जम्मू

दुर्गम पहाड़ों पर मां मचैल का दरबार, दर्शन मात्र से होता बेड़ा पार

Machail Mata: किश्तवाड़ जिले में पाडर ( Paddar ) की दुर्गम पहाडिय़ों पर मां मचैल (रणचंडी) के भक्तों के लिए अच्छी खबर है। मां मचैल की वार्षिक यात्रा 25 जुलाई से शुरू हो रही है।

जम्मूJul 24, 2019 / 06:34 pm

Nitin Bhal

दुर्गम पहाड़ों पर मां मचैल का दरबार, दर्शन मात्र से होता बेड़ा पार

जम्मू. किश्तवाड़ जिले में पाडर ( Paddar ) की दुर्गम पहाडिय़ों पर रणचंडी मां मचैल ( Machail Mata ) के भक्तों के लिए अच्छी खबर है। मां मचैल की वार्षिक यात्रा ( Machail Yatra ) 25 जुलाई से शुरू हो रही है। गत वर्ष यात्रा के दौरान हुए विवाद को देखते इस बार जिला प्रशासन और मंडलायुक्त जम्मू ( Jammu ) की देख-रेख में यात्रा हो रही है। यात्रा की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। बता दें कि यात्रा संचालित करने वाली संस्था के सदस्यों में गत वर्ष आपसी मतभेद पैदा हो गए थे, जिस कारण काफी विवाद हुआ था। मामला हाईकोर्ट में पहुंचा। जिसके बाद फैसला होने तक हाईकोर्ट ने यात्रा की देखरेख का जिम्मा मंडलायुक्त जम्मू और डीसी किश्तवाड़ को सौंपा। बता दें कि गुजरात, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश सहित देश के कई हिस्सों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु मां रणचंडी का आशीर्वाद लेने मचैल पहुंचते हैं। मचैल यात्रा के दौरान जम्मू से भी छड़ी यात्रा निकलती है। हालांकि इस वर्ष छड़ी यात्रा के बारे में फैसला नहीं हो पाया है। गत वर्ष 22 अगस्त को हुए विवाद के बाद अब संस्था के संस्थापक ठाकुर कुलवीर ने साफ किया है कि उनकी तरफ से छड़ी नहीं जाएगी।

पिंडी रूप में होते हैं दर्शन

 

पाडर उपखंड के छोटे से गांव मचैल में मां रणचंडी का दरबार है। यहां पर माता के दर्शन वैष्णो देवी दरबार की तरह पिंडी के रूप में होते हैं। बताया जाता है कि मां हिमाचल से यहां लोगों का उद्धार करने आई हैं। दुर्गम क्षेत्र होने के बावजूद लोगों में माता के दरबार के प्रति अगाध श्रद्धा है। कड़ी कठिनाइयों को पार कर लोग माता का आशीर्वाद लेने आते हैं।

संचालकों में हुआ था विवाद

Machail Mata Yatra start from 25 July

गत वर्ष 22 अगस्त को जैसी ही छड़ी मचैल माता के दरबार में पहुंची तो वहां संस्था के दो घुटों में आपसी विवाद के बाद झपड़ हो गई थी। कुछ लोगों को मामूली चोटें भी आई थीं। पुलिस को बल प्रयोग कर मामले को ठंडा करना पड़ा था। उसी वक्त से पवित्र छड़ी यात्रा का त्रिशूल मचैल माता के मंदिर में ही रखा गया है। अभी तक विवाद कोर्ट में चल रहा है, जिस कारण यात्रा में पवित्र छड़ी के जाने की संभावना नहीं है।

दो कंपनियां देंगी हेलीकॉप्टर सेवाएं

 

Machail Mata Yatra start from 25 July

यात्रा के दौरान इस वर्ष दो कंपनियां हेलीकॉप्टर सेवाएं भी देंगी। गुलाबगढ़ से मचैल के लिए 2270 रुपए एकतरफा किराया है। मगर यह किराया सिर्फ 80 किलोग्राम के वजन के लिए निर्धारित है। अगर किसी व्यक्ति का वजन 80 किलो से ज्यादा है तो उसे 150 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से अतिरिक्त चुकाने होंगे। इस बात को लेकर यात्रियों में रोष है। उनका कहना है कि अगर दो वर्ष से ज्यादा उम्र के बच्चे का किराया पूरा है तो 80 किलोग्राम से ज्यादा वजन वाले व्यक्ति से अतिरिक्त किराया क्यों वसूला जा रहा है।

जगह-जगह लगे लंगर

Machail Mata Yatra start from 25 July

यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की सुविधाके लिए ठाठरी, प्रेम नगर, शालीमार, किश्तवाड़ जलना, सरकूट मंदिर, गलहार, गुलाबगढ़, अठोली, कुंडेल, चशोती, हमोरी दर्शन गेट, और मचैल दरबार में कई लंगर लगाए जा रहे हैं। इसके अलावा किश्तवाड़ के सरकूट मंदिर में यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था मंदिर की धर्मशाला में की गई है। यहां लंगर की भी व्यवस्था होगी।

25 को होगा माता का जगराता

किश्तवाड़ के डीसी अंग्रेज सिंह राणा ने बताया कि इस बार मचैल यात्रा की देखरेख प्रशासन कर रहा है। 24 को जगराता होगा और 25 को सुबह हवन यज्ञ के साथ मंदिर दर्शन के लिए खोल दिया जाएगा। मंदिर के सारे बंदोबस्त किए गए हैं। यात्रा के दौरान सरकारी कर्मचारी तैनात रहेंगे। लंगरों की इजाजत दे दी है। यात्रियों की सुविधा का भी ध्यान रखा जाएगा। पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की ओर से भी यात्रा की तैयारियां पूरी हैं।

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