बारिश के समय सड़कों पर बने गड्ढों में जमा पानी के कारण मिट्टी नहीं उड़ती थी। अब सूख जाने के बाद उनमें बने गाद और कीचड़ धूल के रूप में उड़ रही है। सड़कों के किनारे की कीचड़ भी टायरों में लगकर मुख्य रास्ते पर आ गई है। यह सूखने पर रेत बनकर उड़ती है। ऐसे हालात शहर की सभी सड़कों का बन गया है।
धूल से बढ़ रहे दमा और श्वास रोगी
पूरा दिन धूल भरे माहौल में रहने के कारण लोग दमा के रोगी बनते जा रहे हैं। सबसे ज्यादा दुकानदार इसकी चपेट में आ रहे हैं, जो हमेशा धूल भरे माहौल में रहते हैं। कई दुकानदार दमा और श्वास के रोगी बनते जा रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि व्यक्ति धूल और डस्ट की वजह से दमा का रोगी बन सकता है। इससे लोगों को सांस लेने में परेशानी होती है। धूल और प्रदूषण के कारण दमा और सांस के रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है।
तीन विभागों के कारण परेशानी
मुख्यमार्ग का बड़ा हिस्सा एनएच का है और नगर पालिका को हैंडओवर नहीं हुआ है, इसलिए सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है। एनएच सड़कों के संधारण को लेकर उदासीन बना हुआ है। साथ ही पीडब्ल्यूडी विभाग भी सड़कों को लेकर गंभीर नहीं है। वहीं पालिका में स्थानीय दबाव बनाकर सड़क का संधारण व सफाई कराया जा सकता है। इस ओर प्रशासन ध्यान दे तो सड़कों से धूल आसानी से साफ हो सकती है। इन तीनों विभाग के फेर में सड़कों का बुरा हाल है।