बारिश और चटक धूप के बाद उमस ने लोगों को बीमार कर दिया है। जिला अस्पताल के सभी बेड रोगियों से भर गए हैं। अधिकतर रोगी डायरिया से पीड़ित हैं। यदि रोगियों की संया बढ़ी तो रोगियों को रेफर करना पड़ सकता है। जिले में डायरिया का प्रकोप तेज हो गया है। जिला अस्पताल में 100 बेड हैं, जबकि वर्तमान में यहां 162 मरीज भर्ती हैं। सभी बेड पर रोगी भर्ती हैं। गुरुवार को ओपीडी 600 के करीब रही।
डॉक्टरों के मुताबिक अधिकतर रोगी पेट से संबंधित हैं। डायरिया का प्रकोप अधिक है। वर्षा के कारण पानी प्रदूषित हो गया है, जिससे लोग बीमार पड़ रहे हैं। वर्तमान में जिला अस्पताल में अलग-अलग जगहों से दर्जन भर से ज्यादा मरीज भर्ती हैं। इसमें आधा दर्जन मरीज गंभीर स्थिति में हैं। बुधवार की रात बलौदा ब्लॉक के गांव करमंदा निवासी पांचाें बाई की उल्टी, दस्त बढ़ने पर स्थानीय अस्पताल में भर्ती किया गया। उसकी गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे जिला अस्पताल रेफर किया गया। जहां पहले तो बेड की कमी के कारण भर्ती नहीं कर रहे थे। बाद में स्थिति को देखते हुए भर्ती किया गया। इसके बाद गुरुवार की सुबह महिला की मौत हो गई।
यह भी पढ़ें
छत्तीसगढ़ में डायरिया का कहर! 70 से अधिक ग्रामीण की बिगड़ी तबियत, अब तक इतनों की मौत
वहीं जिला अस्पताल के डॉक्टर ने बताया कि जुलाई के इस 10 दिनों में डायरिया से 3 लोगों की मौत हो चुकी है। जिला अस्पताल में वर्तमान में भारी अव्यवस्था का आलम है। गरीब तबके के लोग निजी अस्पताल में महंगे इलाज नहीं करा सकते हैं, इसलिए जिला अस्पताल का रुख कर रहे है। लेकिन यहां सही इलाज नहीं मिल पा रही है। बेड की कमी के कारण सप्ताह भर से मरीजों को स्ट्रेचर में इलाज किया जा रहा है। स्ट्रेचर में लंबे समय से बॉटल चढ़ाकर इलाज करने से उल्टा मरीजों की तबीयत और ज्यादा होने की संभावना है, क्योंकि स्ट्रेचर में बेड की तरह आराम नहीं मिल पाता है।करमंदा में मौत के बाद लगाया गया कैंप, 32 मरीजों का चल रहा इलाज
बलौदा विकासखंड के गांव करमंदा में डायरिया कहर बरपा रही है। एक की मोहल्ला के करीब 20 से 25 लोग डायरिया से पीड़ित हैं। पांचों बाई की गंभीर स्थिति के बाद जिला अस्पताल में मौत हो गई। इसके बाद सामुदायिक भवन में स्वास्थ्य विभाग द्वारा कैंप लगाया गया है। जिसमें 30 मरीज का इलाज किया जा रहा है। इसके अलावा यहां से गंभीर स्थिति में होने के कारण लगातार मरीजों को जिला अस्पताल में रेफर किया जा रहा है। सुबह एक 75 वर्षीय महिला को गंभीर स्थिति के कारण रेफर किया गया। शाम को डायरिया के तीन गंभीर मरीज को मितानिन लोग लेकर जिला अस्पताल पहुंचे। यहां लगातार मरीजों की संया बढ़ रही है। इसके बावजूद प्रशासन केवल कैंप लगाकर खानापूर्ति कर रही है। प्रदूषित पानी व किसी वजह से डायरिया फैले इसका निराकरण नहीं किया जा रहा है।
Diarrhea havoc in Chhattisgarh: पेट दर्द व उल्टी दस्त को न लें हल्के में
डायरिया के बढ़ते मरीजों की संया को देखते हुए जिला अस्पताल के चिकित्सक डॉ. आलोक मंगलम ने बताया कि इस बीमारी से बचाव को साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दें। गर्मी से बचाव करें। पचने वाला भोजन का सेवन करें व साफ पानी का प्रयोग करें। तरल पदार्थ का ज्यादा सेवन करें। उल्टी दस्त या पेट दर्द होने पर लापरवाही घातक हो सकती है। तत्काल नजदीकी चिकित्सक से संपर्क करें।बीमारी फैलने के बाद कराया जा रहा सर्वे
जिला मुख्यालय के कई मोहल्ला सहित दर्जन भर गांव से जिला अस्पताल में हर रोज आधा दर्जन मरीज पहुंच रहे हैं। मौसम में बदलाव के कारण वर्तमान में बीमारी लगातार बढ़ रहा है। लेकिन वर्तमान में जिला प्रशासन द्वारा स्वस्थ जांजगीर अभियान चलाया जा रहा है। जिसमें अधिकांश कर्मचारियों को सर्वे में ड्यूटी लगा दिया गया है। इधर बीमारी फैलने से अस्पताल में स्टाफ की कमी के कारण मरीज संभाल नहीं पा रहे हैं और कर्मचारी घर-घर जाकर सर्वे कर रहे हैं। सर्वे कराना था तो पहले कराते, जिससे लाभ मिलता। मौसम में बदलाव की वजह से मरीजों की संया लगातार बढ़ रही है। निचले क्रम के अस्पताल के डॉक्टर केस हैंडल नहीं कर पा रहे हैं और मरीजों को सीधे जिला अस्पताल रेफर कर रहे हैं। इसके चलते जिला अस्पताल में बेड कम पड़ जा रहे हैं।