सरपंच सचिव इन दिनों जिला पंचायत व जनपद पंचायतों में चक्कर काट रहे हैं, लेकिन दफ्तर में चुनाव की वजह से काम काज ठप पड़ा है। ऐसे में दिवाली के पहले किसी भी योजनाओं का चेक कटना भी मुश्किल लग रहा है। इसके चलते ग्राम पंचायतों में फांके में दिन कटेगी। खासकर मनरेगा के मजदूरों को भी दिवाली में उनकी मेहनत का पैसा नहीं मिल पाएगा। गौरतलब है कि ग्राम पंचायतों में मूलभूत, 15 वें वित्त, गोठान, मनरेगा सहित कई ऐसे योजनाओं के तहत विकास कार्य हुए हैं जिनका भुगतान अटका पड़ा है। इसके पीछे कुछ टेक्निकल इश्यूज बताया जा रहा है। जांजगीर-चांपा जिले के अंतर्गत 50 फीसदी ग्राम पंचायतों में कई योजनाओं के तहत राशि जारी हो रही है लेकिन सक्ती जिले में योजनाओं का काम व उसका भुगतान अटका पड़ा है। ऐसे में सक्ती जिले के सरपंच व सचिवों को अच्छी खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
इस तरह हो रही परेशानी 15 वें वित्त की राशि का भुगतान अमूमन वित्तीय वर्ष के शुरुआती महीने में भुगतान हो जाता है। लेकिन साल का अंत होने वाला है, इसके बाद भी राशि नहीं आई है। जिसके चलते सरपंचों को सरिया, रेत, गिट्टी, सीमेंट आदि की सप्लाई किए हैं ऐसे व्यापारी सरपंचों को तगादा कर रहे हैं। जिससे सरपंच-सचिवों को जवाब देते नहीं बन रहा है। सरपंच सचिवों ने अपने रिस्क पर दुकानाें से सरिया, रेत, गिट्टी, सीमेंट लेकर निर्माण कार्य तो करा दिए लेकिन भुगतान के लिए शासन से पैसे नहीं आ रही है। जिसके चलते सरपंच सचिवों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। दिवाली का सीजन होने से व्यवसायियों को भी उम्मीद रहती है कि उनका पेंडिंग भुगतान हो जाए लेकिन परेशानी सुलझने का नाम नहीं ले रही है।
टेक्निकल फाल्ट की वजह से रुकी योजनाओं की राशि
दफ्तर में एक ही जुमला, अधिकारी चुनाव ड्यूटी में… सरपंच सचिव अपने विभिन्न कामों को लेकर जनपद पंचायतों व जिला पंचायतों में रुख कर रहे हैं लेकिन दफ्तर में एक तो कर्मचारी मिल नहीं रहे, वहीं जो मिल रहे उनसे काम नहीं निकल रहा। जिनसे काम निकालना है ऐसे अधिकारी चुनावी दौरे पर हैं। कोई मतदान केंद्र का निरीक्षण करने को निकला है तो कोई चुनावी ट्रेनिंग के बहाने बाहर हैं। ऐसे में दफ्तरों में सन्नाटा पसरा है। ऐसे हालात कुछ दिनों से नहीं बल्कि जबसे चुनाव आचार संहिता लगा है उससे पहले से निर्मित हो रही है।
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– अभिमन्यु साहू, एडि. सीईओ, जिला पंचायत