झालावाड़. महिलाएं और बच्चे आजकल मोबाइल, लेपटॉप पर ज्यादा समय ऑनलाइन रहते हैं। ऐसे में साइबर क्राइम का सबसे ज्यादा खतरा भी उन्हीं के साथ बना रहता है। इसका सबसे बड़ा कारण साइबर क्राइम और उससे सुरक्षा की पूरी जानकारी नहीं होना है।
यह बात रविवार को महिलाओं के साथ पत्रिका के टॉक शो में साइबर सेल के सहायक पुलिस निरीक्षक राजेश कुमार शर्मा ने कही। राजस्थान पत्रिका की ओर से साइबर क्राइम को लेकर जनजागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इससे कई लोग जागरूक भी हो रहे है। वहीं महिलाओं ने इसके लिए पत्रिका का आभार जताया है।
कोरोना के समय से बढ़ गया मोबाइल का चलन
टॉक शो में शर्मा ने बताया कि इस समय कम उम्र से ही बच्चों में मोबाइल की लत के कारण इनका ज्यादातर समय ऑनलाइन गेस, रील्स, मूवीज पर निकल रहा है तो वहीं कोरोना समय के बाद ऑनलाइन पढ़ाई के लिए भी इसका उपयोग बढ़ा है। ऐसे में साइबर क्राइम का खतरा और इससे जुड़े मामले भी बढ़े हैं। जरूरी है कि बच्चों में जागरूकता लाने के लिए घर पर उन्ळे साइबर क्राइम से बचाव के लिए जानकारी दी जाएं। आजकल तेजी से बढ़ रहे तरह-तरह के साइबर क्राइम और बड़ी संया में इनका शिकार बनते बच्चों को इस प्रकार के फ्रॉड से बचाने का ये एक बेहतर उपाय हो सकता है।नहीं दे जानकारी
शर्मा ने बताया कि कई बार फ्रॉड जिन लोगों की पेंशन होने वाली है, या पेंशन हो गई है तो कई बार पेंशन की राशि को कहीं अच्छी जगह लगाने की सोचते हैं, तो फ्रॉड को इसका पता चलने पर वो आपके साथ किसी भी तरह से ठगी कर सकते हैं। इससे भी सजग रहने की जरुरत है। आगे शर्मा ने बताया कि यहां बैठी महिलाएं परिवार में ये भी ध्यान रखें कि घर को कोई सदस्य या आपका पति अकेला महसूस करते हैं या परेशान रहते हैं तो उनसे परेशानी की वजह पूछे हो सकता है उनके साथ कोई ऑनलाइन फ्रॉड या अन्य कोई घटना हुई हो। ऐसा हो तो आप तुरंत निकट के पुलिस थाने में शिकायम करें या 1930 पर कॉल करें ताकि समस्या का समाधन किया जा सके। इस मौके पर बड़ी संया में महिलाएं मौजूद रही।महिलाओं में ऑनलाइन शॉपिंग का सबसे ज्यादा चलन
इसके बढ़ते उपयोग, डिजिटल भुगतान,ऑनलाइन बिजनेस के साथ ही सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप,यूट्यूब के बढ़ते उपयोग और साइबर क्राइम को लेकर जागरूकता के अभाव के चलते महिलाओं के साथ फ्रॉड होने का खतरा भी ज्यादा बना रहता है। ऐसे में जरूरी है कि ऑनलाइन खरीदारी के समय ओटीपी बताने के दौरान सजग रहें। कोई भी ओटीपी बताने के लिए कहें तो पहले उसे वेरिफाई करें, संतुष्ठ होने के बाद ही ओटीपी बताएं। एक महिला ने बताया कि उनके पास पुलिस का फोन आया था कि उनका बेटा यौन शोषण के मामले में गिरतार हुआ है। वह थाने में बैठा है। लेकिन परिवार के सभी सदस्यों की जागरूकता के चलते ठगी होने से बच गए। क्योंकि बेटे से सुबह ही बात हुई थी। एक अन्य महिला ने बताया कि कई तरह के कॉल आ रहे है। हमें अनजान कॉल को नहीं उठाना चाहिए। बच्चों को किसी तरह के पासवर्ड न बताए। गेस के माध्यम से ठगी बढ़ रही है उसे रोकना होगा। अनजान ऐप को भी नहीं खोलना चाहिए। लोन के नाम से भी कई ऐप आ रहे है उससे भी फ्रॉड हो रहे है। मोबाइल दैनिक जरूरत हो गई है। साइबर फ्रॉड के मामलों में अपराधी इसी का इस्तेमाल करते हैं। अनजान क्यूआर कोड को स्कैन न करें, अनजानी लिंक पर क्लिक न करें। व्यक्तिगत,बैंक खाते की जानकारी मोबाइल में सेवा न करें और मोबाइल का पासवर्ड स्ट्रांग रखें।