झाबुआ

MP Election 2023 : असली-नकली आदिवासी के बयान से गरमाई सियासत, जनसंपर्क में अपनेपन के लिए ‘भीली भाषा’ की हुई एंट्री

-असली-नकली आदिवासी की तकरार के बीच ‘भीली भाषा’ की एंट्री -दोनों ही दलों के प्रत्याशी अपनेपन के लिए संवाद में कर रहे भीली भाषा का उपयोग

झाबुआNov 07, 2023 / 10:19 am

Astha Awasthi

मध्यप्रदेश चुनाव 2023

झाबुआ। पश्चिमी मप्र के आदिवासी अंचल की झाबुआ विधानसभा में असली-नकली आदिवासी के बयान से गरमाई सियासत के बीच अब आदिवासियों की भीली भाषा की एंट्री हो गई है। एक तरफ जहां भाजपा प्रत्याशी चुनावी सभा और ग्रामीणों से संवाद करने के लिए भीली भाषा का ही प्रयोग कर रहे हैं तो वहीं कांग्रेस प्रत्याशी भी अपने भाषण के दौरान भीली भाषा के शब्दों का उपयोग कर आदिवासियों को रिझा रहे हैं।

भीली भाषा भी बन गया चुनावी मुद्दा

झाबुआ जिले में भीली भाषा में संवाद करना कोई अनोखी बात नहीं है। यहां के अधिकांश शहरी लोग भी ग्रामीणों से भीली भाषा में ही संवाद करते हैं। दरअसल सामाजिक दृष्टिकोण से इससे एक-दूसरे के प्रति अपनापन महसूस होता है। अब विधानसभा चुनाव के दौरान झाबुआ की सियासत में भीली भाषा की एकाएक एंट्री 30 अक्टूबर के बाद तब हुई जब भाजपा की चुनावी सभा में असली-नकली आदिवासी का मुद्दा उठा। अब इन्हीं आरोप-प्रत्यारोप के बीच भीली भाषा भी चुनावी मुद्दा बन गई है।

झाबुआ की सियासत में भीली भाषा का इफैक्ट

मेरे से भीली भाषा में संवाद करके दिखाए विक्रांत

1. भाजपा प्रत्याशी भानू भूरिया ग्रामीणों की हमदर्दी जीतने के लिए जनसभा में भीली भाषा का उपयोग कर रहे हैं। उन्होंने जनसभा में कांग्रेस उम्मीदवार डॉ. विक्रांत भूरिया को चुनौती दी है कि अगर वे असली आदिवासी है तो यहां आकर मेरे साथ इस भाषा में बात करके दिखाए। कहीं पहाड़ी पर चलकर मेरे साथ गोफन से पत्थर फेंककर बताए कि कौन असली आदिवासी है। मैं उनसे कहता हूं कि 25 हाथ की पगड़ी लेकर आ, मैं एक मिनट में बांधकर बताता हूं कि मैं भील का बेटा हूं। उनको भीलो के रीति रिवाज नहीं मालूम। उन्हें ये नहीं पता कि हमारे यहां किस तरह से विवाह होते हैं, किस तरह मामेरा होता है और किस तरह से नौतरा पड़ता है।

गोफन चलाकर आदिवासियों को लड़वा रहे भानू

2. कांग्रेस उम्मीदवार डॉ. विक्रांत भूरिया भी खाटाला चौपाल के दौरान ग्रामीणों से संवाद की शुरुतात बदा भाइयों ने राम राम कहते हुए करते हैं। वे भीली भाषा में ही कहते हैं-हमू पक्का आदिवासी। भाषण के दौरान वे बीच-बीच में भीली भाषा के शब्दों का उपयोग करते हुए कहते हैं- अब अपना मोटो चुनाव आवी गया है। भोपाल ती सरकार को चुनाव। यो सबसे मोटो चुनाव से, बाकी सब नाना चुनाव से। इसमें सरकार अपनी बनी री। उन्होंने कहा कि भानू हर आदिवासी के हाथ में गोफन थमाना चाहता है और हम हर आदिवासी के हाथ में रोजगार देना चाहते हैं। ये अंतर है। गोफन चला चलाकर वो लोगों को लड़वा रहे हैं ।

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