रंभापुर/मेघनगर/झाबुआ। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र झाबुआ-आलीराजपुर से रेलवे सुपर फास्ट ट्रेनों की सुविधा जल्द बंद करने की तैयारी कर रही है। यानी क्षेत्र में सुविधाएं बढ़ाने के बजाय कम की जा रही हैं। आदिवासी क्षेत्र के धार, झाबुआ, आलीराजपुर जिलों को रेल के माध्यम से जोडऩे वाले मेघनगर में प्रमुख ट्रेनों के स्टापेज बंद करने से हजारों यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। मेघनगर से इलाज करवाने के लिए लोग बड़ौदा एवं अहमदाबाद जाते हैं। सुबह के समय उनकी यात्रा जम्मूतवी एक्सप्रेस से होती है। इसके अलावा हजारों आदिवासी रोजगार की तलाश में गुजरात, मुुंबई, कोटा एवं अन्य जगह यात्रा करते हैं। गरीब आदिवासियों को सरकार रोजगार तो मुहैया करवा नहीं पा रही, उलटे आने-जाने के उपलब्ध साधन को भी बंद करने की तैयारी की जा रही है। पास के स्टेशनों के टिकट नहीं इन टे्रनों के स्टापेज बंद होने से इस क्षेत्र के स्थित मोहनखेड़ा तीर्थ पर आने वाले हजारों यात्रियों पर भी असर पड़ेगा। मोहन खेड़ा तीर्थ के लिए हजारों यात्री देशभर से यहां आते हैं। इससे इस क्षेत्र के पर्यटन को भी बढ़ावा मिलता है। रेलवे के इस निर्णय से धार्मिक भावना भी आहत हुई हैं। मेघनगर औद्योगिक क्षेत्र होने से यहां पर आवागमन की सुविधाओं का महत्व है। उद्योगों को बढ़ावा देने कि लिए आवागमन के साधनों का सुगम होना आवश्यक है। ऐसे मेें एक्सप्रेस ट्रेनों के स्टापेज बंद करने से क्षेत्र के औद्योगिक विकास पर भी असर पड़ेगा। इन टे्रनों के स्टापेज बंद करने के पीछे रेलवे ने जो तर्क दिए हैं वे भी समझ से परे हैं। सुपर फॉस्ट टे्रनों में मेघनगर से कम दूरी वाले नगर जैसे दाहोद, गोधरा, रतलाम के लिए टिकट नहीं दी जाती है। इससे मेघनगर आने वाले यात्रियों को बड़ौदा से टिकट लेकर आना पड़ता हैं। इससे मेघनगर को प्राप्त होने वाला कलेक्शन भी दूसरे स्टेशनों के कलेक्शन में जुड़ जाता है। इस कारण कलेक्शन कम होने का हवाला देकर सुपरफास्ट टे्रनों का स्टापेज मेघनगर में बंद किया जा रहा है। ये हैं प्रमुख ट्रेनें मेघनगर दिल्ली-मुंबई मेन ट्रैक पर है, लिहाजा यहां से गोल्डन टेंपल, स्वराज, देहरादून, साबरमती, जनता, जम्मू-तवी, अवध एक्सप्रेस जैसी कई बड़ी ट्रेनें निकलती हैं।