बीते पांच साल के आंकड़ों पर गौर करें तो जिले में नाबालिगों के विरूद्ध 532 अपराध पंजीबद्ध हुए हैं। जिसमें 688 नाबालिगों के खिलाफ थाने में एफआईआर हुई है। इन बालकों को बाल संप्रेषण गृह कोरबा में भेजा गया है।
CG Crime: गर्लफ्रेंड पर खर्च करने के शौक को पूरा करने करता था चोरी, आरोपी युवक गिरफ्तार
अक्सर देखा जा रहा कि नाबालिग महंगी मोबाइल की चाहत हो या फिर अपनी पसंदीदा शौंक की पूर्ति के लिए अपराध कर बैठते हैं। चोरी, लूट, डकैती जैसे गंभीर अपराधों में इनकी भूमिका अधिक रहती है। इतना ही नहीं पारिवारिक विवाद के चलते अपने ही मां बाप का खून करने के लिए भी आतुर हो जा रहे हैं। कोई नशे के लिए पैसे नहीं दे रहा तो अपने ही मां बाप की हत्या कर रहा है, कई ऐसे भी हैं जिनके मां बाप अपने बेटों की चाहत की पूर्ति नहीं कर पा रहे हैं तो बेटे अपराध की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।
CG Crime: सोशल मीडिया भी काफी हद तक जिमेदार
सोशल मीडिया गलत चीजों का प्रचार-प्रसार अधिक करती है। शिक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दों का प्रचार प्रसार बहुत कम हो पाता है। आज हर नाबालिगों के हाथ में मोबाइल है। इससे इनकार नहीं किया जा सकता। सोशल मीडिया में गलत चीजें अधिक परोसी जा रही है। जिसके प्रभाव में आकर नाबालिग इसकी उपयोगिता को पकड़ते हैं और उसी दिशा में कदम उठाते हैं।वर्षवार नाबालिगों के द्वारा किए गए अपराध
केस-1 अकलतरा में जनवरी माह में डकैती की एक घटना हुई थी। जिसमें चार पांच युवक अपराधी थे। इन्होंने एक दुकान में घुसकर डकैती की थी। जिसमें एक नाबालिग अपराधी भी शामिल था। डकैती के आरोप में उसे बाल संप्रेक्षण गृह भेजा गया था।
केस-2 अकलतरा में 8 जून 2024 को बलवा हो गया। जमीन संबंधित मामले में पांच युवकों ने एक राय होकर एक कार में सवार होकर दीवार को तोड़ते हुए घर में घुस गए। बलवा में पुलिस ने पांच आरोपियों को गिरतार किया है। जिसमें एक नाबालिग भी पकड़ा गया है।
केस-3 नवागढ़ थाने में दुष्कर्म के नाबालिग आरोपी को पुलिस ने 10 जून2024 को जमू कश्मीर से गिरतार किया है। दरअसल, एक नाबालिग के द्वारा अपने ही पड़ोस की बालिका से शादी का झांसा देकर जमू कश्मीर ले गया था। पुलिस ने 10 माह बाद जमू कश्मीर से गिरतार कर लाई है।
कारण क्या?
गरीबी का दंश, सोसल मीडिया का दुष्प्रभाव, जागरूकता का अभाव, सामाजिक संस्थान आगे नहीं आते, शिक्षा विभाग भी बेजार, जिला प्रशासन गंभीर नहीं, कानून में भी लोचा…
निदान क्या
जन-जागरूकता अभियान जरूरी, शिक्षा की मुय धारा से जोड़ें, गरीबी से मुक्ति दिलाएं, कडे़ कानून बनाने की जरूरत, बच्चों को मोबाइल से दूर रखें…
समाजशास्त्री प्रो, केपी कुर्रे का कहना है कि गरीबी के फेर में कहें या फिर सोशल मीडिया का दुष्प्रभाव, नाबालिग अपराध की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। ऐसे लोगों के अभिभावकों को अपने बच्चों की नियमित निगरानी करनी चाहिए। ताकि बच्चे अपराध कारित न कर सकें। इसके अलावा समाज में बच्चों के जागरूकता के लिए कड़े कदम उठानी चाहिए। तभी समाज सुधरेगा और बच्चे सुधरेंगे।
एसपी विवेक शर्मा का कहना है कि अक्सर देखा जा रहा है कि कई गंभीर अपराध में नाबालिग संलिप्त रहते हैं। ऐेसे बच्चों के अभिभावकों को नियमित ध्यान देना चाहिए। वहीं सोशल मीडिया के दुष्प्रभाव के चलते भी अपराध बढ़ रहे हैं। जो चिंतन का विषय है।
शिक्षा विभाग भी कोरम पूर्ति करने में मशगूल
गरीबी के फेर में अक्सर बच्चे कूड़े करकट के ढेर में पन्नी बीनकर, शराब की बोतल बीनकर, प्लास्टिक की चीजों को सहेजकर कबाड़ में बिक्री करते हैं। ताकि उन्हें दो जून की रोटी मिल सके। ऐसे बच्चों को चिन्हांकित कर स्कूल की दहलीज में ले जाने की जिमेदारी शिक्षा विभाग की है। ऐसे बच्चों को शिक्षा की मुय धारा से जोड़ना है, लेकिन शिक्षा विभाग भी कोरम पूर्ति कर अपनी जिमेदारी निभा लेती है।
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CG Crime: आखिर इसके लिए जिमेदार कौन
अमूमन देखा जाए तो माता-पिता गरीबी के चलते अपने लाडले की शौंक की पूर्ति नहीं कर पाते। इसके चलते बच्चे अपनी शौंक की पूर्ति के लिए चोरी, डकैती, लूट जैसे अपराध की ओर निकल पड़ते हैं। ऐसे बच्चों की मॉनिटरिंग उनके अभिभावकों को करनी चाहिए। आखिर उसका बच्चा कहां जा रहा क्या कर रहा। यदि अभिभावक ऐसे नहीं कर पा रहे हैं तो जिमेदार वहीं होंगे। वहीं समाज सेवकों को भी इसके लिए चिंता करनी चाहिए।
परिवार टूटकर बिखर रहे
अपराध के आगोश में समाए ऐसे नाबालिगों के चलते परिवार टूटकर बिखर रहा है। यह समाज के लिए गंभीर विषय है। समाज के लिए यह चिंतन का विषय है। अभिभावकों को इसके लिए अलर्ट होने की जरूरत है। खासकर गरीब वर्ग के लोगों को इस पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। क्योंकि गरीब वर्ग व समाज के पिछड़े लोगों के बच्चे ही अपराध की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।