इस मेले में हाडोती और पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश के लोग खरीदारी करने और कार्तिक पूर्णिमा पर मोक्षदायिनीचंद्रभागा नदी में आस्था की पवित्र डुबकी लगाने के लिए आते हैं, हालांकि मेले में विदेशी सैलानी भी शिरकत करते हैं लेकिन इनकी संख्या बहुत कम रहती है। राज्य सरकार और जिला प्रशासन की इच्छा शक्ति हो ताो यह मेला भी राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना सकता है।
राज्य के बड़े पशु मेले की श्रेणी में चंद्रभागा कार्तिक मेला राज्य के बड़े पशु मेले की श्रेणी में आता है। यहां पर हर तरह के ऊंट, घोड़े, गाय, बकरियां और अन्य पशु बिक्री के लिए आते हैं। यहां पशुओं की कई तरह की प्रतियोगिताएं भी होती है। पशुओं के बीच मुकाबले होते हैं और जो अव्वल रहता है उसके पशुपालक को पुरस्कृत भी किया जाता है। मेले में ऊंट और घोड़ो की कैटवॉक भी करवाई जाती है। जिला प्रशासन, पशुपालन विभाग,पर्यटन विभाग व नगर पालिका के तत्वाधान में लगने वाले इस मेले में पहले के 8 दिन की व्यवस्थाएं पशुपालन विभाग के जिम्मे रहती है और इसके बाद 2 महीने तक इसका संचालन नगर पालिका की देखरेख में रहता है।
मूंछ, साफा सहित कई प्रतियोगिताएं मेले के दर्शकों और सैलानियों को आकर्षित करने के लिए यह प्रतियोगिताएं होती है। इसके अलावा मटका रेस, मूंछ, रंगोली, मेहंदी, ड्राइंग सहित अन्य प्रतियोगिताएं होती है। पर्यटन विभाग की ओर से तीन दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम करवाए जाते हैं। इनके आयोजन को लेकर प्रशासन किसी तरह का कोई प्रचार प्रसार नहीं करता है जिससे की हाड़ौती को छोड़ जिले के लोगों को भी यहां पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की जानकारी नहीं मिल पाती है।
ऊनी कपड़ा बाजार प्रमुख आकर्षण इस मेले का प्रमुख आकर्षण ऊनी कपड़ा बाजार है जहां पर करीब 200 दुकानें लगती है और पूरे मेले में इस बाजार में हमेशा रौनक बनी रहती है। इन दुकानों से गरीब परिवार से लेकर उच्च वर्ग तक के लोग अपनी जरूरत के अनुसार कपड़े खरीदते हैं। जिसमें वह सर्दी से बचाव के लिए ऊनी तथा पूरे वर्ष पहनने के लिए काफी सस्ती दरों पर पेंट,र्शट खरीदते हैं। इन्हें खरीदने के लिए दूर-दूर तक से लोग आते हैं।
मनोरंजन के साधनों का अभाव मेले का प्रमुख आकर्षण मनोरंजन के साधन होते हैं लेकिन नीलामी में इनके लिए भूखंड ऊंची दरों पर जाने के कारण मनोरंजन सर्कस, मौत का कुआं जैसे साधन खर्च महंगा पड़ने के कारण आने ही बंद हो गए हैं। अब मनोरंजन के लिए यहां झूले चकरी रह गए हैं। प्रशासन ने कभी इस तरफ ध्यान ही नहीं दिया है।
इनका कहना है…. राज्य स्तरीय चंद्रभागा कार्तिक मेले को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए प्रशासन के पूरे प्रयास है। इसी के तहत इस बार मेले में कुछ नवाचार किए गए हैं, जैसे की अलग से फूड जोन जिसमें जिले में खाद्य सामग्री का उत्पादन करने वाले लघु उद्यमियों, खाने-पीने की अलग से पहचान रखने वाली वस्तुएं बनाने वाले, सांस्कृतिक कार्यक्रमों में स्थानीय कलाकारों को शामिल कर उन्हें मंच देकर आगे बढ़ाने तथा सैलानियों को आकर्षित करने का प्रयास किया गया है। आगामी मेले में और भी बेहतर प्रयास किए जाएंगे।
अजय सिंह राठौड़, जिला कलक्टर झालावाड़ राज्य स्तरीय चंद्रभागा कार्तिक मेले को अंतरराष्ट्रीय स्तर के मेले की पहचान दिलाने के लिए पर्यटन विभाग पूरी तरह से प्रयासरत है। इसके लिए विभागीय फोल्डर में इस मेले की जानकारी दी गई है जिससे भारत में आने वाले पर्यटकों को इसके बारे में पता लग सके। ट्रेवल्स एजेंसी के माध्यम से भी पुष्कर मेले से विदेशी सैलानियों को इस मेले में लाने के लिए संपर्क किया जा रहा है। इस बार मेले के लिए करीब 80 विदेशी पर्यटकों की सहमति आ चुकी है जिनके ठहरने के लिए पृथ्वी विलास पैलेस, होटल द्वारिका, पर्यटक हट्स सहित विभिन्न स्थानों पर व्यवस्था की गई है।
सिराज कुरैशी, जिला पर्यटन अधिकारी झालावाड़ राज्य स्तरीय चंद्रभागा कार्तिक मेले को भी पुष्कर मेले की तर्ज पर लाने के लिए विभाग कार्य योजना बना रहा है। इसके लिए आवागमन के साधनों की सुविधाओं का विस्तार बहुत जरूरी है, यहां पर हवाई सेवा नहीं होने से कई विदेशी पर्यटक यहां तक नहीं आ पाते हैं। मेले में देश के कई राज्यों के पशुओं को लाने के लिए प्रयास किया जा रहा है। संभवतया अगले वर्ष तक मेले के आयोजन में और भी सुधार होने की संभावना है।