ग्राम सभाओं में कराना था अनुमोदन, तब मिलता दर्जा
जिन ग्राम पंचायतों में साक्षरता दर 100 प्रतिशत पूर्ण हो गया था, उन गांवों में संबंधित लोक शिक्षा केंद्रों के प्रेरकों को ग्राम सभाओं में अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों के सामने साक्षर किए गए महिला-पुरुषों के नामों की सूची का वाचन कराना था। वहां से अनुमोदन कराकर सूची जिला परियोजना कार्यालय में देनी थी। यहां से सूची राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण रायपुर भेजी जाती। लेकिन प्रेरकों ने ग्राम सभाओं में अनुमोदन नहीं कराया ही नहीं। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि ग्रामसभा में अनुमोदन के दौरान नवसाक्षर अगर पढ़-लिख नहीं पाए तो पोल खुल जाएगी। हालांकि अनुमोदन नहीं कराने के पीछे एक कारण अभियान बंद होने को लेकर भी प्रेरकों द्वारा रूचि नहीं दिखाना रहा।
सांसद- विधायक आदर्श ग्राम भी नहीं हो पूर्ण साक्षर
जिले में सांसद और विधायक आदर्श ग्राम भी पूर्ण साक्षर नहीं हो पाए। हालांकि बलौदा ब्लॉक अंतर्गत सांसद आदर्श ग्राम जावलपुर में साक्षरता का प्रतिशत 100 प्रतिशत पूर्ण बताया जा रहा है। सर्वेक्षित आसाक्षरों के अनुसार गांव में 831 महिला-पुरुष असाक्षर थे जिनमें से 812 महिला पुरुषों को साक्षर किया जा चुका है। शेष 19 लोग ऐसे हैं जो मृत, पलायन एवं असक्त की श्रेणी में है। इस तरह गांव 100 प्रतिशत साक्षर हो चुका है जबकि नवागढ़ ब्लॉक में सांसद आदर्श ग्राम पंचायत गोधना में 529 असाक्षरों में से 507 महिला-पुरुष साक्षर हो चुके हैं। 19 लोग मृत, पलायन एवं असक्त है। मात्र 3 लोग की असाक्षर शेष हैं। इस तरह 95.84 प्रतिशत साक्षरता दर पूर्ण किया जा चुका है। इसी तरह आदर्श ग्राम पंचायत पाली (नवागढ़) में 91.31 प्रतिशत, ग्राम पंचायत कुटराबोड (पामगढ़) में 91.46 प्रतिशत और आरसमेटा (अकलतरा) में 77.33 प्रतिशत ही साक्षरता दर हािसल किया जा सका है।
प्रेरकों को कई बार करना पड़ा आंदोलन
लोक शिक्षा केंद्रों के संचालन में सालभर गंभीरता से नहीं हुआ। प्रेरकों को महीने में 2000 मानदेय मिलता है। कम मानदेय को लेकर कई बार प्रेरकों ने आंदोलन किया जिससे आए दिन लोक शिक्षा केंद्रों में तालाबंदी की नौबत रही। बिना पढ़े असाक्षरों को परीक्षा दिलानी पड़ी। 2017 के बाद कई बार अभियान कभी बंद हुआ तो कभी फिर आगे बढ़ाया गया। इस तरह लोक शिक्षा केंद्रों का संचालन प्रभावित हुआ। इसके बाद ३१ मार्च २०१८ के बाद से यह कार्यक्रम पूरी तरह से बंद हो गया जिससे प्रेरक की नौकरी चली गई।
3 लाख 25 हजार 319 लोगों को साक्षर करने का दावा
विभागीय सूत्रों के अनुसार 15 बार हुए परीक्षा महािभयान में अब तक 3 लाख 25 हजार 319 महिला व पुरुषों को साक्षर बनाने का दावा किया जा रहा है। इसमें महिलाओं की संख्या 2 लाख 20 हजार 979 और पुरुषों की संख्या 1 लाख 4 हजार 340 है। 2011 की सर्वे सूची के आधार पर जिले में ग्रामीण महिला और पुरुष मिलाकर 3 लाख 15 हजार 229 असाक्षरों को साक्षर बनाने का लक्ष्य रखा गया था। विभाग के अनुसार जिले में अब 6 हजार 473 असाक्षर ही बचे हैं।
जिले में साढ़े 24 हजार निरक्षर
जनगणना 2011 के आंकड़ों के अनुसार जिले की आबादी 16 लाख 19 हजार 707 है। इनमें से 10 लाख 39 हजार 634 व्यक्ति साक्षर थे जबकि 3 लाख 55 हजार 855 लोग निरक्षर। इनमें महिला निरक्षर 2 लाख 2 लाख 53 हजार 774और पुरुष निरक्षर 1 लाख 2 हजार 81 थे। फिर भी साढ़े 24 हजार की आबादी जिले में निरक्षर हैं। हालांकि शहरी क्षेत्र में यह अभियान नहीं चला। अब इसी आबादी को साक्षर बनाने शहरी साक्षरता अभियान चलना है। दूसरी ओर योजना बंद होने से जिले में ग्रामीण क्षेत्रों में 6 हजार से अधिक आबादी निरक्षर हैं ऐसा दावा अधिकारी खुद कर रहे हैं।