चाम्पा रेल्वे स्टेशन क्षेत्र से अंतत: हटाया गया अतिक्रमण
चांपा रेल्वे स्टेशन परिक्षेत्र से अतिक्रमण हटाने संयुक्त कार्रवाई की गई। जहां रेल्वे के अधिकारी नगरपालिका प्रशासन, पुलिस प्रशासन भारी फोर्स के साथ पहुंचे। बेजा कब्जा हटाने का विरोध करने वाले व्यापारियों को समझाईश देकर अधिकारियों मनाया गया और सभी 65 दुकानों को हटाकर क्षेत्र को अतिक्रमण मुक्त कराया गया।
चाम्पा रेल्वे स्टेशन क्षेत्र से अंतत: हटाया गया अतिक्रमण
जांजगीर-चांपा। गौरतलब है कि चाम्पा रेल्वे स्टेशन के सामने आए दिन जाम की स्थिति बन जाती थी। जहां घण्टों तक लोग फंस जाते थे और परेशानियों का सामना करना पड़ता था। मलबा हटाने के लिए प्रशासन द्वारा दुकानदारों को 3 दिन का समय दिया गया था। 3 दिन बाद तक यदि दुकानदार अपनी दुकान का मलबा नहीं हटाते तो प्रशासन द्वारा उसे जब्त कर लिया जाएगा। ओवरब्रिज बनने के बाद तो यह बेजा कब्जा हटना ही था, लेकिन अब सवाल यह कि यहां से 65 दुकाने हटाई गई है और इन दुकानदारों को गौरव पथ पौनी पसारी योजना अंतर्गत बनी दुकानें आबंटित होनी है लेकिन यहां मात्र 33 दुकानें ही निर्मित है। तो बाकी के बचे 32 दुकानदारों को कैसे और कहां दुकानें दी जायेगी ये अपने आप में बड़ा सवाल है। अतिक्रमण हटाने 19 मई को नोटिस औरआदेश निकलने के बाद चाम्पा के कुछ छुटभैये नेताओं ने इस कार्रवाई को रोकने का प्रयास अपने स्तर पर किया लेकिन कामयाब नहीं हुए। उल्लेखनीय है कि पिछले कई दशकों में रेलवे परिक्षेत्र में अतिक्रमण हटाने का प्रयास रेलवे प्रशासन द्वारा कई बार किया गया था लेकिन उन्हें कभी सफलता नहीं मिली लेकिन अब ओवरब्रिज के एक तरफ शुरू हो जाने से या अतिक्रमण हटाना अति आवश्यक हो गया था और स्थानीय पुलिस स्थानीय प्रशासन और रेलवे पुलिस और रेलवे अधिकारियों के मिलकर कार्रवाई करने से अंतत: आज या अतिक्रमण रेलवे परिक्षेत्र से हट गया।
कई लोगों का छिना कारोबार
हम बात कर रहे हैं चांपा रेलवे स्टेशन के सामने शनिवार की सुबह 8 बजे से बेजाकब्जा हटाने की कार्रवाई शुरू हुई। रेलवे, राजस्व और पुलिस ने संयुक्त रूप से रेलवे स्टेशन के सामने लंबे समय से बेजाकब्जा कर संचालित 65 दुकानों पर जेसीबी चलवा दिया। यहां से इन दुकानों को हटाए जाने के बाद बदहाल यातायात व्यवस्था में सुधार जरूर होगा, लेकिन उन 65 दुकानदार और उनके परिवार का क्या होगा जिनके समक्ष अब रोजी रोटी की समस्या खड़ी हो गई है। प्रशासन ने यातायात व्यवस्था को दुरूस्त करने बेजाकब्जा तो हटवा दिया लेकिन इन दुकानदार और इनके परिवार वालों के संबंध में सोचने वाला क्या शहर में अब कोई नहीं बच गया है। कहां गए जनहितैषी बनने वाले वो तमाम नेता। जिस समय अपनी टूटती दुकानों के बीच सामानों को समेटने में व्यस्त दुकानदार उम्मीद भरी निगाहों से उन नेताओं की ओर टकटकी लगाए देख रहे थे, जो वहां आकर उनकी बात को भी प्रशासन के समक्ष रख सके। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। शहर के कोई नेता मौके पर आकर दुकानदारों की बात को प्रशासन के समक्ष नहीं रखा।
पौनी पसारी योजना का देंगे लाभ
मीडिया ने प्रशासन के समक्ष इन दुकानदारों को पुर्नस्थापित करने के संबंध में प्रमुखता से सवाल किया, तब तहसीलदार चंद्रशीला जायसवाल ने पौनी पसारी योजना अंतर्गत बन रही दुकानों में इन्हें शिफ्ट करने का हवाला देकर चलता कर दिया। यहां सवाल यह है कि बगैर पुर्नस्थापित किए दुकानदारों को हटाना कहां तक उचित है। फिर अभी पौनी पसारी योजना की दुकानें बन रही है, फिर आवंटन की प्रक्रिया प्रारंभ होगी। इस कार्य में कितना समय लगेगा कहा नहीं जा सकता। उपर से वहां सिर्फ 33 दुकानें ही है जबकि यहां से 65 दुकानों को हटाया गया है। बहरहाल कुल मिलाकर देखा जाए तो 65 दुकानदारों के पीछे चार-पांच सौ लोगों की रोजी रोटी फिलहाल छिन गई है।
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