जौनपुर

ग्राउंड रिपोर्ट :जौनपुर लोकसभा सीट पर बीजेपी की प्रतिष्ठा दांव पर

लगातार ओवरब्रिज, सड़क जैसी समस्याओं से जूझ रहा जौनपुर लोकसभा सीट

जौनपुरApr 04, 2019 / 04:26 pm

sarveshwari Mishra

Jaunpur Loksabha Seat

जौनपुर. इस शहर की स्थापना 14वीं शताब्दी में फिरोजशाह तुगलक ने अपने चचेरे भाई मोहम्मद बिन तुगलक उर्फ जूना खान के नाम पर जौनपुर रखा था। 1394 के आसपास मलिक सरवर ने जौनपुर को शर्की साम्राज्य के रूप में स्थापित किया।
जौनपुर में एक ऐसा मस्जिद है जिसकी निर्माण शैली मंदिर से मिलती है। इसके पीछे फिरोजशाह तुगलक का हाथ है। दरअसल, फिरोजशाह तुगलक इस्लाम को मानने वाला कट्टर धर्मांध व्यक्ति था जिसने अपने शासन काल में हर वह निर्णय लिए जिससे इस्लाम को मानने वाले लोग और सशक्त हो सके। उसने कई सारे मंदिरों को ध्वस्त कर दिया। जिसमें से एक था अटला देवी मंदिर फिरोजशाह ने इस मंदिर को मस्जिद में रूपांतरित कर दिया। यही कारण है कि इस मस्जिद की रचना मंदिर से मिलती है।
 

Loksabha Chunav
प्रतापगढ़, प्रयागराज, भदोही, वाराणसी, गाजीपुर, आजमगढ़ और सुल्तानपुर से घिरा जौनपुर गोमती नदी के किनारे बसा है। प्रतापगढ़ की सई नदी और सुल्तानपुर से बहने वाली गोमती नदी जौनपुर में आकर मिलती है। यहां भोजपुरी, हिंदी, अंग्रेजी के साथ-साथ अवधी भी बोली जाती है। यहां की इमरती बहुत फेमस है।
Loksabha Election
जौनपुर वाराणसी, आजमगढ़ और सुल्तानपुर से सटा होने के कारण हमेशा चर्चाओं में रहा है। राजनीति की बात करें तो वर्ष 2014 में वाराणसी संसदीय क्षेत्र से उतरे नरेंद्र मोदी का ग्लैमर इस सीट तक दिखा। नतीजन डॉ. केपी सिंह सभी को चौंकाते हुए पंडित दीन दयाल की कर्मभूमि मानी जाने वाली इस सीट को भाजपा के खाते में डालने में सफल रहे।
 

कांग्रेस के सामने सबसे ज्यादा चुनौती
लंबे अर्से बाद विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने वाली कांग्रेस 2014 में काफी उत्साहित थी। लोकसभा में भी जीत दर्ज करने का ख्वाब पाले पार्टी ने भोजपुरी फिल्म स्टार रवि किशन को चुनावी मैदान में उतारा, जिन्होंने अपना ग्लैमर दिखाने में कोई कोर कसर नहीं छोडी। बावजूद इसके 42 हजार 759 मत ही पा सके, जिससे उनकी जमानत तक जब्त हो गई। हालांकि इस बार रवि किशन ने भाजपा का दामन थाम लिया है। उधर कांग्रेस इस सीट को लेकर अभी तक चुप्पी साधे हुए है। प्रत्याशियों को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हैं। कमोवेश यही हाल आम आदमी पार्टी की भी है।
Dhananjay Singh
धनंजय सिंह पर सभी की नजर
पूर्व सांसद धनंजय सिंह पर सभी की नजर है। वो माननीय बनने केलिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से प्रेरित होने की बात करने वाले पूर्व सांसद इस बार भी जौनपुर सीट से अपना भाग्य आजमाने की कोशिश कर रहे हैं। 2014 में निर्दलीय चुनाव लडने वाले धनजंय 64 हजार 137 मत पाकर सपा प्रत्याशी पारस नाथ यादव के बाद चैथे स्थान पर थे, हालांकि राष्ट्रीय पार्टियों से गठबंधन करने वाले कुछ दलों केसंपर्क में हैं। सियासी गलियारे केचर्चाओं की मानें तो सुभासपा और निषाद पार्टी जैसे कुछ दल उन्हें अपना प्रत्याशी बनाने को भी तैयार हैं, ङ्क्षकतु वे इस समय अपना पत्ता खोलने को तैयार नहीं।
 

जौनपुर सीट में आने वाले विधानसभा क्षेत्र

शाहगंज, जौनपुर, मल्हनी, बदलापुर, मुंगराबादशाहपुर

मछलीशहर लोकसभा सीट में आने वाले विधानसभा क्षेत्र

मछलीशहर, मड़ियाहूं, जफराबाद, केराकत

ये है मतदाताओं की स्थिति
जौनपुर लोकसभा क्षेत्र

लोकसभा क्षेत्रपुरूषमहिला
बदलापुर17225149269
शाहगंज19517616825
जौनपुर208231182451
मल्हनी180747166155
मुंगराबादशाहपुर191851166979

जौनपुर लोकसभा सीट के पूरे आकड़े की बात करें तो यहां कुल 14 लाख 74 हजार 9 सौ 9 मतदाता है। जिसमें 793230 पुरूष मतदाता और 681679 महिला मतदाता हैं।

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पिछले चुनाव की स्थिति पर एक नजर

प्रत्याशीपार्टीमत
केपी सिंहभाजपा367149
सुभाष पाण्डेयबसपा220839
पारस नाथ यादवसपा180003
धनन्जय सिंहनिर्दल64137
डॉ. केपी सिंहआप43471
रवि किशनकांग्रेस42759
रविकांत यादवनिर्दल20832
शहाबुद्दीनराष्ट्रीय उलेमा कौंसिल19636
जोगेंद्र प्रसादनिर्दल7281
प्रमोद कुमारसम्यक परिवर्तन दल7206
प्रेम चंद्र बिंदप्रगतिशील मानव समाज पार्टी6814
अनुपति राम यादवबहुजन मुक्ति मोर्चा4026
योगेश चंद्र दूबेनिर्दल2773
अनिल कुमार सिंहनिर्दल2694
रवि शंकर मौर्याएसयूएसआई,कम्यूनिस्ट2608
राजेश प्रजापतिसर्वश्रेष्ठ दल2329
अरविंदसुभसपा2204
विमल कुमार यादवनिर्दल2109
सरफराजपीस पार्टी2064
डॉ. संजीव बिंदनिर्दल1863
गुलाब चंद्र दुबेशिवसेना1751
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इन अहम समस्याओं से जूझता रहा जौनपुर
शाहगंज की बंद पड़ी चीनी मिल
शाहगंज की बंद पड़ी चीनी मिल ज़िले की सबसे बड़ी समस्या रही है। फैज़ाबाद रोड पर 1933 में स्थापित ये चीनी मिल पूर्वांचल की पहली चीनी मिल मानी जाती है। चुनाव दर चुनाव इसे चालू करने और किसान – मज़दूरों का बकाया दिलाना का वादा आजतक पूरा नहीं हुआ। लाउडस्पीकर से किये गए ये वादे चुनावी फ़िज़ा में खो कर रह गए। अब फिर चुनावी बिसात बिछी है। लोग टकटकी लगाए नए वादे का इंतजार कर रहे हैं। यहां पर सड़क मार्ग के अलावा रेल मार्ग से भी पेराई के लिए गन्ना आजमगढ,सुल्तानपुर और अम्बेडकर नगर से भी पहुंचता था। इस मिल को घाटे के बाद वर्ष 1986 में बंद कर संचालक चले गए। बकाए के भुगतान के लिए आंदोलन चला और 24 अप्रैल 1989 को उत्तर प्रदेश सरकार ने इसका अधिग्रहण कर लिया। इसके बाद से मिल का संचालन एक बार फिर शुरु हुआ, लेकिन घाटे से जूझ रही इस चीनी मिल को सरकार ज्यादा समय तक नहीं चला सकी। वर्ष 2009 में तत्कालीन बसपा की सरकार ने इसे पोंटी चड्ढा की कंपनी माएलो इंफ्राटेक को बेच दिया। तब से बंद पड़ी है।
ओवरब्रिज न होने की मार झेल रहे लोग
जिले के नगर छोर पर 3 महत्वपूर्ण रेलवे क्रासिंग पड़ती है। वाराणसी रोड, मछलीशहर रोड और मिर्ज़ापुर रोड पर। मिर्ज़ापुर रोड स्थित रेलवे क्रासिंग पर कई सालों से ओवरब्रिज निर्माण कार्य रुक-रुक कर हो रहा है। इसके कारण लोग टीडी कॉलेज गेट के सामने होते हुए लंबा सफर तय कर मड़ियाहूं-मिर्ज़ापुर रोड पर पहुंचने को मजबूर हैं। लोगों को आस है कि एक ओवरब्रिज पूरा हो तो अन्य पर काम लगवाने की घोषणा हो। हालांकि ये ओवरब्रिज हमेशा से चुनावी मुद्दा बना रहा है। इस बार भी वोट मांगने मतदाताओं के दर पर जाने वालों को इसके निर्माण संबंधी सवालों का सामना करना पड़ सकता है।
मेडिकल कॉलेज का निर्माण
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट में शुमार जौनपुर मेडिकल कालेज आज भी अधूरा पड़ा है। सरकार बदली तो निर्माण कार्य की रफ्तार पर असर पड़ता रहा। कभी बजट का रोना तो कभी राजनीतिक उपेक्षा का दंश हमेशा से आड़े आता रहा। कुछ दिन पूर्व एक कार्यक्रम में जौनपुर आये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जल्द ओपीडी शुरू करने का अल्टीमेटम दिया था लेकिन अमल नहीं हो सका। छोटी छोटी चोट पर भी वाराणसी रेफर होने की मार झेल रहे जौनपुर वासी आज भी इस समस्या से निजात का आस लगाए बैठे हैं। उम्मीद थी कि मेडिकल कॉलेज खुलने पर उन्हें अच्छी स्वास्थ्य सेवा मिलने लगेगी लेकिन आज भी वे इसके लिए तरस रहे। मेडिकल कॉलेज कब शुरू होगा ये बताना न सरकार के बस में है न कार्यदायी संस्था के।
-जौनपुर से जावेद अहमद की रिपोर्ट

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