ज करने का काम भी हमें करना चाहिए।कृषि के क्षेत्र में भी पारम्परिक की बजाय आधुनिक पद्धति को अपनाना होगा।जिले में अटल भूजल व राज्य सरकार द्वारा मुख्यमंत्री जल स्वालंबन आदि के माध्यम से जल संरक्षण किया जा रहा है।