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मामला साइबर सेल टीम को सौप दिया जाता है। फिर साइबर सेल की टीम ठगी मामले की जांच करते-करते थक जाती है। सबसे पहले बैंक से संपर्क किया जाता है। फिर मामले की पतासाजी में जुट जाती है। इसके बाद मामले की जांच कर संबंधित थाने में एफआईआर के लिए सौंप दी जाती है। जिले के 11 थानों में बीते 11 महीने में 41 प्रकरण दर्ज किए जा चुके हैं। जिसमें सर्वाधिक मामला साइबर अपराध के हैं। जिसमें लोग अपनी गाढ़ी कमाई ठगों के झोली में भर चुके हैं।सामान भिजवा रहा हूं 2.70 लाख अकाउंट में डाल दो
बहनीडीह थाना क्षेत्र के चोरिया निवासी नारायण थवाइत की बाराद्वार में इलेक्ट्रॉनिक की दुकान है। वह दिल्ली की कंपनी से सामान मंगवाता था। हर बार उसका सामान सही सलामत आ जाता था। लेकिन एक बार बुरी तरह फंस गया। डेढ़ साल पहले वह दिल्ली की उसी कंपनी से ऑनलाइन सामान मंगवाया। उक्त कंपनी के संचालक ने फोन पे पर दो लाख 70 हजार रुपए भिजवाने को कहा। नारायण ने उक्त कंपनी के अकाउंट में उसने दो लाख 70 हजार रुपए डाल दिया। इसके बाद उक्त कंपनी ने न तो सामान भेजा और न ही उक्त कंपनी का पता चला। उसने मामले की रिपोर्ट बाराद्वार थाने में दर्ज कराई। बाराद्वार पुलिस ने मामले की जांच आज तक नहीं की। आखिरकार नारायण थवाइत दो लाख 70 हजार रुपए ठगी का शिकार हो गया।
ओटीपी बताया फिर 34600 रुपए हो गए गायब
जांजगीर की स्नेहा रायसागर के मोबाइल पर कुछ दिन पहले एक फोन आया। फोन पर सामने वाले ने कहा कि आपका अकाउंट बंद हो रहा है। आपको मोबाइल में एक ओटीपी जाएगी उसे भेजना, फिर आपका अकाउंट अपडेट हो जाएगा। स्नेहा ने संबंधित मोबाइल धारक को ओटीपी बता दिया। कुछ देर बाद उसके अकाउंट से 34 हजार 600 रुपए गायब हो गए। मामले की शिकायत उसने सिटी कोतवाली में दर्ज कराई। सिटी कोतवाली पुलिस ने मामले की डायरी साइबर सेल पुलिस को सौंपी है।बल की कमी से दीगर प्रांत नहीं जा पाती पुलिस
थानों में हर रोज साइबर ठगी के एक न एक मामले सामने आते हैं। जिसमें ठगों के द्वारा ऑनलाइन ठगी की जाती है। पुलिस के द्वारा अक्सर उक्त फोन नंबर को ट्रेस किया जाता है। जांच में पता चलता है कि उक्त नंबर झारखंड के जामताड़ा या फिर यूपी बिहार के नंबर होते हैं। पुलिस मामले की जांच कर तह तक पहुंच जाती है लेकिन ऐसे आरोपियों को संबंधित थाने तक लाना पुलिस के लिए कठिन काम होता है। क्योंकि पुलिस के बल की कमी की समस्या सामने आती है। पुलिस के पास बल नहीं होने से टीम बाहर नहीं जा पाती। इसके अलावा पुलिस के टीए- डीए की भी समस्या होती है। समय पर टीए – डीए नहीं मिलने से पुलिस दीगर प्रदेश जाने से घबराती है।