फूल उत्पादक रमेश चंद पुष्पद बताते हैं कि साल में सबसे ज्यादा मुनाफा उनको दीपावली व शादी समारोह से होता है। दीपावली पर इस क्षेत्र में हजारों किलो गेंदा व हजारे के फूल का कारोबार होता है। जिससे होने वाली आय से साल भर उनके तथा अन्य लोगों के परिवार का खर्च चलता है। उन्होंने बताया कि झालावाड़ जिले में फूल माला की खेती व व्यापार से माली समाज के करीब 2 हजार परिवार जुड़े हैं। जिनकी साल भर की आजीविका का साधन यही खेती है, जो माला बनाकर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं।
40 से 50 रुपए किलो भाव इस साल हजारे की कीमत 40 से 50 रुपए प्रति किलो के बीच है। अच्छी गुणवत्ता वाले हजारे की कीमत 55 से 60 रुपए प्रति किलो है। जिसकी मांग जिले से बाहर भी है। लक्ष्मी पूजन के एक दिन पहले हजारे के फूलों की बिक्री बड़ी तादाद में होती है। दिवाली से 10 दिन पहले हजारे के फूलों की मांग आने लग जाती है। इस साल हजारे की फसल बहुत अच्छी है। दिवाली के आसपास गेंदे के फूलों की आवक होती है , क्योंकि इनकी रौपाई जून जुलाई में की जाती है और अक्टूबर से फरवरी के बीच ये खिलते हैं। गेंदे की खेती सर्दी, गर्मी और बरसात तीनों मौसम में की जा सकती है। दिवाली के आसपास फूलों की मांग ज्यादा होती है, फूलों की पैदावार के लिए सितंबर से मार्च का समय सबसे अच्छा माना जाता है। अक्टूबर से फरवरी का समय भी इस काम के लिए अच्छा होता है। ज्यादातर तरह के फूलों की बुवाई सितंबर अक्टूबर में की जाती है।
महाराष्ट्र से मंगवाए पौधे
- नगर में मोक्षदायिनीचंद्रभागा नदी के आसपास करीब 20 बीघा जमीन पर फूलों की खेती की जाती है। जिसमें गेंदा, गुलाब और मोगरा की खेती प्रमुखता से होती है। फूल उत्पादक रमेश चंद्र पुष्पद ने बताया कि उन्होंने महाराष्ट्र से फूलों की विभिन्न प्रजातियों के पौधे मंगाकर अपने खेत में लगाए हैं। जिसमें लेमन गेंदा प्रमुख है। आसपास के गांव के किसान अब सब्जी के साथ-साथ तरह-तरह के फूलों की खेती कर अच्छी कमाई कर रहे हैं। झालावाड़ जिले में हजारा व गेंदा के अलावा गुलाब व मोगरा भी है। यह राजस्थान के बाहर तक अपनी खुशबू के लिए मशहूर है।