यह भी पढ़ें : CG Assembly Election 2023 : लोकतंत्र के महापर्व में दी अपने जवान बेटों की आहुति, पर मतदान करना कभी नहीं भूले ज्ञात हो कि जशपुर जिला मलेरिया जोन के रुप में जाना जाता है। यहां वर्ष भर में 7 हजार से अधिक मलेरिया के मरीज सामने आते हैं। मलेरिया और डेंगू दोनो ही मच्छरों के काटने से होता है। जिला मलेरिया जोन होने के बावजूद भी यहां का स्वास्थ्य अमला डेंगू को लेकर गंभीर नहीं है। पिछले कुछ दिनों से हो रही रुक रुक कर बारिश ने डेंगू व मलेरिया के खतरे को काफी बढ़ा दिया है। अस्पतालों में प्रतिदिन मलेरिया के मरीज आ रहे हैं। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग सतर्क नहीं है। जगह जगह हो रहे जल भराव व कूलर एवं लोगों के घर के आसपास जमा पानी ने इस संक्रमण को बढ़ाने वाले मच्छर पनपने लगे हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग को इसका कोई गम नहीं है। अभी तक किसी भी जगह बचाव के तौर पर छिड़काव नहीं किया गया है, न ही इसका कोई प्लान तैयार किया है।
यह भी पढ़ें : तीन दिनों के भीतर 35 लाख रुपए के अवैध शराब और अन्य सामग्री की जब्ती स्वास्थ्य विभाग और नगरपालिका के अधिकारियों की यह लापरवाही शहरवासियों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। स्वास्थ्य विभाग और नगर पालिका ने मच्छराें का लार्वा नष्ट करने के लिए सघन अभियान नहीं चलाया तो जाहिर है शहर में भी डेंगू के मरीज सामने आ सकते हैं। प्रदेश में डेंगू को लेकर मचे हड़कप के बाद भी नगरपालिका और स्वास्थ्य अमला डेंगू की रोकथाम के लिए अभियान चलाने को लेकर गंभीरता नहीं दिखा रहा है।
यह भी पढ़ें : नवरात्र के लिए आकर्षक रोशनी से सजा दंतेश्वरी मंदिर और सिंह द्वार स्वास्थ्य विभाग के द्वारा ना तो शहरी क्षेत्रों में डीडीटी का छिड़काव करवा रहा है और ना ही इसके लिए कोई जागरुकता अभियान चला रहा है। वहीं नगरपालिका के पास फागिंग मशीन होने के बावजूद भी इसका इस्तेमाल शहर में नाममात्र और केवल दिखावे के लिए किया जा रहा है। यदि नगरपालिका के द्वारा लगातार फागिंग मशीन का उपयोग किया जाए तो संभवत: मच्छराें से लोगाें का बचाव हो सकेगा और मलेरिया और डेंगू का खतरा शहर में कम होगा।
बीते कुछ दिनों से मौसम के उतार चढ़ाव से जिला अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ गई है। साथ ही अस्पताल में रोजाना अन्य बीमारियों के मरीज भी भर्ती हो रहे हैं। जिसके चलते यहां के सभी वार्ड फुल हो चुके हैं। स्थिति यह है कि यहां के वार्डों में बेड की कमी पड़ गई है। व्यवस्था बनाने के लिए आपातकालीन स्थिति होने पर ही मरीजों को भर्ती किया जा रहा है। साथ ही वार्डों में अतिरिक्त बेड लगाकर काम चलाना पड़ रहा है। जिससे मरीजों को असुविधा न हो। जिला अस्पताल में रोजाना करीब 500 से अधिक मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। मौसम के इस बदलाव के दौर में जिला अस्पताल सहित निजी अस्पतालों में मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। सर्दी, खांसी, बुखार, डायरिया सहित उल्टी-दस्त से प्रभावित लोग प्रतिदिन इलाज कराने अस्पताल पहुंच रहे हैं।
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डेंगू को लेकर जिला अस्पताल पूरी तरह से सर्तक है, यदि ऐसा कोई संदिग्ध मरीज सामने आता है तो उसे जिला अस्पताल में आईसुलेशन वार्ड में भर्ती कर उसकी देखभाल करते हुए उचित उपचार किया जाएगा। शहर में रैपिड फीवर सर्वे कराया जा रहा है। शहर में 8 और फरसाबहार में 1 डेंगू का मरीज मिला है, 3 सैंपल जांच के लिए अंबिकापुर भेजा गया है।-डॉ. रेजीत टोप्पो, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी
डेंगू को लेकर जिला अस्पताल पूरी तरह से सर्तक है, यदि ऐसा कोई संदिग्ध मरीज सामने आता है तो उसे जिला अस्पताल में आईसुलेशन वार्ड में भर्ती कर उसकी देखभाल करते हुए उचित उपचार किया जाएगा। शहर में रैपिड फीवर सर्वे कराया जा रहा है। शहर में 8 और फरसाबहार में 1 डेंगू का मरीज मिला है, 3 सैंपल जांच के लिए अंबिकापुर भेजा गया है।-डॉ. रेजीत टोप्पो, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी