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कुल वोटर-212297 पोलिंग बूथ-220 2018 के चुनाव में किसे कितने वोट नारायण चंदेल-54040 मोती लाल देवांगन-49852 ब्यास कश्यप-33505 ग्राम खोखरा के ग्रामीणों ने सरकार की योजनाओं के खिलाफ बेबाकी से बोलना शुरू कर दी। ग्रामीणों ने कहा कि सरकार ने सड़क बिजली पानी शिक्षा की माकूल व्यवस्था की लेकिन शिक्षा व्यवस्था का बुरा हाल है। एक ओर धड़ाधड़ आत्मानंद स्कूल खोले जा रहे हैं, लेकिन इन स्कूलों में शिक्षा का स्तर बढ़ने के बजाए उल्टे गिरते जा रहा है। जो बच्चा निजी स्कूल में धड़ाधड़ अंग्रेजी बोलता था अब वह आत्मानंद स्कूल में जाकर उल्टा गदहा हो गया। आज उसे ढंग से गिनती भी नहीं आती। ग्रामीणों ने बेबाकी से कही। उन्होंने कहा कि सड़क का निर्र्र्र्माण किया जा रहा है लेकिन एक साल के भीतर ही उखड़ जा रही। जिससे ग्रामीणों को आवागमन करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
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जल जीवन मिशन का हाल बुरा मुनुंद के सूरज कश्यप ने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत घर घर पानी पहुंचाने की योजना केवल अधिकारियों व ठेकेदारों के जेब भरने की काम आ रही है। आज 25 फीसदी ग्रामीणों के घर भी पानी नहीं पहुंच पा रहा है। ऐसे में सरकार की योजनाओं में अधिकारी कर्मचारी के अलावा ठेकेदार पलीता लगाने का काम कर रहे हैं। ग्राम मुनुंद के लोगों ने कहा कि सबसे खराब स्थिति जल जीवन मिशन की है।
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हर दफ्तरों में केवल कमीशन की मांग ग्रामीण खोखरा के राकेश थवाईत ने बताया कि उसने श्रम विभाग की योजनाओं का लाभ लेने के लिए जब श्रम आफिस गया तब वहां के कर्मचारियों ने कहा कि हम योजना का लाभ जरूर देंगे लेकिन इसके एवज में आपको 50 फीसदी कमीशन देने पड़ेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि कागजात भी आपको ही अपडेट करना होगा। जब फार्म ओके होगा तभी आपको योजना योजना का लाभ मिलेगा।
सामुदायिक भवन व चबूतरे का हो निर्माण धनेली के नारायण प्रसाद पुरवाई ने कहा कि शहर में कई तरह के मैरिज हॉल जैसी सुविधाएं आसानी से मिल जाती है, लेकिन ग्रामीण अंचलों में ऐसे भवनों की दरकार रहती है। सरकार के जनप्रतिनिधियों को चाहिए कि गांवों में भी सामुदायिक भवन, छतदार चबूतरा, सर्वसुविधायुक्त स्कूल बिल्डिंग की सुविधा मिले। स्कूल बिल्डिंगों का बुरा हाल रहता है। टपकते छत के नीचे स्कूली बच्चे अपना भविष्य गढ़ने मजबूर होते हैं।
किसानों को धान के पैसे एकमुश्त मिलें ग्राम धनेली के फोटू राम ने बताया कि कृषि कार्य उनका पुस्तैनी कारोबार है। सरकार धान का बोनस जरूर देती है लेकिन कई किस्तों में मिलती है। सरकार को चाहिए कि धान का बोनस एक किस्त में मिले। उन्होंने कहा कि हम उसे ही वोट देंगे जो धान का बोनस एकमुश्त दे। किस्तों में पैसे मिलने से उन्हें बोनस की तरह नहीं लगता। क्योंकि चिल्हर में मिले पैसे खर्च हो जाते हैं। एकमुश्त पैसे मिलने पर बड़ा काम हो जाता है।
आवागमन के लिए मुश्किल राहें आसान हों ग्राम धनेली के शत्रुहन धीवर ने बताया कि गांव गांव में नहर का जाल बिछा है। एक गांव से दूसरे गांव को जोड़ने नहर पार की सड़क एक बेहतर साधन होता है। इन नहर पार में भी सीसी रोड का निर्माण किया जाए। आने वाले चुनाव में जनप्रतिनिधियों से यही मांग कर रहे हैं। नेताओं ने ग्रामीणों की मांगों को जायज ठहराते हुए उनकी मांगाें को अमल करने की बात कही है।
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जनता की यह है उम्मीद जिला मूलत: कृषि प्रधान जिला है। यहां के 90 फीसदी किसान धान की खेती पर आश्रित हैं। समय पर नहर में पानी सुगमता से मिले। इसी उम्मीद के साथ प्रत्याशियों के सामाने अपनी बातें रख रहे हैं। वहीं प्रत्याशी भी जनता के सामने अपनी घोषणा पत्र दिखाकर वोट मांग रहे हैं। इस बीच जनता भी असमंजस में पड़ी है कि आखिरकार किसे वोट करें। ग्रामीणों ने कहा कि हालांकि मौजूदा सरकार ने जनता के सामने खरा उतरी है जिससे अधिकतर जनता खुश नजर आ रही है।