जांजगीर चंपा

ऐतिहासिक भीमा तालाब अपने बदहाली पर बहा रहा आंसू, अभी वर्तमान में निस्तारी लायक भी नहीं तालाब

अब तक नहीं हुआ नाली का निर्माण कार्य पूरा, नहर से नाली के माध्यम से भीमा तालाब को भरने की चल रही पिछले चार साल से कवायद

जांजगीर चंपाMar 28, 2019 / 06:44 pm

Rajkumar Shah

ऐतिहासिक भीमा तालाब अपने बदहाली पर बहा रहा आंसू, अभी वर्तमान में निस्तारी लायक भी नहीं तालाब

जांजगीर-चांपा. शहर के ऐतिहसिक तालाब भीमा तालाब को सौंदर्यीकरण व नहर से पानी भरने के नाली निर्माण करने का प्लान चार साल पहले बनाया गया था। इस पर अमल भी चार पहले शुरू हो चुका था। लेकिन चार साल बाद अब तक न तो सौंदर्यीकरण हो पाया है और न ही नाली का निर्माण पूरा हो चुका है। शायद इस सीजन में भी लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पाएगा। भीमा तालाब अपने बदहाली पर आंसू बहा रहा है। अभी वर्तमान में निस्तारी लायक भी नहीं है। गरीब तबके के लोगों एकमात्र निस्तारी का यही साधन है।
शहर में पानी की समस्या हर वर्ष रहती है, तालाब भी सूख जाते है, इन तालाबों को भरने के लिए हर वर्ष प्लानिंग की जाती है। पर तब कुंआ खोदा जाता है जब आग लगती है। ऐसा ही पिछले तीन साल से किया जा रहा है। लेकिन जब गर्मी आती है तालाब सुख जाती है तब याद आता है। काम शुरू होता है अंत में पूर्ण नहीं हो पाता है। लोग जैसा तैसा कर निस्तारी की व्यवस्था कर लेते है। गर्मी निकलने के बाद जिम्मेदार फिर भूल जाते है। ऐसा ही पिछले तीन से चार से होता आ रहा है। शहर के ऐतिहासिक तालाब भीमा व रानी तालाब को नहर के माध्यम से भरने के लिए २०१६ में पहले गर्मी शुरूआत में ही २ लाख की लागत से नाली खोदा गया था। जो ढलान सहीं होने की वजह से रानी तालाब तक पानी ले-देकर पहुंच। इसके बाद भीमा तालाब में तो एक बूंद पानी नहीं पहुंचा। लंबी नाली की ढाल ऐसी नहीं बनाई गई कि नहर का पानी सीधा रानी तालाब तक पहुंच सके इस वजह से तालाब तक पहुंचते पहुंचते पानी की धार दिखाई तक नहीं दी। उसके फिर २०१७ बीटीआई चौक से नाली निर्माण कर तालाबों को भरने के लिए टेंडर हुआ। लेकिन नाली आधा अधूरा बनाकर ठेकेदार निर्माण कार्य को छोड़ दिया। फिर नाली निर्माण अधर में लटक गया। ४५ लाख का टेंडर हुआ था जिसमें आधा पैसा नहीं मिलने के कारण काम बंद हो गया था। अब फिर बाकी पैसा मिलने से काम सिंचाई विभाग द्वारा शुरू कर दिया गया है। लेकिन फिर गर्मी लगते ही संबंधित विभाग जागा है। नहीं लगता कि भीमा तालाब में नाली के माध्यम से इस वर्ष पानी भरा जा सकेगा।

दो से तीन किमी दूरी तय करने मजबूर
गर्मी शुरूआत होते ही भीमा तालाब सूख चुका है। थोड़ा सा ही पानी बचा हुआ है। भीमा तालाब में जिला मुख्यालय से लगभग गरीब तबके की ७ से १० हजार लोग निस्तारी करते है। आसपास के गरीब तबके के लोग दो से तीन किमी दूरी तय कर निस्तारी के लिए जाने मजबूर है। मोहल्लेवासियों ने बताया कि दो से तीन किमी दूर कुटरा तालाब व नहर में में नहाने जाते है।

नाली का पानी व भीमा तालाब का पानी एक सामान
पुरानी बस्ती निवासी जगदीश लदेर, सुखमति बाई, गोपाल पैगवार सहित अन्य मोहल्लेवासियों ने बताया कि भीमा तालाब का पानी और नाली का पानी में कोई अंतर नहीं है। संबंधित अधिकारी की उदासीन रवैया के कारण कई लोग ऐसे पानी में भी नहारे को मजबूर है। भीमा तालाब के आसपास के घरों व नाली का गंदा पानी भीमा तालाब में ही जा रहा है। जिससे कारण तालाब का पानी इतना गंदा हो गया है। जल्द ही जिम्मेदार अधिकारी को इस ओर ध्यान देना चाहिए। नहीं तो मोहल्लेवासियों को संक्रामण बीमारी फैल सकती है।

सौंदर्यीकरण के नाम पर चार साल में केवल पिचिंग
जिला मुख्यालय के एतिहासिक तालाब को साढ़े छह करोड़ सौंदर्यीकरण करने चार साल पहले कलेक्टर भारतीदासन ने नींव रखी थी। लेकिन चार में आज तक केवल पिचिंग का काम ही पूरा हो पाया है। यहां फूल से सुसज्जित गार्डन, तालाब के चारो तरफ लाइटनिंग, चारो तरफ टाइल्स सहित कई काम करना है। लेकिन सौंदर्यीकरण काम की रफ्तार कछुआ चाल की गति से चल रहा है।

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