बागियों ने भाजपा को अयोध्या, मथुरा, काशी में हराया
श्रीकला सिंह की जीत के सियासी मायने
यूं तो श्रीकला सिंह जिला पंचायत सदस्य का चुनाव भारी अंतर से जीत चुकी हैं। इस बात से भी इनकार नहीं किया जा रहा है कि जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी का उन्हें प्रबल दावेदार माना जा रहा है। श्रीकला की जीत के कई सियासी मायने हैं जो धनंजय सिंह के पक्ष में जाते हैं। धनंजय सिंह लंबे अरसे से सत्ता के सुख से दूर हैं। लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव लगातार हारते आ रहे हैं। इस बार उन्होंने जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर दांव लगाया और यह बराबर फिट जाकर बैठा। अगर श्रीकला सिंह जिला पंचायत अध्यक्ष बन जाती हैं तो कहीं न कहीं धनंजय सिंह की राजनीतिक पकड़ मजबूत होगी।
धनंजय सिंह ने पत्नी श्री कला सिंह के लिए महज एक दिन क्षेत्र में घूम कर प्रचार किया। उसके पहले श्रीकला सिंह के साथ एमएलसी बृजेश सिंह प्रिंसू और अन्य समर्थक प्रचार प्रसार में लगे हुए थे। आखिरी के दिनों में धनंजय सिंह का महल क्षेत्र में घूम जाने से ही श्रीकला के पक्ष में फिजा बन गई।
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अब श्रीकला ने जब्त कराई भाजपा की जमानत
वर्ष 2020 में जब मल्हनी विधानसभा का उपचुनाव हुआ तो धनंजय सिंह की वजह से भाजपा की जमानत जब्त हो गई थी, इस बार जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ रही श्रीकला सिंह के आगे भाजपा फिर अपनी जमानत नहीं बचा पाई। यहां तक कि श्रीकला सिंह को 14872 मत मिले। निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष राज बहादुर यादव की पत्नी राजकुमारी यादव को महज 3518 मत लेकर दूसरे नम्बर पर रहीं।
श्रीकला सिंह ने जीत का श्रेय जनता को दिया। उन्होंने कहा कि लोगों ने उनपर भरोसा करके ऐतिहासिक जीत दिलाई है। वो सूद समेत उनका कर्ज चुकाएंगी। उनके पति ने हमेशा जाति धर्म से ऊपर उठकर सभी की मदद की है।