झालावाड़

धनु राशि में सूर्य आने से 15 दिसंबर से 14 जनवरी 2025 तक रहेगा मलमास

सुनेल.देवउठनी एकादशी के साथ ही शादियों का सीजन शुरु हो चुका है। देवउठनी तक 75 मुहूर्त और इसके बाद 2025 की देवशयनी से दिसंबर 2025 तक 11 मुहूर्त हैं। दोनों को मिलाकर अगले 1 साल में करीब 86 मुहूर्त में शादी समारोह आयोजित होने हैं। ज्योतिषाचार्य पंडित चेतन दाधीच ने बताया कि पंचांग के अनुसार […]

झालावाड़Nov 20, 2024 / 08:50 pm

jagdish paraliya

  • सुनेल.देवउठनी एकादशी के साथ ही शादियों का सीजन शुरु हो चुका है। देवउठनी तक 75 मुहूर्त और इसके बाद 2025 की देवशयनी से दिसंबर 2025 तक 11 मुहूर्त हैं। दोनों को मिलाकर अगले 1 साल में करीब 86 मुहूर्त में शादी समारोह आयोजित होने हैं।
सुनेल.देवउठनी एकादशी के साथ ही शादियों का सीजन शुरु हो चुका है। देवउठनी तक 75 मुहूर्त और इसके बाद 2025 की देवशयनी से दिसंबर 2025 तक 11 मुहूर्त हैं। दोनों को मिलाकर अगले 1 साल में करीब 86 मुहूर्त में शादी समारोह आयोजित होने हैं। ज्योतिषाचार्य पंडित चेतन दाधीच ने बताया कि पंचांग के अनुसार देवउठनी ग्यारस से विवाह के मुहूर्त शुरु हो चुके है। ऐसे में पंचांग के अनुसार अगली देवशयनी एकादशी तक विवाह के 75 मुहूर्त सामने आए हैं। वहीं 2025 में आने वाली देवउठनी ग्यारस से दिसंबर 2025 तक 11 और मुहूर्त है। ऐसे में कुल मिलाकर अगले साल दिसंबर 2025 तक 86 मुहूर्त विवाह रहेंगे। इनमें सर्वाधिक मुहूर्त फरवरी में है जिनमें 16 दिन विवाह हो सकते हैं। धनु राशि में सूर्य आने से 15 दिसंबर से 14 जनवरी 2025 तक मलमास रहेगा। इस दौरान विवाह आदि नहीं होंगे।
नवंबर माह में विवाह की शुभ तिथियां

ज्योतिषाचार्य पंडित दाधीच ने बताया कि नवंबर में शादी विवाह की कुछ तिथियां बेहद शुभ हैं। इसमें 22,23,24,25,28 और 29 नवंबर शामिल हैं। इन शुभ तिथियों में विवाह करने वाले लोगों का दांपत्य जीवन सुखमय रहता है।
दिसंबर माह में विवाह की शुभ तिथियां

दिसंबर माह में शादी-विवाह की कुछ शुभ तिथियां बेहद शुभ हैं। इसमें 03,04,05,09,10,11,13 और 14 दिसंबर शामिल हैं। इन शुभ तिथियों में विवाह करने वाले लोग हमेशा खुश रहते हैं।
साल में 5 अवधियों में विवाह होते हैं निषेध

ज्योतिषाचार्य दाधीच ने बताया कि साल में दो बार मलमास लगता है। इसके अलावा तारा अस्त होने पर भी विवाह निषेध होते हैं। साथ ही देवशयनी से देवउठनी तक भी शादियां निषेध होती है। यहां तक की होलाष्टक में भी शादी नहीं होती है। ऐसे में साल में पांच बार विवाह के लिए निषेध अवधि आ रही है। हालांकि साल में चार बार निश्चित आती है, अगले साल तारा अस्त होने से यह पांच बार हो गई है। इस हिसाब से साल में भले ही 365 दिन होते हैं, लेकिन विवाह अवधि 210 दिन के 235 के बीच निषेध रहती हैं, लेकिन इस समय अवधि में भी शुभ मुहूर्त या फिर सावें कम दिन ही रहते हैं।
इस तरह से तय होते हैं वर वधु के मुहूर्त

ज्योतिषाचार्य पंडित दाधीच ने बताया कि विवाह मुहूर्त में भी व्यक्तिगत रुप से जातक का अपना त्रिबलशुद्वि के तहत मुहूर्त तय होता है, जिनमें उनके लिए कौन सा मुहूर्त सूटेबल है। यह व्यक्तिगत रुप से अलग-अलग रहते हैं, क्योंकि मुहूर्त ज्योतिष शास्त्र के अनुसार निकते हैं। इसके तीन स्कंध संहिता, तंत्र और होरा माने गए हैं। होरा में फलित और मुहूर्त का प्रकरण आता है। इसमें गणित कार्य के पक्ष और संहिता के नियमों के तहत ही तय होता है, जिसमें गुरु, सूर्य बल और चंद्र बल की शुद्वि के आधार पर मुहूर्त को उपयोग किया जा सकता है।
इन तिथियों में रहेंगे विवाह निषेध

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