राजे ने कहा कि मुझे जयपुर में सदस्यता ग्रहण करने के लिए कहा गया था, लेकिन मैंने निर्णय किया कि मैं अपने घर झालावाड़ में ही सदस्यता लूंगी। गत 21 अक्टूबर 1951 में हमारी विचारधारा का जो जनसंघ रुपी कारवां शुरू हुआ, वह आज विश्व का सबसे बड़ा राजनीतिक दल बन चुका है। यह हमारे कार्यकताओं के धेर्य की बदौलत हुआ। यदि धैर्य रखा जाये तो मंजिल जरूर मिलती है। हमारे कार्यकर्ताओं के लिए पद नहीं, संगठन सर्वोपरि है। राजे ने कहा कि एक समय ऐसा भी था जब देश में जनसंघ की सिर्फ 3 सीटें हुआ करती थी। आज देश में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लगातार तीसरी बार सरकार है। देश के अधिकांश प्रदेशों में भाजपा या उसके सहयोगी दलों की सरकार हैं।
कार्यक्रम में दो मिनट का मौन रख कर राज्य अभाव अभियोग निराकरण समिति के पूर्व अध्यक्ष श्रीकृष्ण पाटीदार को श्रद्धांजलि दी। इससे पूर्व राजे पाटीदार के गांव दुर्गापुरा पहुंची और परिजनों को सांत्वना दी। इस दौरान राजे भावुक हो गई।
बोलते हुए भावुक हो गई राजे- दुर्गपुरा में पगड़ी दस्तूर कार्यक्रम में श्रीकृष्ण पाटीदार को याद करते हुए राजे भावुक हो गई। आंखों में आंसू आ गए। राजे ने कहाकि 35 साल का तक मेरा साथ दिया उसे कैसे भूल सकती हूं।
आचार्य से लिया आशीर्वाद- राजे ने बुधवार शाम को शांति नाथ मांगलिक भवन पहुंचकर यहां जैन आचार्य प्रज्ञा सागर महाराज को श्री फ ल भेंटकर आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर उन्होंने महाराज से कुछ देर चर्चा की।