मौसम की जानकारी के लिए दूसरे जिले में निर्भर रहना पड़ता है। कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार 2 लाख 58 हजार हेक्टेयर में हर वर्ष खरी फसलों व 55 हजार हेक्टेयर रबी फसलों की बोनी की जाती है। वहीं जिले में 3 लाख से अधिक किसान इस कार्य से जुड़े हैं। यदि हम बात करें कृषि क्षेत्र में आधुनिक तकनीक सहित अन्य सुविधाओं की तो जिले में इनकी उपलब्धता नहीं है। ऐसे में यहां का किसान सिर्फ परंपरागत फसलों की खेती और सरकारी योजनाओं की जानकारी पर निर्भर रहकर कार्य कर रहे। जबकि कृषि प्रधान जिले में आधारभूत सुविधाओं का होना बेहद जरुरी है। जिले में बड़ी मात्रा में धान की पैदावार हर वर्ष होती है।
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किसानों को उनकी बेचने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। वहीं उन्हें उपज का बेहतर दाम भी नहीं मिल पाता। इसके अलावा बेमौसम बारिश में किसानों को हर साल नुकसान उठाना पड़ता है। इसके अलावा रबी फसल में तो सही समय में पानी नहीं मिल पाने के कारण बोनी में देरी हो जाती है, इसलिए धान की फसल मेहनत के हिसाब से नहीं मिल पाती है। जिले भर के किसानों को रबी और खरीफ सीजन की फसलों के समय मौसम का पूर्वानुमान सहित वास्तविक जानकारी नहीं मिल पाती। क्योंकि यहां पर ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन यानि मौसम जानकारी केन्द्र स्थापित नहीं है। बिलासपुर व रायपुर स्थित केन्द्र से कुछ किसानों को ही इसकी जानकारी मिल पाती है। जिले में पहले हाईस्कूल मैदान जांजगीर के पास ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन स्थापित था। कर्मचारी नहीं मिलने से वह बंद हो गया। इसके बाद से मौसम जानकारी केन्द्र स्थापित नहीं है। इसके लिए फिर से प्रयास किया जाएगा। -एचपी चंद्रा, वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक रायपुर
आधुनिक कृषि यंत्रों की जरुरत जिले में कृषि कार्य के लिए आधुनिक और उन्नत कृषि यंत्र नहीं मिल पाते। जमीन को समतल करने के लिए लैजर लैंड लेबलर और नरवाई को एक जगह इकठ्ठा करने के लिए वेलर मशीन शासन स्तर पर उपलब्ध नहीं है। जबकि हर जिले में कृषि विभाग द्वारा कृषि मशीनरी किसानों को कस्टम हायर सेंटर के माध्यम से उपलब्ध कराई जाती है। लेकिन बड़ी मशीनरी की सुविधा नहीं दी जा रही। साथ ही फसल कटाई व मिंजाई के लिए दूसरे प्रदेश से मशीन यहां पहुंचती है।
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