झालावाड़

बीमा की कटौती पूरी, खराबे पर नहीं मिल रहा लाभ

-फसल बीमा का नहीं मिल रहा किसानों को लाभ झालावाड़.प्रदेश में इन दिनों मानसून सक्रिय है। कई जगह अच्छी बारिश होने से किसानों के खेतों में पानी भरा हुआ है। हर बार बारिश में होने वाले खराबे से बचने के लिए किसान फसल बीमा करवाते है, लेकिन वास्तविक में फसल बीमा का लाभ किसानों को […]

झालावाड़Sep 17, 2024 / 12:05 pm

harisingh gurjar

-फसल बीमा का नहीं मिल रहा किसानों को लाभ

झालावाड़.प्रदेश में इन दिनों मानसून सक्रिय है। कई जगह अच्छी बारिश होने से किसानों के खेतों में पानी भरा हुआ है। हर बार बारिश में होने वाले खराबे से बचने के लिए किसान फसल बीमा करवाते है, लेकिन वास्तविक में फसल बीमा का लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा है। फसल बीमा कंपनियां व उच्च स्तर पर बैठे अधिकारियों ने बीमा की शर्ते इस तरह की रख दी है कि, किसानों को इसका फायदा मिलता नजर नहीं आ रहा है। पहले किसान खेतों में पानी भरते ही या अन्य कोई प्राकृतिक आपदा आने पर तुरंत शिकायत दर्ज करवाकर था, ताकि कंपनी के प्रतिनिधि उसका सर्वे कर सके। लेकिन 2023 से फसल कटाई प्रयोग के आधार ही फसल बीमे का निर्धारण कर दिया गया है। ऐसे में जिन किसानों की फसलों में खराबा हो रहा है, उन्हे इसका फायदा नहीं मिल पा रहा है। बीमा कंपनियों द्वारा नियम ही कुछ इस तरह के बनाए गए है, कि किसानों को फसल बीमा का फायदा बहुत कम मिल पा रहा है,या मिल भी रहा है तो बहुत कम को। इसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि जिले में खरीब 2022 में जिले में 78.76 करोड़ रुपए का क्लेम किसानों को मिला था, वहीं खरीब 2023 में किसानों को मात्र 4.20 करोड़ का ही क्लेम किसानों को मिला है। ऐसे में जिले के कई क्षेत्रों पानी भरने से खड़ी फसल में बहुत ज्यादा नुकसान हो रहा है। बावजूद इसके किसानों को इसका लाभ मिलता नजर नहीं आ रहा है।
खेतों में भरा पानी-

उन्हेल.क्षेत्र में लगातार हो रही बरसात से किसानों की फसलों को नुकसान होना शुरू हो गया है, जिससे किसान चिंतित हैं। गंगधार तहसील क्षेत्र के कई किसानों ने बताया कि पिछले सप्ताहभर से मूसलाधार बारिश हुई है, जिससे सोयाबीन,मूंग,उड़द सहित विभिन्न प्रकार की खरीफ की फसलों को काफी नुकसान होना शुरू हो चुका है,इन दिनों खेतों में फसले पककर कटाई के लिए तैयार हो गई है। ऐसे में जो बारिश हो रही है वह फसलों को खराब करेगी।किसानों ने बताया कि लगातार बारिश होने से फसलें कट नहीं पाएगी। जैसे ही धूप निकलेगी सोयाबीन की फसल तड़ककर खेतों में ही रह जाएगी। सहायक कृषि अधिकारी डॉ.विशाल कुमार जैन ने बताया कि फसलें पक चुकी है, कटने को तैयार है अभी तो नुकसान होने जैसी कोई संभावना नहीं है,लेकिन आगे बारिश होती है तो नुकसान की संभावना है।
खराब होने लगी सोयाबीन की फसल-

मनोहरथाना. क्षेत्र में गत मंगलवार से हो रही जोरदार बारिश ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। मनोहरथाना क्षेत्र में खेतों में पानी भर गया हैै। इससे सोयाबीन की फसल बर्बाद हो रही है। क्षेत्र में पहले फसल को इल्ली ने चट कर दिया, अब बची हुई फसल बारिश में खराब होने के कगार पर है। पानी में डूबने से सोयाबीन की फसल सडऩे लगी है। किसानों का कहना है कि खेतों से पानी की निकासी नहीं हो पा रही है, जिससे सोयाबीन के पौधों की जड़ें सड़ रही हैं और पत्ते पीले पड़ गए है। कई जगहों पर तो सोयाबीन की फसल अभी भी पूरी तरह से पानी में डूबी हुई है। किसान नेता राजेन्द्र वर्मा ने बताया कि मगलवार से हुई तेज बारिश ने मनोहरथाना क्षेत्र में कुछ पंचायत क्षेत्रों में तो तबाही मचा दी है। खेतों में पानी भरने से सोयाबीन, मक्का की फसलों को भारी नुकसान हुआ है। क्षेत्र में मंगलवार से हुई भारी बारिश से बनेठ, बासखेडा, बडबद, सरेडी,ठिकरिया,मनोहरथाना पिण्डोला, रवांसियां, खाताखेडी सहित लगभग एक दर्जन ग्राम पंचायतों के खेतों में पानी भरा होने से किसानों की खड़ी फसलों में काफी ज्यादा नुकसान हुआ है। सूमर.खानपुर क्षेत्र के सूमर में लगातार बरसात से फसलों में नुकसान होने लगा है। फसलों में गलन रोग लग गया है। लगातार हो रही बारिश से खेतों में पानी भर गया है। इससे सोयाबीन, उड़द ,मक्का, की फसलों में अभी दाना पडऩे लगा है, अगर लगातार बारिश होती रही तो फसलों में दाना पकेगा नहीं। इससे फसल उत्पादन खासा प्रभावित होगा।
नए नियमों के अनुसार अब फसल बीमा लेने के लिए ये प्रमुख 10 कार्य करने होंगे।

1.फसल कटाई प्रयोगों का सम्पादन निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार ही किया जाए। जिससे बीमा कम्पनियों द्वारा आपत्तियां न हो। 2.बीमा कम्पनी प्रतिनिधियों एवं जिले के अधिकारियों के साथ नियमित साप्ताहिक बैठक होगी। ताकि फसल कटाई प्रयोगों के दौरान आने वाली आपत्तियों का निस्तारण हो सके। 3. क्रॉप कटिंग में कम से कम आपत्तियां दर्ज हों, जिससे किसानों को फसल बीमा क्लेम समय पर मिल सके। 4.क्रॉप सर्वे ज्यादा से ज्यादा डिजिटल करवाया जाए। 5.फसल कटाई प्रयोगों की गोपनीयता बरकरार रखें। सीसीई प्रक्रिया की पूर्ण वीडियोग्राफ्री व फोटोग्राफी की जाए। जिससे फससल के साथ की जाने वाली छेड़छाड़ का मालूम पड़ सके। 6.थ्रेसिंग के दौरान किसी प्रकार की अनियमितता न बरती जाए। 7.जिलों के अधिकारियों द्वारा फसल कटाई प्रयोग शत-प्रतिशत ऑन-लाइन करवाए जाएं। 8 .इस दौरान बीमा कम्पनी प्रतिनिधि का सह-पर्यवेक्षक आवश्यक रूप से उपस्थित रहे। 9. फसल कटाई प्रयोगों के कार्यक्रम के बारे में बीमा कम्पनियों के प्रतिनिधियों को सूचित करें एवं कार्यक्रम में संशोधन की दशा में कम्पनी को लिखित में तुरन्त सूचित करें। 10.फसल कटाई प्रयोग सम्पादन प्रक्रिया में खेत या प्लॉट निर्धारण,गीला एवं सूखा वजन लिए जाने सम्बन्धी वीडियो लिए जाएं। किसानों ने ऐसे बताई अपनी पीड़ा- किसानों को नहीं मिलेगा फायदा- जिले में लगातार बरसात से कई किसानों के खेतों में पानी भरा हुआ है, खेत में उतरकर फसल काटना संभव नहीं है। पहले बीमा कंपनी को उसी समय ऑनलाइन शिकायत दर्ज करवा दी जाती थी, लेकिन अब नए नियम के अनुसार फसल कटाई में जिन किसानों को नुकसान हो रहा है, उसका फायदा नहीं मिलेगा। ये किसानों के साथ धोखा है। श्याम सिंह,किसान बर्डिया लाखा। तैयार फसलें हो रही खराब- किसान पहले से ही परेशान है, सोयाबीन के भाव बहुत कम है, अब बारिश से फसल की गुणवत्ता खासी प्रभावित होगी। ऐसे में अगर किसान की फसल तैयार होकर घर में भी आ जाती है। तो उसे उसका इतना लाभ नहीं मिलेगा।पहले बारिश वखराबे की ऑनलाइनव ऑफ लाइन शिकायत करने पर सर्वे होता था, लेकिन अब फसल कटाई प्रयोग के आधार पर जिन किसानों को 80 से 90 फीसदी तक नुकसान हुआ है, उन्हे इसका फायदा नहीं मिल पाएगा। इसमें संशोधन होना चाहिए। ईश्वर सेन,भारतीय किसान संघ अध्यक्ष गंगधार।

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