जिले में पिछले पांच साल में करीब 165 बच्चों को मानव तस्करी यूनिट द्वारा मुक्त करवाया गया है। ऐसे बच्चों को आवासीय विद्यालयों की भी सुविधा मिलेगी। सामान्य स्कूलों में तीस दिन तक अनुपस्थित रहने पर बालश्रम नोडल अधिकारी को जानकारी देनी होगी। यहीं नहीं उन्हे रोजगार कौशल एवं आजीविका विकास से भी जोड़ा जा सकेगा। इसके साथ बाल श्रमिकों के परिवार के व्यस्क सदस्यों को मनरेगा सहित अन्य विकास कार्य में प्राथमिकता से काम दिलाया जाएगा। सभी जिला कलक्टरों को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है।
जानकारों ने बताया कि इस संबंध में मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने हाल ही में जरुरी दिशा-निर्देश जारी किए है। इसमें अलग-अलग विभाग और संबंधित कार्मिक की जिम्मेदारी के साथ जवाबदेही तय की गई है।
बाल कल्याण अधिकारी रखेंगे नजर-
जिले के हर थाने में तैनात बाल कल्याण अधिकारी को अपने इलाके के बाल श्रम बाहुल्य संस्थान जैसे होटल, ढाबे, कारखाने सहित अन्य व्यावसायिक ठिकानों पर बराबर नजर रखनी होगी। यहां यदि अच्छी संख्या में बाल श्रमिक मिले तो बाल कल्याण अधिकारी पर भी कार्रवाई होगी। पुलिस थाना स्तर पर होने वाली शांति समिति की बैठक के एजेंडे में बाल श्रम नियोजन का मुद्दा अनिवार्य होगा। साथ ही ये रेलवे सुरक्षा बल से समन्वय कर बाल श्रम के लिए बालकों की तस्करी करने वाले गिरोह एवं दलालों पर भी प्रभावी कार्रवाई की जाए।
निर्देश में बताया कि जिले की बालश्रम टास्क फोर्स की कलक्टर की अध्यक्षता में समय-समय पर बैठक की जाए। बैठक में लिए गए निर्णय के फॉलोअप का भी ध्यान रखा जाए। यहीं नहीं बाल श्रमिक मुक्ति के तुरंत बाद उसके बयान दर्ज कर उसके वेतन भुगतान दिलाए जाने व अन्य दावे/ क्लेम को भी सुनिश्चित करने को कहा।
सूत्रों ने बताया कि अब कहीं भी बाल श्रमिक मिले, स्थानीय होने पर उसे तुरंत सरकारी स्कूल में प्रवेश दिलाया जाएगा। बाल श्रमिकों के नामांकन सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी भी संबंधित कार्मिकों की होगी। बालक यदि तीस दिन तक स्कूल से लगातार अनुपस्थित रहेगा तो उसकी सूचना बाल श्रम नोडल अधिकारी को देनी होगी। इसके लिए बाल श्रमिकों का मेडिकल कर उसकी रिपोर्ट व आयु प्रमाण-पत्र बाल कल्याण समिति, पुलिस व श्रम विभाग को भेजना होगा।
निर्देशों में बताया कि जिला प्रशासन नियमित बैठक कर बालश्रम रोकने के लिए सभी संबंधित विभागों के माध्यम से कार्यवाही सुनिश्चित करें। जिला प्रशासन संपूर्ण सहयोग करते हुए व्यापारिक संगठनों के साथ सामाजिक व धार्मिक प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर बालश्रम रोकने की जागरुकता फैलाएं। मुक्त कराएं बच्चों को केन्द्र व राज्य सरकार की योजनाओं से जोड़े, उसके परिवार की सामाजिक व आर्थिक स्थिति का आंकलन कर उन्हे सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता समेत अन्य विभागों की योजनाओं से लाभान्वित करना होगा। वहीं निर्देश में ये भी बताया कि बाल कल्याण समिति सूचना मिलने पर संबंधित पुलिस थाने को बालश्रमिक को तुरंत मुक्त कराने का ओदश देगी। इस प्रक्रिया में चाइल्ड लाइन व संबंधित एनजीओ भी सहयोग करेंगे।
वर्ष कार्रवाई बालश्रम मुक्त बच्चे
2017 42 53
2018 8 8
2019 56 62
2020 29 32
2021 9 10
कुल 144 165
75 व 80 के तहत कार्रवाई करते-
आस्था अभियान के तहत जिले में ऑपरेशन चलाकर समय-समय पर कार्रवाई करते है। बच्चों को स्कूल से जोडऩे के निर्देश मिले हैं। उन्हे सरकारी आवासीय विद्यालय में प्रवेश दिलाया जा रहा है। बालश्रम करवाने वालों के खिलाफ भी बाल संरक्षण अधिनियम के तहत 75 व 80 के तहत कार्रवाई करते हैं।
अखिलेश त्रिपाठी, सीआई, मानव तस्करी यूनिट, झालावाड़।