इस वर्ष फसल के फलाव आने के साथ ही अमरूद की खेती कर रहे किसानों पर आफत आ गई। अमरूद में फफूंद जनित रोग एंथ्रेक्नोज इस परेशानी की वजह बन रहा है। इस रोग से फलों की गुणवत्ता और उत्पादन में कमी आ रही है। इससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। जिले में बागवानी कर रहे किसान अमरूद की फसल इस रोग की चपेट में आने से परेशान हैं।
जिले के किसान अच्छे भाव मिलने की वजह से संतरे का बगीचा लगाने में ज्यादा रूचि दिखाते थे। जब संतरे में काली मस्सी का रोग का हमला होने लगा तो किसानों संतरे के पौधे काट कर उसकी जगह अमरूद का बगीचा लगाया। पिछले कई सालों से अमरुद के भाव संतरे से भी अच्छे मिल रहे थे लेकिन अब भाव नहीं मिल रहे और ऊपर से फफूंद रोग से भी पैदावार पर असर हो रहा है।
इसलिए चलानी पड़ीकुल्हाड़ी गुराडिय़ा माना के किसान जवान सिंह ने बताया कि 17 वर्ष पहले संतरे का बगीचा काट कर लखनऊ से इलाहाबादी नस्ल के पौधे मंगाकर अमरूद का बगीचा लगाया था लेकिन पिछले तीन वर्ष से अमरूद में लगातार फफूंद रोग लग रहा है। इस कारण भाव नहीं अच्छे नहीं मिल पा रहे। ऐसे में बगीचे को काटना पड़ा।
काट दिए 800 पौधे हतुनिया गांव निवासी सत्यनारायण पांडे व कैलाश पांड़े ने बताया कि रतलाम से अमरूद के पौधे लाकर दो बीघा में बर्फ खान व दो बीघा में ताईवानी पौधे लगाए थे। 10 वर्ष तक तो अच्छा फलाव आया, साथ ही भाव भी अच्छे मिले लेकिन तीन वर्ष से लगातार अमरूद के अंदर सफेद रंग के कीड़ेपडऩे लगे है जिसके कारण फल का उठाव नहीं हुआ। इससे भाव नहीं मिल पा रहा। ऐसे में 800 पौधों की कटाई करवा दी गई है। खोती गांव निवासी केदार माली ने बताया कि उसने 15 बीघा में अमरूद का बगीचा लगाया था। तीन साल बाद फल देने लग जाता है। 15 वर्ष तक तो भाव अच्छे मिले लेकिन दो साल से अमरूद के अंदर कीड़ निकलने लग गए थे। इस कारण अमरूद के पौधों की कटाई कर दी है।
नेपाल, जम्मू-कश्मीर जाता था अमरुद गुराडिय़ा माना गांव के विरेन्द्र सिंह ने बताया कि व्यापारियों द्वारा माल की सीधी खरीद की जा रही थी। इसे जम्मू-कश्मीर भेजते थे। लेकिन फलों कीड़े और निशाल लगने से माल का उठाव ही नहीं हो पा रहा है। हतुनिया गांव के कास्तकारसत्यनाराणपांड़े ने बताया कि तुड़वाई के बाद यहां से अमरूद सीधा नेपाल जाता था।
इनका कहना है- अमरूद के फल के श्याम वर्ण (एंथ्रेक्नोज रोग ) लग गया है। जिस वजह से फल में कीड़े लग गए हैं। इसके उपचार को लेकर किसानों को फफूंद नाशक दवा प्रॉपिकोनाजोल 25 ईसी एक मिलीलीटर या थायोफिनेट मिथाइल 70 डब्ल्यूपी एक ग्राम या कॉपर ऑक्सी क्लोराइड 50 डब्ल्यूपी 3 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोलकर छिड़काव करना चाहिए।