निर्देशक लालचंद बैरागी व वरिष्ठ कलाकार मांगीलाल राठौर ने बताया कि सरड़ा में की जा रही रामलीला में संवाद के साथ ही संगीत में भी मंचन किया जाता हैं। स्थानीय कलाकारों की ओर से की जा रही रामलीला में बेहरत, शेर, तबील, शायरी जैसी गुमनाम होती जा रही पौराणिक विधाओं में मंचन किया जाता हैं।
- सरड़ा में स्थानीय कलाकारों द्वारा की जाने वाली रामलीला में एक पीढ़ी के बाद दूसरी पीढ़ी का स्वतःजुड़ाव दिखाई देता हैं। मंडल अध्यक्ष शिवदयालपारेता ने बताया कि यहां रामलीला में एक पीढ़ी के बाद दूसरी पीढ़ी का जुड़ाव रहा हैं। अपने पिता द्वारा निभाए गए किरदार को अब उनके पुत्र अदा कर रहे हैं। रामलीला मंडल के वरिष्ठ कलाकार हरिशंकर विजय के पुत्र कस्टम कमिशनर संतोष विजय हनुमान, लीलाधर बैरागी के पुत्र कजोड़ी लाल बैरागी बाणासुर, बालचंद सेन के पुत्र चौथमल सेन सुमंत, लालचंद बैरागी के पुत्र हर्षित बैरागी अंगद, श्रृंगार कक्ष में मोहनलाल कारपेंटर के बाद मुकेश कारपेंटर, शोभाराम मेवाड़ा के पौत्र चेतन मेवाड़ागिद्धराज की भूमिका निभा रहे हैं। वहीं ढोलक वादक गोपाल राव अपने पिता अमरलाल के बाद से, हारमोनियम वादक उमाशंकर अपने बड़े भाई हनुमान सिंह के बाद से अनवरत अपनी सेवाएं दे रहे हैं।