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जांजगीर चंपा

घर में घुस रहे मगरमच्छ के बच्चें, छत्तीसगढ़ के इस गांव के लोग जी रहे दहशत में

Janjgir Champa News: देश के दूसरे नंबर के सबसे बड़े क्रोकोडायल पार्क कोटमीसोनार में पल रहे मगरमच्छ के अंडे बादल के गरजते ही अब फूटने लगे हैं।

जांजगीर चंपाJun 27, 2023 / 02:33 pm

Khyati Parihar

मगरमच्छ के दहशत में जी रहे कोटमीसोनार के लोग

Chhattisgarh News: जांजगीर-चांपा पत्रिका @ संजय राठौर। देश के दूसरे नंबर के सबसे बड़े क्रोकोडायल पार्क कोटमीसोनार में पल रहे मगरमच्छ के अंडे बादल के गरजते ही अब फूटने लगे हैं। इसकी वजह से हर वर्ष की तरह इस बार भी मगरमच्छों के बच्चे गांव की गलियों में या लोगों की घरों में घुसने लगे हैं। हालांकि इससे कोई बड़ी घटना तो सामने नहीं आई है पर ये बच्चे अपनी ताकत के अनुसार लोगों को घायल तो कर ही देते हैं। मगरमच्छों की क्रोकोडायल पार्क में शिफ्टिंग न होने से कोटमीसोनार के निवासी दहशत में जीने को मजबूर हैं। हालांकि वे अब अभ्यस्त भी हो चुके हैं लेकिन खतरे से इनकार नहीं किया जा सकता।
ग्रामीणों ने बताया कि हर साल की तरह इस साल भी तकरीबन 100 से अधिक मादा मगरमच्छों ने तकरीबन 400 से 500 अंडे दिए हैं। इसकी प्रमुख वजह यह है कि गांव में क्रोकोडायल पार्क के अलावा कर्रा नाला डैम व गांव के पास स्थित कई तालाबों में मगरमच्छों का निवास है। 17 वर्ष हो चुके हैं क्रोकोडायल पार्क को बने हुए लेकिन विडंबना यह है कि वन विभाग करोड़ों खर्चने के बाद भी गांव के तालाब व कर्रानाला डेम के मगरमच्छों को पूरी तरह से पार्क में शिफ्ट नहीं कर पाया।
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अब तक कर चुके 347 मगरमच्छों की शिफ्टिंग

वन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक अब तक आसपास के तालाबों से 347 मगरमच्छों की शिफ्टिंग कर चुके हैं। बता दें कि 90 एकड़ के क्रोकोडायल पार्क में तकरीबन 400 मगरमच्छ हैं। इसके अलावा पार्क से एक किमी की दूरी पर 110 एकड़ के कर्रानाला डेम में तकरीबन 100 से अधिक मगरमच्छ हैं। इसके आलावा कोटमीसोनार के जगताला, दर्रीतालाब, नया तालाब, उपरोहित तालाब के अलावा दर्रीटांड़, कल्याणपुर, पोड़ीदल्हा, परसाहीनाला गांव के तालाबों में बड़ी तादाद में मगरमच्छ निवासरत हैं।
बारिश आते ही दहशत की स्थिति

परेशानी यह है कि सभी तालाब ग्रामीणों के लिए निस्तारी तालाब हैं यानि वो इसका उपयोग अपने दैनिक जीवन के लिए करते हैं। खासकर बारिश के दिनों में निस्तारी तालाबों में मगरमच्छ के होने व उनके बच्चों के गांव में, घरों में घुसने के कारण ग्रामीणों में भय का आलम रहता है।
बादल गरजते ही फूटने लगते हैं अंडे

बता दें कि जून का महीना मगरमच्छ का प्रजनन काल का दौर रहता है। इस दौरान मादा मगरमच्छ तकरीबन एक दर्जन अंडे देती हैं। जून के अंत तक तकरीबन एक माह के भीतर अंड परिपक्व हो जाते हैं और जून के अंत व जुलाई के प्रथम सप्ताह में जब तेज गरज के साथ आकाशीय बिजली चमकती है तो इससे अंडे फूटने लगते हैं और बच्चे बाहर निकलकर स्वच्छंद विचरण करते हैं।
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बारिश के दिनों में गांव की गलियों में, घरों में भय का आलम रहता है। वन विभाग को चाहिए कि मगरमच्छों की संरक्षित करने के लिए सभी तालाबों में जो मगरमच्छ हैं उसकी पूरी तरह से शिफ्टिंग कराए। – रामिन बाई नेताम, सरपंच कोटमीसोनार
जून-जुलाई का महीना मगरमच्छों का प्रजनन काल का दौर रहता है। जुलाई के प्रथम सप्ताह में मगरमच्छ के अंडे परिपक्व होकर फूटते हैं, जिससे बड़ी तादाद में मगरमच्छ गांवों की गलियों में विचरण करते हैं। बाद में इन्हें पार्क में शिफ्टिंग किया जाता है। अब तक 347 मगरमच्छों कों रेस्क्यू कर पार्क में शिफ्ट कर चुके हैं। -प्रदीप कुमार सिदार, डीआर, क्रोकोडायल पार्क प्रभारी
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