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नई अफीम नीति की घोषणा : अब ऑनलाइन मिलेगा अफीम का लाइसेंस, नए किसान जुड़ेंगे

केन्द्र सरकार ने धनतेरस के दिन फसल वर्ष 2024-25 के लिए अफीम नीति की घोषणा कर दी है। अब जहां किसानों को ऑनलाइन लाइसेंस मिलेगा, वहीं नियमों में सरलीकरण से इस बार राजस्थान में करीब 16 हजार नए किसानों को पट्टे मिलेंगे।

झालावाड़Oct 30, 2024 / 03:54 pm

Kamlesh Sharma

फाइल फोटो

झालावाड़। केन्द्र सरकार ने धनतेरस के दिन फसल वर्ष 2024-25 के लिए अफीम नीति की घोषणा कर दी है। अब जहां किसानों को ऑनलाइन लाइसेंस मिलेगा, वहीं नियमों में सरलीकरण से इस बार राजस्थान में करीब 16 हजार नए किसानों को पट्टे मिलेंगे। हालांकि पिछले फसल वर्ष में जिन किसानों ने 675 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर से कम पोस्त भूसे की औसत उपज पेश की है, उनका लाइसेंस इस साल के लिए रोक दिया गया है।
जानकारी के अनुसार विभाग ने इस बार लाइसेंस प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया है। विभाग की अधिसूचना के अनुसार वर्ष 2023-24 में जिन किसानों की फसल में मार्फिन की औसत मात्रा 4.2 प्रति किलोग्राम या उससे अधिक है, उन नभी किसानों को लेसिंग पद्धति के माध्यम से अफीम गोंद प्राप्त करना वाला लाइसेंस मिलेगा। जिन किसानों ने पोस्त भूसा उत्पादन के लिए अफीम खेती की और उनकी औसत उपज 900 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर या उससे अधिक थी, उनको भी अफीम गोंद प्राप्त करने वाला लाइसेंस मिलेगा।
जिन किसानों ने फसल वर्ष 2021-22, 2022-23 एवं 2023-24 के दौरान नारकोटिक्स विभाग की देखरेख में फसल की हंकाई कर दी, लेकिन वर्ष 2020-21 में फसल को नहीं हांका, वे किसान भी पात्र होंगे। जो किसान पिछले साल लाइसेंस के पात्र थे, लेकिन किसी करणवश उन्होंने लाइसेंस प्राप्त नहीं किया या लाइसेंस मिलने के बाद किसी कारणवश अफीम की खेती नहीं की। उन्हें भी लाइसेंस दिया जाएगा। अफीम गोंद प्राप्त करने के लिए पात्र सभी काश्तकारों को केवल एक भूखण्ड में 0.10 हैक्टेयर का लाइसेंस जारी किया जाएगा।

इन्हें मिलेगा सीपीएस पद्धति से खेती का लाइसेंस

जिन किसानों ने पिछले साल सीपीएस पद्धति से खेती की और तौल केन्द्र पर प्रति हैक्टेयर 675 किलोग्राम या उससे अधिक पोस्त भूसे की उपज पेश की हो। ऐसे काश्तकार जिन्होंने फसल वर्ष 2023-24 में चीरा पद्धति द्वारा खेती की तथा अफीम फसल की औसत 3 किलोग्राम से अधिक और 4.2 किलोग्राम प्रति हैक्टैयर से कम प्रदान की है, वे इस वर्ष सीपीएस पद्धति में पात्र होंगे। ऐसे किसान जिन्होंने पिछले साल खेती के दौरान प्रति हैक्टेयर 900 किलोग्राम या उससे अधिक पोस्त भूसा दिया, लेकिन यदि वे फसल वर्ष 2024-25 के लिए चीरा पद्धति को नहीं चुनते हैं और स्वेच्छा से सीपीएस पद्धति में खेती करना चाहते हैं तो वे भी पात्र होंगे। ऐसे किसान जिनको फसल वर्ष 1995-96 के बाद से कभी भी लाइसेंस दिया गया था, लेकिन किसी कारण से उन्हें लाइसेंस जारी नहीं किया गया। उन्हें इस वर्ष सीपीएस पद्धति से लाइसेंस दिया जाएगा। ऐसे किसान जिनका फसल वर्ष 1995-96 से 1997-98 तक की अवधि में लाइसेंस निरस्त कर दिया गया था, लेकिन जिन्होंने 25 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर से अधिक न्यूनतम औसत उपज प्रदान की हो, उन्हें इस वर्ष सीपीएस पद्धति से लाइसेंस दिया जाएगा।

5 साल के लिए लाइसेंस

जो किसान इस नीति में पहली बार सीपीएस पद्धति के लिए खेती के पात्र हो गए हैं, उन्हें आगामी 5 वर्षों के लिए लाइसेंस जारी किए जाएंगे। यह फसल वर्ष 2024-25 से जारी होकर फसल वर्ष 2028-29 तक प्रभावी रहेंगे। पांच वर्ष तक जारी लाइसेंस की अवधि तब तक प्रभावी रहेगी, जब तक किसान अवैध गतिविधियों में संलिप्त नहीं पाया जाता या एनडीपीएस एक्ट के तहत आरोप पत्र दाखिल नहीं किया गया हो। विभागीय दिशा-निर्देशों का उल्लंघन नहीं किया हो या जिला अफीम अधिकारी के समक्ष स्वैच्छा से अपना लाइसेंस सरेंडर नहीं किया हो।

किसानों की सूची वेबसाइट पर अपलोड होगी

इस बार विभाग पात्र किसानों के नाम सीबीएन वेबसाइट और सीबीएन ऑनलाइन पॉर्टल पर अपलोड करेगा। उन्हें मोबाइल नंबर पर संबंधित संदेश, मेल आदि माध्यमों से सूचित किया जाएगा। ऐसा करने से किसान पॉलिसी जारी होने के कुछ समय के भीतर ही पात्रता सूची में अपना नाम देख सकेंगे। सरकार का यह कदम लाइसेंस वितरण प्रक्रिया को सरल व सहज करेगा। अब किसान ऑनलाइन फॉर्म भरकर लाइसेंस प्राप्त कर सकता है। पात्र किसानों की सूची भी वेबसाइट पर अपलोड हो जाएगी। मौजूदा लाइसेंसधारियों को ऐसे कागज जमा करवाने की आवश्यकता नहीं होगी जिसकी जानकारी पहले से ही नारकोटिक्स विभाग के पास है। पिछले वर्ष के किसी भी बदलाव के बारे में जानकारी प्रदान की जाएगी।
नई अफीम नीति किसान हितैषी है। नियमों में छूट से प्रदेश में 16 हजार किसानों को नए पट्टे मिलेंगे। सरकार को नीति में थोड़ा संशोधन कर एक साल के लिए रोके गए पट्टे बहाल करना चाहिए। वर्ष 1993-94 और 1994-95 के कट्टे हुए पट्टे बहाल करना चाहिए।

बद्रीलाल तेली, प्रांतीय अध्यक्ष अफीम किसान संघर्ष समिति

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