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जौनपुर

ऐतिहासिक धरोहरों का खजाना है यूपी का ये शहर, सैकडों साल पुरानी इमारते आज भी हैं आकर्षण का केंद्र

इलाहाबाद से 100 और वाराणसी से करीब 60 किमी की दूरी पर स्थित यह शहर उत्तर प्रदेश के प्राचीन स्थानों में से एक है

जौनपुरSep 25, 2019 / 03:54 pm

sarveshwari Mishra

Atala Masjid

Atala Masjid

जौनपुर. भारत के खूबसूरत राज्यों में शुमार उत्तर प्रदेश ऐतिहासिक शहर और प्राचीन स्थानों का खान है। धार्मिक और प्राचीन नगरी वाराणसी से लेकर विश्व विख्यात आगरा समेत उत्तर प्रदेश में अनगिनत जगहें हैं जो कि अतीत में अपने गौरवशाली किलों, मंदिरों, मस्जिदों के रूप में स्मारकों की उपस्थिति को दर्शाता हैं। जब भी बात भारत के इतिहास की होती है, तो जौनपुर का नाम एक बार जरूर सामने आता है । इलाहाबाद से 100 और वाराणसी से करीब 60 किमी की दूरी पर स्थित जौनपुर उत्तर प्रदेश के प्राचीन स्थानों में से एक है। जौनपुर शहर की स्थापना 14वीं शताब्दी में फिरोजशाह तुगलक ने अपने चचेरे भाई मोहम्मद बिन तुगलक उर्फ जूना खान के नाम पर की थी। 1394 के आसपास मलिक सरवर ने जौनपुर को शर्की साम्राज्य के रूप में स्थापित किया था।
जौनपुर में एक ऐसा मस्जिद है जिसकी निर्माण शैली मंदिर से मिलती है। इसके पीछे फिरोजशाह तुगलक का हाथ है। दरअसल, फिरोजशाह तुगलक इस्लाम को मानने वाला कट्टर धर्मांध व्यक्ति था जिसने अपने शासन काल में हर वह निर्णय लिए जिससे इस्लाम को मानने वाले लोग और सशक्त हो सके। उसने कई सारे मंदिरों को ध्वस्त कर दिया। जिसमें से एक था अटाला देवी मंदिर फिरोजशाह ने इस मंदिर को मस्जिद में रूपांतरित कर दिया। यही कारण है कि इस मस्जिद की रचना मंदिर से मिलती है। यहां और भी ऐसी प्राचीन इमारतें हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
shahi kila
IMAGE CREDIT: net
शाही किला
शाही किला को करार किला और जौनपुर किला के नाम से भी जाना जाता है। इसका इतिहास बेहद उतार-चढ़ाव वाला रहा है। सबसे पहले इस किले को एक टीले पर बनाया गया था और इसे केरार किला कहा जाता था। गोमती नदी पर बने शाही पुल के पास स्थित इस किले के निर्माण में इस्तेमाल की गई ज्यादातर सामग्री कन्नौजी के राठौड़ राजा के समय के ऐतिहासिक स्थलों की है। जौनपुर से 2.2 किमी दूर यह किला शहर का प्रमुख आकर्षण है। यह शाही किला, जिसे जौनपुर किला भी कहा जाता है, कई युद्धों और विनाश से गुजर चुका है, फिर भी यह मजबूत है और सुंदर अतीत का वर्णन करता है। यह तुगलक, लोढ़ी वंश और मुगलों के कई राजाओं के नियंत्रण में भी रहा है।
Atala masjid
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अटाला मस्जिद
अटाला मस्जिद जौनपुर का एक प्रसिद्ध पर्यटन आकर्षण है, जो यहां के स्थानीय लोगो के साथ साथ पर्यटकों के बीच खासा लोकप्रिय है। इस मस्जिद का निर्माण 1408 में यहां के शासक सुल्तान इब्राहिम शर्की ने बनवाया था। हालांकि इसकी आधारशिला 1377 में दिल्ली के सुल्तान फिरोज शाह तुगलक तृतीय के शासनकाल में रखी गई थी। मस्जिद की परिसर में एक मदरसा भी मौजूद है। आज अटाला मस्जिद ,भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की देखभाल में है।
jama masjid
जामा मस्जिद
फिरोज शाह तुगलक ने 15वीं शताब्दी में निर्मित जामा मस्जिद को बारी मस्जिद, जुमा मस्जिद और जामी मस्जिद के नाम से भी जाना जाता है। इसकी वास्तुशिल्पीय बनावट जौनपुर के ही अटाला मस्जिद और दिल्ली के मुगल स्मारकों से काफी मिलती-जुलती है। इस मस्जिद का निर्माण एक छह मीटर ऊंची नींव पर किया गया है। अंदर पहुंचने के लिए एक विशाल दरवाजा है, जिसके ऊपर दो मेहराब बने हुए हैं। यह इस्लामी और जौनपुर वास्तुकला का एकदम सही मिश्रण है। यदि आप जौनपुर की स्थापत्य सुंदरता की देखना चाहते हैं, तो आपको इस जामा मस्जिद को अवश्य देखना चाहिए।
shahi pull
शाही पुल
कभी-कभी स्थानीय और कई पर्यटकों के बीच जौनपुर शाही ब्रिज शहर के नाम से भी जाना जाता है। भले ही यह 1 9 34 के भूकंप के दौरान आंशिक रूप से ध्वस्त हो गया, फिर इसका इस्तेमाल यातायात के लिए किया जा रहा है। शाही ब्रिज गोमती नदी पर बनाया गया है और जौनपुर में एक ऐतिहासिक स्थान है। पुल से इतर इस पर खंभों पर टिकी अष्ठभुजीय आकार की गुंबजदार छतरी भी बनी हुई है। इस छतरी में लोग खुद को पुल पर दौड़ती वाहनों से सुरिक्षत रख कर नदी की बहती धाराओं का विहंगम नजारा देखते हैं।
lal darwaja
लाल दरवाजा मस्जिद
लाल दरवाजा मस्जिद या रूबी (लाल) गेट मस्जिद जौनपुर शहर के बाहरी इलाके में स्थित है। इसे 1447 में सुल्तान महमूद शर्की की बेगम बीबी राजी ने बनवाया था और यह मस्जिद जौनपुर के एक मुस्लिम संत मौलाना सैय्यद अली दाऊद कुतुबुद्दीन को समर्पित है। इसे खास तौर से बेगम के निजी प्रार्थना कक्ष के रूप में बनवाया गया था। इस मस्जिद की वास्तुशिल्पीय शैली अटाला मस्जिद से काफी मिलती है। हालांकि आकार के मामले में यह अटाला मस्जिद से छोटा है। इसके उत्तर, पूर्व और दक्षिण में तीन दरवाजे हैं, जिसके जरिए इसके अंदर पहुंचा जा सकता है। इसका पूर्वी गेट लाल पत्थर से बना है। यही वजह है कि इसे लाल दरवाजा मस्जिद कहा जाता है।

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