भारी बारिश के Red Alert के बीच राजस्थान के इन जिलों से रूठा मानसून, इतने दिनों तक बरसात के कोई आसार नहीं
Rajasthan Weather Update: राजस्थान में मानसून के दो रूप नजर आ रहे हैं। कई जिलों में आम जनता भारी बारिश से बेहाल हो चुकी है, तो वहीं कई जिले बरसात होने का इंतजार कर रहे हैं।
Rajasthan Weather Update: राजस्थान के कई जिलों में भारी बारिश (Heavy Rain Alert) का कहर जारी है। प्रदेश में सोमवार को 10 और मौतें हुईं। जयपुर में घरों में पानी भर गया। दौसा में आठ, जयपुर में पौने आठ और नैनवां में साढ़े 6 इंच बारिश हुई। हिण्डौन में हालात काफी खराब हो गए हैं। आम जनता दूध और सब्जी के लिए तरस गई। हालांकि प्रदेश के कई जिले ऐसे भी हैं, जहां 13 से 16 अगस्त तक बारिश के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं।
मौसम विभाग ने बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, सिरोही, उदयपुर, बाड़मेर, जैसलमेर और जालोर में 16 अगस्त तक बारिश की कोई चेतावनी जारी नहीं की है। वहीं बारां और झालावाड़ में भी 14 से 16 अगस्त तक मौसम साफ रह सकता है। इस बीच मंगलवार को बारां, बूंदी, कोटा, सवाईमाधोपुर और टोंक में भारी बारिश का रेड अलर्ट (Heavy Rain Red Alert) जारी किया गया है। वहीं भरतपुर, दौसा, धौलपुर, जयपुर और करौली में अति भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है।
आधा भरतपुर डूबा
भारी बारिश के बाद भरतपुर शहर का आधा हिस्सा पानी में डूबा नजर आ रहा है। पानी के बीचों बीच खड़े मकान इसकी गवाही दे रहे हैं। लोग अपने आशियानों को छोड़कर अन्यत्र शरण लेने को विवश हैं। अब प्रशासन लोगों की तकलीफ देखने पहुंच रहा है, वह भी सिर्फ बेबसी के साथ। न प्रशासन के पास पानी को निकालने के इंतजाम हैं और न ही तत्काल राहत देने की कोई तरकीब। ऐसे में लोग अपने हाल पर हैं। शहर में आए दिन होने वाले अतिक्रमण, नाले-नालियां नहीं बनने और उनकी बेहतर सफाई नहीं होने के साथ शहर में बेतरतीब सीएफसीडी के कार्य ने लोगों को मुश्किल में डाल दिया है।
कई कॉलोनियां डूबीं
एक दर्जन से ज्यादा कॉलोनियां पानी में डूबी पड़ी हैं। लोग घरों में घुसे बारिश के पानी को मोटर के जरिए बाहर निकालने के जतन कर रहे हैं, लेकिन उन्हें राहत नहीं मिल पा रही है। बच्चों को स्कूल तक जाने के लिए रास्ता नहीं है। लोग खाने-पीने के इंतजाम के लिए सिर पर सिलेंडर रखकर ले जा रहे हैं। बारिश के पानी के कारण न लोगों के घर तक साधन जा रहे हैं और न ही उनके खुद के वाहन घरों से निकल पा रहे हैं। ऐसे में लोग नारकीय जीवन जीने को विवश हो रहे हैं। प्रशासन ने राहत के नाम पर सिर्फ पंपसेट लगाए हैं, जो नाकाफी हैं।