निर्देशक लालचंद बैरागी व वरिष्ठ कलाकार मांगीलाल राठौर ने बताया कि सरड़ा में की जा रही रामलीला में संवाद के साथ ही संगीत में भी मंचन किया जाता हैं। स्थानीय कलाकारों की ओर से की जा रही रामलीला में बेहरत, शेर, तबील, शायरी जैसी गुमनाम होती जा रही पौराणिक विधाओं में मंचन किया जाता हैं।