दो से तीन किमी दूरी तय करने मजबूर
गर्मी शुरूआत होते ही भीमा तालाब सूख चुका है। थोड़ा सा ही पानी बचा हुआ है। भीमा तालाब में जिला मुख्यालय से लगभग गरीब तबके की ७ से १० हजार लोग निस्तारी करते है। आसपास के गरीब तबके के लोग दो से तीन किमी दूरी तय कर निस्तारी के लिए जाने मजबूर है। मोहल्लेवासियों ने बताया कि दो से तीन किमी दूर कुटरा तालाब व नहर में में नहाने जाते है।
नाली का पानी व भीमा तालाब का पानी एक सामान
पुरानी बस्ती निवासी जगदीश लदेर, सुखमति बाई, गोपाल पैगवार सहित अन्य मोहल्लेवासियों ने बताया कि भीमा तालाब का पानी और नाली का पानी में कोई अंतर नहीं है। संबंधित अधिकारी की उदासीन रवैया के कारण कई लोग ऐसे पानी में भी नहारे को मजबूर है। भीमा तालाब के आसपास के घरों व नाली का गंदा पानी भीमा तालाब में ही जा रहा है। जिससे कारण तालाब का पानी इतना गंदा हो गया है। जल्द ही जिम्मेदार अधिकारी को इस ओर ध्यान देना चाहिए। नहीं तो मोहल्लेवासियों को संक्रामण बीमारी फैल सकती है।
सौंदर्यीकरण के नाम पर चार साल में केवल पिचिंग
जिला मुख्यालय के एतिहासिक तालाब को साढ़े छह करोड़ सौंदर्यीकरण करने चार साल पहले कलेक्टर भारतीदासन ने नींव रखी थी। लेकिन चार में आज तक केवल पिचिंग का काम ही पूरा हो पाया है। यहां फूल से सुसज्जित गार्डन, तालाब के चारो तरफ लाइटनिंग, चारो तरफ टाइल्स सहित कई काम करना है। लेकिन सौंदर्यीकरण काम की रफ्तार कछुआ चाल की गति से चल रहा है।