यह भी पढें : इंसानियत हुई शर्मसार.. 65 साल की बुजुर्ग महिला का पड़ोसी ने किया रेप, इलाके में फैली सनसनी अभी किसान इसके लिए खेत तैयार कर थरहा लगाने की तैयारी में जुटे हैं। वहीं दूसरी ओर एक किसान ने नई पद्धति से टमाटर की खेती जिससे उसकी फसल बाजार में आ भी गई। ज्ञात हो कि जिले के इस क्षेत्र का टमाटर पश्चिम बंगाल, ओडिशा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, झारखंड, बिहार तक के बड़े क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करता है।
यह भी पढें : रायगढ़ में बड़ी वारदात: 6 बदमाशों ने बैंक में की 5 करोड़ की डकैती, मैनेजर पर चाकू से किया हमला, दहशत में आए लोग बता दें कि जशपुर जिले में वर्ष 2015 में जब टमाटर की बंपर पैदावार हुई और टमाटर का दाम गिरकर 25 पैसे प्रति किलो तक गिर गए, तो यहां किसानों ने टनों टमाटर सड़क पर फेंककर उस पर ट्रैक्टर चला दिया था। जिसके बाद प्रशासन ने अभियान चलाकर जिले में टमाटर का रकबा कम करने की कोशिश की थी।
लेकिन पिछले दो महीने जब टमाटर की कीमत 200 किलो तक चढ़ गई, तो पत्थलगांव, बागबाहर, लुड़ेग और फरसाबहार क्षेत्र में लगभग हर किसान टमाटर की खेती करने कूद पड़ा है। नतीजा यह हुआ की टमाटर की फसल का रकबा और बढ़ गया है।
अगस्त के दूसरे सप्ताह में होती है बुआई जिले के पत्थलगांव ब्लॉक के ग्राम पंचायत बागबहार के कुरकुटनाला निवासी किसान महेन्द्र यादव ने बताया कि क्षेत्र में टमाटर की फसल की बुआई सामान्यत: 15 अगस्त के बाद की जाती है। रबी मौसम की यह फसल, अक्टूबर माह के आखिरी सप्ताह से बाजार में आना शुरू हो जाती है और जनवरी तक बाजार में इसकी भरपूर आवक होने लगती है। मांग से अधिक फसल के बाजार में आ जाने से किसानों को फसल का सही भाव नहीं मिल पाता है। इस समस्या को महेन्द्र यादव कई सालों से देखते आ रहे थे।
यह भी पढें : 3 युवकों ने बेल्ट, डंडा औरा रॉड से कारोबारी की कर दी पिटाई, फिर भट्टी ले जाकर किया ऐसा कांड ग्राफ्टेड पौधे रायपुर से मंगवाए महेंद्र यादव के अनुसार इस बार उन्होंने नई तकनीक से टमाटर की फसल लेने का निर्णय लिया और इस बार टमाटर की फसल को लगभग दो माह पूर्व ही खेतों में रोप दिया। एक्सपर्ट्स से सलाह लेकर, उन्होंने रायपुर से टिशु कल्चर से तैयार टमाटर के ग्राफ्टेड पौधे मंगाए। यह नर्सरी में तैयार उन्नत किस्म के पौधे हैं, जिनमें बारिश का पानी सहन करने की क्षमता है।
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महेंद्र ने सात एकड़ में नए किस्म के टमाटर के पौधे लगाए हैं। उन्होंने करीब 10 लाख रुपए का निवेश किया है। बरसात में पौधों को बचाने के लिए उन्होंने क्यारियों की ऊंचाई बढ़ाई और पौधों के जड़ों को प्लास्टिक सेे ढंक दिया है। भरपूर बरसात के बाद भी टमाटर की फसल तेजी से तैयार हो गई है, और अब बाजार में आ भी गई है।
महेंद्र ने सात एकड़ में नए किस्म के टमाटर के पौधे लगाए हैं। उन्होंने करीब 10 लाख रुपए का निवेश किया है। बरसात में पौधों को बचाने के लिए उन्होंने क्यारियों की ऊंचाई बढ़ाई और पौधों के जड़ों को प्लास्टिक सेे ढंक दिया है। भरपूर बरसात के बाद भी टमाटर की फसल तेजी से तैयार हो गई है, और अब बाजार में आ भी गई है।