बता दें प्रारंभिक आंकलन में यह महत्वपूर्ण प्राजेक्ट 10 हजार 300 करोड़ रुपए का आंका गया है। हालांकि वास्तविक कॉस्टिंग डीपीआर में तय हो पाएगी। मुख्य अभियंता कार्यालय पीडब्ल्यूडी (एनएच) जयपुर की ओर से यह प्रक्रिया शुरू की गई है। यह प्रोजेक्ट भविष्य में क्रियान्वित हो जाता है तो जालोर में एक बेहतर रोड सर्किट का निर्माण हो जाएगा, जिससे भविष्य में देश के कोई भी छोर पर आसानी से पहुंचा जा सकेगा।
यह है प्रोजेक्ट
यह प्रोजेक्ट 402 किलोमीटर लंबा होगा। जालोर-झालावाड़ एक्सप्रेस वे एक छोर पर जालोर जिले के पास से होकर गुजर रहे अमृतसर-जामनगर इकॉनोमी कोरिडोर से जुड़ेगा। इसी तरह यह एक्सप्रेस वे झालावाड़ के निकट दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे से जुड़ेगा।प्रोजेक्ट के मायने अहम
जालोर के ग्रेनाइट उद्योग को इससे सर्वाधिक फायदा होगा। अभी तक बड़ी मंडियों तक आवाजाही के लिए रोड कनेक्टिविटी बेहतर नहीं है। एक तरफ भारतमाला प्रोजेक्ट से सीधी गुजरात से लेकर पंजाब तक तथा दूसरी तरफ दिल्ली से लेकर मुंबई की कनेक्टिविटी मिलने के बाद ग्रेनाइट को बड़ी मंडियों तक सुगम और आसान तरीके से पहुंचाना आसान होगा। रोड कनेक्टिविटी बेहतर होने पर बड़े इन्वेस्टर भी जालोर तक पहुंचेंगे, जिससे उद्योग विकास के साथ जालोर में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।4 या 6 लेन के बनेंगे एक्सप्रेस वे
चीफ इंजीनियर कार्यालय जयपुर के अनुसार ये एक्सप्रेस 4 या 6 लेन के बनेंगे। यह एजेंसी की रिपोर्ट के आधार पर तय होगा कि रोड किस लेवल के बनेंगे। इस पूरे प्रोजेक्ट में ग्रीन फिल्ड को लिया जाएगा, सीधे तौर पर यह वह क्षेत्र है जहां पर आबादी एरिया नहीं होगा। इससे प्रोजेक्ट की क्रियान्विति के दौरान जमीन की अवाप्ति में दिक्कत नहीं होगी।महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट
ग्रीन फिल्ड एक्सप्रेस वे सरकार का महत्वपूर्ण और महात्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है। प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य संबंधित क्षेत्रों के उद्योग का विकास है। जालोर के ग्रेनाइट उद्योग को इस प्रोजेक्ट से काफी ज्यादा फायदा होगा। यह अवगत करवाया गया है कि विभागीय अधिकारियों और ग्रेनाइट उद्यमियों के बीच भी प्रोजेक्ट की रूपेरखा को लेकर बैठक हो, ताकि और ज्यादा बेहतर विकल्प तैयार हो सके।- जोगेश्वर गर्ग, मुख्य सचेतक, राजस्थान सरकार