ड्रेस कोड
गहलोत की ओर से शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य आंगनबाड़ी केन्द्रों से जुड़े बच्चों पर एक समान ड्रेस कोड लागू करने के साथ गांव के गरीब बच्चों में भी टी-शर्ट पहनने की इच्छा को पूरा करना रहा है। राज्य में सरकार बदलते ही इस योजना पर संकट के बादल मंडरा रहे थे, लेकिन सीएम भजनलाल ने राजनीतिक उदारता दिखाते हुए इसे हरी झंडी दे दी, जिसके बाद जयपुर से ड्रेसेज गांवों तक पहुंचने लटी हैं।
आचार संहिता में अटकी योजना
पिछली कांग्रेस सरकार ने प्रदेश के 62 हजार आंगनबाड़ी केन्द्रों पर बच्चों को 2-2 सेट यूनीफॉर्म देने की घोषणा की थी, लेकिन विधानसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण इस पर ब्रेक लग गए। अब महिला एवं बाल विकासविभाग ने इन यूनिफॉर्म को वितरण करने का निर्णय किया है। इसके सभी जिलों से आई डिमांड के अनुसार प्रति बालक-बालिका दो-दो रेडिमेड यूनिफार्म भिजवाना शुरू कर दी हैं।
सवा सौ करोड़ का प्रोजेक्ट
इस योजना में प्रत्येक बच्चे को 2 सेट रेडीमेड यूनिफॉर्म के रूप में दो टी-शर्ट एवं दो पेन्ट उपलब्ध करवाई जाएगी। राज्य में 62 हजार से अधिक आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित हैं। इनके लगभग 16.89 लाख बच्चों को यूनिफॉर्म दी जाएगी। इस प्रकार पूरे प्रदेश में करीब 125.80 करोड़ रूपए का बजट खर्च हुआ है।
पीएम की गारंटी पूरी
प्रधानमंत्री मोदी ने पहले ही कह दिया था कि जो योजनाएं गरीबों के लिए कल्याणकारी हैं, उनको बंद नही किया जाएगा, उनकी इसी गारंटी को मुख्यमंत्री बिना किसी राजनीतिक भेदभाव के जनहित में पूरा कर रहे हैं।
केन्द्रों पर भेजी
पहली बार आंगनबाड़ी में नामांकित बच्चों को भी दो-दो ड्रेस मिलेंगी। डे्रसे आंगनबाड़ी केन्द्र पर पहुंच गई है। वितरण की कार्ययोजना बनाकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को दे दी गई है।
दिलीप कुमार गुप्ता, सीडीपीओं झालावाड़