इसके बाद आधार की तरह खेत की जमीन की एक यूनीक लैंड आईडी बनाई जाएगी, जिसमें उस व्यक्ति की अचल संपत्ति से जुड़ी पूरी जानकारी होगी। लिंक करवाने के लिए किसान को जमाबंदी की नकल, आधार, मोबाइल नबर व अन्य दस्तावेज देने होंगे। इसके लिए अलग से पटवार घरों में पटवारियों को भी आवेदन दिए जा सकते हैं।
यह आएगी समस्या
जमाबंदी को आधार कार्ड से लिंक करने में अनेक बड़ी परेशानी भी आएगी। राज्य के हजारों गांवों में ऐसी जमीन मिल जाएगी जिसके नाम से जमीन का खाता है, उस खाताधारक का निधन कई वर्ष पहले हो चुका। कई जगह तो हालत ऐसे हैं कि जमीन पर दादा के नाम से है। परदादा के बाद दादा का भी निधन हो चुका। ऐसे में उनके जनाधार और आधार कार्ड ही नहीं बने थे। ऐसे मामलों में परेशानी आएगी।
गांवों में नामांतरण नहीं
आजादी के बाद कई सरकारें आई। अनेक कानून बने। नियम व उप नियम बने। लेकिन जमीन के नामांतरण व बंटवारे की अति जटिल प्रक्रिया को सरल व आसान बनाने पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। इस कारण अभी भी जमीनें दादा व परदादा के नाम से चली आ रही है। कई जगह तो जमीन के बंटवारे पर बड़े अपराध तक हो रहे हैं। झालावाड़ जिले में भाईयों के जमीन झगड़े के मामले आए सामने आते हैं।
स्वयं किसान भी जोड़ सकते है नाम
जनआधार व आधार की नकल किसान या तो संबंधित पटवारी को देकर नाम जोड़ सकता है, या स्वयं का जनाधार, आधार व जमीन की नकल आदि की डिटेल किसान एप पर जोड़ सकता है। इसका किसान को ये फायदा होगा कि मुआवजा व अन्य लाभ स्वयं किसान के खाते में आएगा।
लिंक होने के बाद किसान को फायदा
जमीन के असली मालिक का पता आसानी से लग जाएगा। जमीन का नामांतरण आसानी से हो जाएगा। आधार से मोबाइल नबर पहले से लिंक्ड है, ऐसे में जमीन की सभी गतिविधियों की जानकारी मोबाइल पर मिलती रहेगी। जमाबंदी में जमीन में किसी तरह के किस्म के बदलाव को लेकर एसएमएस के माध्यम से आपको अलर्ट मिलेगा। जमीन का मुआवजा दूसरा व्यक्ति नहीं उठा सकेगा। जिन किसानों के दादा या परदादा की मौत हो चुकी है तो उनके वारिस के नाम इंतकाल खुलने के बाद उनके आधार व जनाधार से लिंक हो सकेगा। जमीनों की गिरदावरी को जनआधार व आधार से लिंक करना है। किसान पटवारी के पास दस्तावेज देकर ऑनलाइन सीडिंग करवा सकते हैं। इसका कोई शुल्क नहीं है। आधार व जनाधार से जमाबंदी जुडऩे के बाद जमीन का फर्जी बेचान पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी।
नरेन्द्र कुमार मीणा, तहसीलदार