सिरकोनी विकास खण्ड के माधोपुर पट्टी गांव में त्यौहारों पर गांव की हर गली में लाल-नीली बत्तियों वाली गाड़ियां ही नजर आती हैं। गांव की आबादी करीब 800 है, जिसमें सबसे ज्यादा संख्या राजपूतों (Madhopatti Village Caste) की है। माधोपुर पट्टी गांव का एक बड़ा सा प्रवेश द्वार गांव के खास होने का अहसास कराता है। यह गांव देश के दूसरे गांवों के लिए रोल मॉडल है। खास बात यह है कि इस गांव में कोई भी कोचिंग इंस्टीट्यूट नहीं है, बावजूद कड़ी मेहनत और लगन से युवा बुलंदियों को छू रहे हैं। माधोपट्टी के एक शिक्षक के मुताबिक, इंटरमीडिएट से ही आईएएस और पीसीएस की तैयारी शुरू कर देते हैं।
एक ही परिवार में पांच आईएएस
माधोपट्टी गांव के में एक ही परिवार के चार भाइयों ने आईएएस परीक्षा पास कर अनोखा रिकॉर्ड बनाया था। 1955 में परिवार के बड़े बेटे विनय सिंह ने सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास की थी। रिटायरमेंट के समय वह बिहार के मुख्य सचिव थे। भाई छत्रपाल सिंह और अजय कुमार सिंह भी 1964 में आईएएस बने थे। फिर 1968 में सबसे छोटे भाई शशिकांत सिंह ने यूपीपीएससी की परीक्षा पास की थी। पांचवां आईएएस भी इसी परिवार से मिला। 2002 में शशिकांत के बेटे यशस्वी ने प्रतिष्ठित परीक्षा में 31वीं रैंक हासिल कर आईएएस बने थे।
माधोपट्टी गांव के में एक ही परिवार के चार भाइयों ने आईएएस परीक्षा पास कर अनोखा रिकॉर्ड बनाया था। 1955 में परिवार के बड़े बेटे विनय सिंह ने सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास की थी। रिटायरमेंट के समय वह बिहार के मुख्य सचिव थे। भाई छत्रपाल सिंह और अजय कुमार सिंह भी 1964 में आईएएस बने थे। फिर 1968 में सबसे छोटे भाई शशिकांत सिंह ने यूपीपीएससी की परीक्षा पास की थी। पांचवां आईएएस भी इसी परिवार से मिला। 2002 में शशिकांत के बेटे यशस्वी ने प्रतिष्ठित परीक्षा में 31वीं रैंक हासिल कर आईएएस बने थे।
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गांव की बहू बेटियों ने भी बढ़ाया मान
माधोपट्टी गांव के बेटे ही नहीं बेटियों और बहुओं ने भी गांव का मान बढ़ाया है। 1980 में आशा सिंह, 1982 में ऊषा सिंह, 1983 में इंदू सिंह और 1994 में सरिता सिंह आईपीएस चुनी गई थीं। इसके अलावा अलग-अलग क्षेत्रों में गांव की बहू-बेटियों ने नौकरी हासिल की है।
1914 में गांव के पहले अफसर बने थे मुस्तफा हुसैन
आजादी के पहले से ही माधोपट्टी गांव के लोगों का प्रशासनिक सेवाओं में जाने का सिलसिला शुरू हो गया था। 1914 में मोहम्मद मुस्तफा हुसैन डिप्टी कलेक्टर बने थे जो मशहूर शायर रहे वामिक जौनपुरी के पिता थे। वहीं, स्वतंत्रता के बाद 1952 में इंदु प्रकाश सिंह गांव के पहले आईएएस अफसर बने जो फ्रांस सहित कई देशों में राजदूत रहे। 1955 में विनय कुमार सिंह बिहार के मुख्य सचिव रहे।
आजादी के पहले से ही माधोपट्टी गांव के लोगों का प्रशासनिक सेवाओं में जाने का सिलसिला शुरू हो गया था। 1914 में मोहम्मद मुस्तफा हुसैन डिप्टी कलेक्टर बने थे जो मशहूर शायर रहे वामिक जौनपुरी के पिता थे। वहीं, स्वतंत्रता के बाद 1952 में इंदु प्रकाश सिंह गांव के पहले आईएएस अफसर बने जो फ्रांस सहित कई देशों में राजदूत रहे। 1955 में विनय कुमार सिंह बिहार के मुख्य सचिव रहे।