लखेश्वर यादव ने बताया कि मैं विकंलाग हूं, लेकिन मुझे जरा भी अफसोस नहीं है। मेरे जैसे साथियों की बस सोंच को बदलने की जरूरत है। मुकाम हासिल करने के लिए हाथ-पैर की नहीं बल्कि हौंसलों की जरूरत पड़ती है। कक्षा पहली से 12 वीं तक सरस्वती शिशु मंदिर में पढ़ाई करने के बाद लखेश्वर बिलासपुर के साइंस कॉलेज में पढ़ाई पूरी की। वहां से ग्रेजुएशन करने के बाद वह जांजगीर में रहकर प्रदान एकेडमी में कोचिंग पूरी करते हुए यह मुकाम हासिल किया है।
लखेश्वर के पिता रेलवे के ग्रुप डी के छोटे कर्मचारी होने के बाद मुझे हमेशा कहते थे कि शिक्षक बन जा, लेकिन लखेश्वर ने मन में ठान लिया था कि उसे सिविल सर्विसेस की तैयारी कर एक बड़ा अफसर बनना है। आखिरकार वह डिप्टी कलेक्टर बन ही गया।
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