ट्रैफिक पुलिस की टीम ने पंजाब के हार्वेस्टर चालक को रोका और उसके वाहन में खामी गिनाकर उनसे 3 हजार रुपए की मांग की। हार्वेस्टर में खामियां सिर्फ इतनी थी कि नंबर प्लेट अस्पष्ट लिखे थे। चूंकि हार्वेस्टर चालक पंजाब प्रांत का रहने वाला है और उसे छत्तीसगढ़ की भाषा ठीक से समझ नहीं आ रही थी। वह लगातार एक घंटे तक पुलिस वे विनती करता रहा और 3 हजार की रकम को कम कर बतौर समन शुल्क 500 रुपए ले लो कहता रहा।
पुलिस वालों से उलझेंगे तो फिर हमें वे परेशान करेंगे
आखिरकार ट्रैफिक पुलिस की टीम अपनी जिद पर अड़ी रही और 3 हजार रुपए लिए बिना नहीं छोड़ने की बात करती रही। दुखद यह है कि चालक के पास नकदी रकम उसके पॉकेट में नहीं थे। पाकेट में केवल 500 रुपए थे। ऐसे में पुलिस वालों ने उसे तरकीब बताई और शेष रकम फोन पे पर देने की बात कह डाली। वाहन चालक ने एक आरक्षक के फोन पर 1000 रुपए दिए और 500 रुपए नकद। यानी 1500 रुपए लेकर वाहन को छोड़ दिया। विडंबना यह है कि वाहन चालक को किसी तरह की रसीद भी नहीं दी। इससे पुलिसकर्मियों के कार्यशैली पर सवाल उठने लगा है। वाहन चालक इसके बाद भी डरा सहमा था। बड़ी मुश्किल से मोबाइल के फोन पे का स्क्रीन शाट पत्रिका को उपलब्ध कराया। उसका कहना था कि पुलिस वालों से उलझेंगे तो फिर हमें वे परेशान करेंगे।
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विश्वास राठौर के फोन पर ली रकम
ट्रैफिक पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार की सुबह 9 बजे से 10 बजे के बीच निरीक्षक रामकुमार जैन की ड्यूटी लगी थी। उनके साथ तीन चार अन्य आरक्षक भी शामिल रहे। हार्वेस्टर चालक ने जिस फोन पे पर रकम ली उसमें किसी विश्वास राठौर का नाम शो कर रहा है। हालांकि इस नाम से कोई आरक्षक नहीं है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ट्रैफिक पुलिस अपने साथ एक स्कैनर भी लेकर चलती है। हथनेवरा चौक के आगे फोनलेन में किसकी ड्यूटी लगी थी यह पता करना पड़ेगा। कोई पुलिसकर्मी यदि फोन पे पर पैसे ले रहा तो गलत है। इसकी जांच कराकर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।