scriptइतिहास के पन्नों में सिमटी आहोर की भाटा गेर | Shattered Ahor's ebb in the pages of history | Patrika News
जालोर

इतिहास के पन्नों में सिमटी आहोर की भाटा गेर

– आहोर कस्बे में होली के दूसरे दिन खेली जाने वाली भाटा गेर पर अब रोक

जालोरMar 07, 2020 / 11:45 am

Khushal Singh Bati

- आहोर कस्बे में होली के दूसरे दिन खेली जाने वाली भाटा गेर पर अब रोक

– आहोर कस्बे में होली के दूसरे दिन खेली जाने वाली भाटा गेर पर अब रोक

आहोर. किसी समय देश ही नहीं विश्व स्तर पर खास पहचान रखने वाली आहोर की भाटा गेर अब इतिहास के पन्नों पर सिमट चुकी है। दो दशक पूर्व आयोजन के दौरान एक युवक की मौत के बाद राजस्थान उच्च न्यायालय ने इस गेर पर रोक लगाने के आदेश जारी किए थे। इस आदेश के बाद से अब यह विश्व प्रसिद्ध गेर इतिहास बन कर रह गई है। आहोर कस्बे के संस्थापक ठाकुर वैरिदास को माना जाता है जिन्होंने करीब सात सौ वर्षों पूर्व आवरी के नाम से छोटे से आहोर गांव की स्थापना की थी, परंतु आहोर को मशहूर बनाने में प्रमुख व्यक्ति अनारसिंह का योगदान महत्वपूर्ण है। कहा जाता है कि अनारसिंह देवी के परम भक्त थे तथा देवी ने उन्हें प्रत्यक्ष दर्शन दिए थे। देवी के परम भक्त अनारसिंह प्रतिदिन सूर्योदय पूर्व ही अपने घोड़े पर सवार हो सुंधा माता के दर्शन कर लौट आते थे। मान्यता के अनुसार देवी की कृपा से अनारसिंह ने बहुत शक्ति संग्रह की थी। उन्होंने एक शक्तिशाली सेना गठित की थी। आहोर की प्रसिद्ध पत्थर मार होली भाटा गैर के बारे में यह उल्लेखनीय है कि अनारसिंह ने अपनी फौज में वीर सैनिकों की भर्ती के लिए दो गुट बनाए और उनके बीच कांटों का दरवाजा खड़ा कर एक-दूसरे पर पत्थर फैंककर विजयी होने की प्रतियोगिता शुरू की थी। जिससे शूरवीर युवकों को चयन कर सेना को मजबूत बना सके। इसी पत्थरमार प्रतियोगिता ने बाद में परम्परागत भाटा गेर का रूप लिया। इसका आयोजन होली के दूसरे दिन रंगों से खेलने के बाद परम्परागत ढंग से ढोल-थाली की अलग सी रणभेरी की आवाज के बीच शुभ मुहूर्त में खेली जाती थी।
देवी का चमत्कार थी भाटागैर
मान्यता है कि गांव के प्रमुख व्यक्ति अनारसिंह ने देवी के वरदान स्वरूप भाटा गेर होली की शुरूआत की थी। होली के दूसरे दिन खेली जाने वाली पत्थर मार होली भाटागैर में जिस किसी को पत्थर से चोट लगती थी। वो देवी के चमत्कार से सात दिन में अपने आप ठीक हो जाती थी। इस अनोखी भाटागैर को देखने के लिए विदेशों सेे भी पर्यटकगण प्रतिवर्ष यहां आते थे। इस भाटा गेर के रोमांचक दृश्यों को विदेशी पर्यटक अपने कैमरों में कैद कर उस पर कई डोक्यूमेंट्री फिल्में बना चुके है।

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