प्रदेश में पांच वर्ष बाद पशुगणना-2024 में एक सितंबर से शुरू होनी थी और 31 दिसम्बर तक इसे पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। इसके लिए केन्द्र सरकार की ओर से एनिमल सेंसेस नामक सॉफ्टवेयर तैयार करवाया गया।
पशुगणना आखिर शुरू हो ही गई। प्रगणकों की आईडी और पासवर्ड नहीं होने के कारण पशुगणना में देरी हुई है। प्रदेश में पांच वर्ष बाद पशुगणना-2024 में एक सितंबर से शुरू होनी थी और 31 दिसम्बर तक इसे पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। इसके लिए केन्द्र सरकार की ओर से एनिमल सेंसेस नामक सॉफ्टवेयर तैयार करवाया गया।
उक्त सॉफ्टवेयर में डाटा इन्द्राज करने के लिए प्रगणक को आईडी और पासवर्ड दिया जाना था, लेकिन मुख्यालय से आईडी और पासवर्ड मिलने में देरी होने के कारण गत दिनों पशुगणना शुरू की गई है।
प्रगणक व सुपरवाइजर आदि पशुगणना के दौरान उक्त सॉफ्टवेयर में पशुओं की कैटेगरी के अनुसार उनकी संख्या सहित अन्य जानकारियां इन्द्राज कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि इससे पहले 2019 में पशुगणना की गई थी, इसमें जिले 9 लाख 17 हजार 823 पशु बताए गए थे।
पशुपालन विभाग के अनुसार इस बार मुर्गे-मुर्गी के साथ बेसहारा गोवंश सहित पालूत गाय, भैंस, बकरी, ऊंट, गधे, श्वान की गणना की जा रही है। साथ ही जिले की सभी गोशालाओं, पोल्ट्री फार्म, स्लोहट हाउस, निजी फार्म हाउस में रहने वाले पशुओं-पक्षियों की गणना की जाएगी। इससे जिले की वास्तविक पशुओं की गणना सामने आ सकेगी। प्रदेश में गत वर्षो में गोवंश के लंपी वायरस की चपेट में आने से सैकड़ों गोवंश की मौत हो गई थी और हजारों इसकी चपेट में आ गए थे। ऐसे में पशुगणना से गोवंश की वास्तविक स्थिति सामने आ सकेगी। ऊंटों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है। इनके संरक्षण के लिए प्रयास किए जा सकेंगे।
वर्ष 2019 में जिले में पशुओं की संख्या
गाय:- दो लाख 50 हजार 823 भैंस:- तीन लाख 44 हजार 217 भेड़:- दस हजार 173 बकरी:- दो लाख 85 हजार 594 घोड़ा:- 655 खच्चर:- 6 गधे:-200 ऊंट:- एक हजार 77 सूअर:- पांच हजार 317 खरगोश:-158 कुत्ते:- दो हजार 792 मुर्गो सहित अन्य:- 16 हजार 811 116 प्रगणक एवं 23 पर्यवेक्षक
सॉफ्टवेयर तैयार किया
प्रदेश में पहली बार पशु गणना के लिए लाइव स्टॉक सेंसस नाम से सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है। पहली बार पशुगणना में नस्लवार गणना जीपीएस के आधार पर की जा रही है। इस बार पशुपालकों की आर्थिक स्थिति तथा शिक्षा की जानकारी भी दर्ज की जाएगी। इसके लिए बने ऐप को जीपीएस सिस्टम से जोड़ा गया है। गणना की विभिन्न स्तर पर मॉनिटरिंग भी की जानी है। पशुगणना के लिए जिले में 116 प्रगणक और 23 पर्यवेक्षक की नियुक्ति की गई है। इन प्रगणकों को गणना के सम्बंध में प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है। राष्ट्रीय पशु गणना में पशुओं की 16 प्रजातियों को शामिल किया गया है। हर प्रजाति की अलग-अलग गणना होगी।यह जानकारी देनी होगी
पशुपालन के लिए पूर्व में ली गई वित्तीय सहायता के बारे में बताना होगा। भूमि व पशुपालन में काम आने वाले उपकरणों की संख्या होगी अंकित टैग शुदा व बिना टैग वाले पशुओं की अलग-अलग देनी होगी जानकारी। वर्ष 2019 के बाद पशु गणना नहीं हुई है। इससे पशुओं की वर्तमान संख्या के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है। अब गणना शुरु होने से पशुओं की संख्या के बारे में पता चल सकेगा।
कन्हैयालाल मेहर, पशुपालक जिले में पशुगणना शुरु हो गई है। प्रगणकों को आईडी और पासवर्ड मिल गए हैं। इस बार मुर्गे-मुर्गी के साथ बेसहारा गोवंश सहित पालूत गाय, भैंस, बकरी, ऊंट, गधे, श्वान की गणना की जा रही है।
डॉ. टी.ए. बन्सोड, संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग झालावाड़