दरअसल ज़िले में 42 मंडल के पद अध्यक्ष हैं। इसमें से 36 के नाम की घोषणा कर दी गई है, 6 बचे हैं। मुंगराबादशाहपुर में संतोष गुप्ता को अध्यक्ष बनाया गया है। इनके नाम की घोषणा होते ही वहां विरोध शुरू हो गया। सूत्रों की मानें तो वहां रेस में आगे चल रहे राजकुमार जायसवाल को अध्यक्ष बनाए जाने की सिफारिश चल थी, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने अपने रिसर्च के आधार पर संतोष गुप्ता को जिम्मेदारी थमा दी। अनदेखी किए जाने से आहत पैंतीस बूथ अध्यक्षों का आरोप है कि नगर मंडल अध्यक्ष चुनाव में उनकी सहमति नहीं ली गई।
मनमाने ढंग से मंडल अध्यक्ष बना दिया गया। मनमाने ढंग से थोपे गए मंडल अध्यक्ष उन्हें किसी भी दशा ने स्वीकार नहीं हैं। 37 में से 35 बूथ अध्यक्षों ने तथा 47 सक्रिय सदस्यों में से 37 ने जिसे मंडल अध्यक्ष बनाने के लिए समर्थन दिया था, उसे मंडल अध्यक्ष नहीं बनाया गया। पार्टी में उनकी बात की अनदेखी की गई है। इस तरह की मनमानी स्वीकार नहीं कि जा सकती। अब हमारे पास त्यागपत्र देने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा है। इसके बाद 35 नेताओं ने अपना इस्तीफा जिलाध्यक्ष, क्षेत्रीय अध्यक्ष और जिला चुनाव अधिकारी को भेज दिया है। हालांकि जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह ने त्यागपत्र मिलने से इनकार किया है।
जा चुकी है जिलाध्यक्ष की कुर्सी बीते लोकसभा चुनाव में जौनपुर सीट पर हार और मछलीशहर सीट पर मुश्किल से मिली जीत के बाद पार्टी आलाकमान खासा नाराज़ हो गया। इस वजह सुशील उपाध्याय को ज़िलाध्यक्ष की कुर्सी खोनी पड़ी। इनकी जगह पुराने भाजपाई और छात्र जीवन से राजनीति में आए पुष्पराज सिंह को मौका दिया गया।
बढ़ी है सदस्यों की संख्या पुष्पराज सिंह के ज़िले की कमान संभालते ही प्रदेश भर में सदस्यों की संख्या बढ़ाने में जौनपुर अव्वल आया। इसकी केंद्रीय नेतृत्व ने भी जमकर तारीफ की। युवाओं ने पुष्पराज सिंह के नेतृत्व में भाजपा की सदस्यता लेने में खूब रुचि दिखाई।
पुराने भाजपाई बन रहे सिरदर्द सिर्फ मुंगराबादशाहपुर ही नहीं आने वाले दिनों में दूसरे मंडल अध्यक्ष और प्रतिनिधियों के चुने जाने पर विरोध के सुर फुट सकते हैं। इसमें नए भाजपाई नहीं बल्कि बरसों से पार्टी की रीढ़ रहे पुराने भाजपाई ही अहम भूमिका निभा रहे हैं। हालांकि उनकी भी दलील है कि पार्टी ने उनकी बात को दरकिनार किया है। वे जिसे चाहते थे उन्हें मंडल अध्यक्ष नहीं बनाया गया।