नवरात्र पर्व पर पूरा जिला भक्तिमय हो गया है। सभी दिशाओं में दिनभर माता जसगीत व जयकारे की गूंज सुनाई दे रही है। गांव-गांव में महिला पुरूषों की टोली मांदर की थाप पर माता जसगीत में लीन हैं। बलौदा-जांजगीर मार्ग पर जांजगीर से 15 किमी दूर ग्राम हरदी में क्षेत्र का प्रसिद्ध मंदिर महामाया मंदिर है। यहां क्वांर तथा चैत्र नवरात्र में दूर-दूर से हजारों की संया में श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। मनोकामना ज्योति कलश प्रज्जवलित कराते हैं। इनकी याति दूर-दूर तक फैली हुई है। इस मंदिर में महानगर सहित विदेश से ज्योति जलाने का संकल्प भक्तों ने लिया।
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महामाया मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष सुधराम ने बताया कि यहां इस बार महानगर दिल्ली के अलावा विदेश से भी भक्त ज्योति कलश जलवा रहे हैं। इसमें अमेरिका से दो लोग शामिल हैं। जिसमें एक आजीवन ज्योति कलश जलवा रहा हैं। इस मंदिर की याति दूर-दूर तक फैली हुई है। यहां महामाया को नीम पेड़ के नीचे स्थापित है। यहां शाम के समय महाआरती की जाती है। जिसमें हर रोज बड़ी संया में श्रद्धालु पहुंचते हैं। समय के साथ मां महामाया की याति बढ़ने लगी। मंदिर के पुजारी ने बताया कि यहां की पुरानी मान्यता है कि सप्तमी की रात शेर पर सवार होकर मां महामाया मंदिर में आती हैं। रात 12 बजे विशेष पूजा के बाद मंदिर के पट पूरी तरह बंद कर दिया जाता है। इस दौरान मंदिर के अंदर पात्र में पंचमेवा और हलुवा के साथ ही लौंग, इलायची व अन्य भोग की सामग्री गिनकर मां को अर्पित करने रखी जाती है। गर्भगृह में आटे का छिड़काव किया जाता है।
एक घंटे के बाद भक्तों के दर्शन के लिए मंदिर का पट पुन: खोल दिया जाता है। मां अपने आने का अहसास भक्तों को कराती है। शेर के पंजे का निशान छिड़के गए आटे पर स्पष्ट नजर आता हैं। पात्र में रखे गए प्रसाद में से कोई चीज मां ग्रहण करती है। मंदिर का पट खुलने के बाद जब पात्र में रखी प्रसाद की सामग्री की गिनती की जाती है तो कोई एक चीज स्थान से गायब मिलती है।