झाबुआ

मैदान में टैंट लगने से खिलाडिय़ों को असुविधा

मैदान में बिना अनुमति के ताना टैंट, खिलाड़ी कलेक्टर के पास शिकायत करने पहुंचे, लाखों रुपए की फंडिंग लेता है एनजीओ

झाबुआFeb 17, 2018 / 05:31 pm

अर्जुन रिछारिया

झाबुआ. हलमा के नाम पर एनजीओ शिवगंगा लाखों रुपए हर साल कमाता रहा है। आदिवासी परंपराओं की आढ़ में ग्रामीणों को धोखे में रखता आया है। इसका खुलासा पत्रिका ने किया था। तब से आदिवासी इस एनजीओ से दूर होने लगे हैं। इस बार किए जा रहे हलमा के विरोध में विद्यार्थी और खिलाड़ी आगे आए हैं। एनजीओ कितने रसूख का इस्तेमाल कर रहा है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसने बिना अनुमति के कॉलेज मैदान पर टेंट तान दिया। शुक्रवार को इसे हटाने की मांग को लेकर सैकड़ों विद्यार्थी ने कलेक्टर को शिकायत करते हुए कहाकि खेल मैदान पर होने वाले कार्यक्रमों को रद्द किया जाए। शहर के एक मात्र कॉलेज खेल मैदान पर बिना अनुमति आयोजन होते हैं। इस बार महाविद्यालय समिति को कॉलेज के खेलकूद गतिविधियां रोक देना पड़ी और अब सम्मेलन की निर्धारित तिथि को आगे बढ़ाना भी संभावित है। मैदान पर टैंट लगने से सुबह-शाम अभ्यास करने वाले खिलाडिय़ों को घर बैठना पड़ रहा है।
शासन से जारी सक्र्युलर में स्पष्ट निर्देशों के अनुसार खेल मैदान में खेल गतिविधियों के अतिरिक्त किसी भी प्रकार के आयोजन होने पर पाबंदी है। केंद्र ने मैदानों की रख रखाव और सुरक्षा संबंधी निर्देश के पालन के लिए सभी कलेक्टर को निर्देश जारी किए हैं, शिवगंगा का हलमा कार्यक्रम के लिए खेल मैदान में पंडाल लगा दिया है। शनिवार-रविवार को होने वाले कार्यक्रम में गुरुवार से मैदान में पंडाल बनाने की तैयारियां चल रही है। इसमें गहरे गडढे हो रहे हैं।

खेलकूद और स्नेह सम्मेलन स्थगित
“संस्था के रुनेह सम्मेलन 21 व 22 फरवरी को होना थे। संस्थागत खेलकूद और स्नेह सम्मेलन स्थगित किया गया। बिना अनुमति तंबू लगाए हैं। इस संबंध में कॉलेज की ओर से कलेक्टर को पत्र भेजा था। मैं आज ही बाहर से आया हूं। ज्यादा जानकारी नहीं है। खेल मैदान में रनिंग ट्रेक, घास और अन्य सुरक्षा इंतजाम करने का प्लान है। इसके बाद खेल मैदान में कोई अन्य आयोजन नहीं होने दिए जाएंगे।”
डॉ एचएल अनिजवाल, प्राचार्य

आयोजन करवाना मजबूरी है
“किसी भी आयोजन के लिए सरकारी मैदान उपलब्ध नहीं होने से उत्कृष्ट और कॉलेज खेल मैदान में खेल के अतिरिक्त अन्य आयोजन करवाना मजबूरी है। हम लोग अभी जगह खोज रहे हैं। शासकीय मैदान जिले में शीघ्र उपलब्ध होगा। मैदान के लिए फंड भी है। जगह चिह्नित कर शहर की जनता को जल्दी नई सौगात मिलेगी।”
शांतिलाल बिलवाल, विधायक
जनहित याचिका दायर की जाएगी
हर बार होने वाले आयोजनों के विरोध में अपनी शिकायत दर्ज कराने खिलाड़ी व खेलप्रेमी राहुल चौहान, आयुष राठौर, आयुष रावत, मोनू डांगी, जय सोलंकी, पंकज तोमर, नवनीत त्रिवेदी, मोहित बामनिया, बंटी बामनिया, बादर परमार, हिमांशु वास्कले आदि पीजी कॉलेज प्राचार्य , जनभागीदारी अध्यक्ष, विधायक व कलेक्टर के पास पहुंचे। खिलाडिय़ों ने कहा कि निजी गार्डनों में एक दिन का किराया 50000 रुपए तक रहता है। खर्च बचाने के लिए खेल मैदान को बिना अनुमति के फ्री में उपयोग करने के लिए खिलाडिय़ों की उपेक्षा की जाती है। असंतुष्ट खिलाडिय़ों ने आयोजनों के विरोध में न्यायालय में जनहित याचिका दायर करने की चेतावनी दी।
कार्यक्रम के लिए मैंने आदेश नहीं दिए
“किसी कार्यक्रम के लिए मैंने आदेश नहीं दिए। मैंने मैदान में कार्यक्रम को रोकने के बारे में कहा था, लेकिन प्रशासन के पास दूसरा स्थान उपलब्ध नहीं होने से खेल मैदान में कार्यक्रम किया जा रहा है।”
– आशीष सक्सेना, कलेक्टर

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