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Sanchore Protest: बंद का दिखा असर, कई जगह चक्का जाम…स्कूलों पर जड़े ताले; सुखराम बिश्नोई की बिगड़ी तबियत

Rajasthan New Districts: सांचौर जिले को यथावत रखने की मांग को लेकर जिला बचाओ संघर्ष समिति ने आज बंद का आह्वान किया था, जिसका जिलेभर में व्यापक असर देखने को मिल रहा है।

जालोरSep 28, 2024 / 02:56 pm

Nirmal Pareek

Rajasthan New Districts: सांचौर जिले को यथावत रखने की मांग को लेकर आज ‘सांचौर जिला बचाओ संघर्ष समिति’ ने बंद का आह्वान किया था, जिसका जिलेभर में व्यापक असर देखने को मिल रहा है। सांचौर के अलावा जिले के सभी छोटे-बड़े कस्बे और बाजार भी पूरी तरह से बंद हैं। दूसरी तरफ पूर्व मंत्री सुखराम बिश्नोई और उनके समर्थकों द्वारा अनशन और हड़ताल जारी है।
ताजा जानकारी के मुताबिक सांचौर में आज निजी और सरकारी स्कूल, महाविद्यालय, प्राइवेट हॉस्पिटल और डॉक्टरों ने भी पूरी तरह से हड़ताल का समर्थन किया है। डॉक्टरों के बंद में शामिल होने से चिकित्सा सेवाएं ठप हो गई है, वहीं जिला बार एसोसिएशन के सभी अधिवक्ताओं के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने से न्यायिक कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं।

कई स्कूलों पर जड़े ताले

बता दें, निजी विद्यालयों में छुट्टी की घोषणा के बाद सभी स्कूलें बंद हैं, जबकि कई सरकारी स्कूलों में छात्र विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और मुख्य गेट पर ताला लगाकर धरना दे रहे हैं। बताया जा रहा है कि सांचौर के सभी स्कूलों के बच्चे इस आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं। पुलिस और जिला प्रशासन ने बाजार बंद और धरना प्रदर्शन को देखते हुए पूरे क्षेत्र में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए है। प्रशासन स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए है।
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वहीं, आज के विरोध-प्रदर्शन में पूर्व मंत्री सुखराम बिश्नोई समेत कई अन्य नेता और सामाजिक कार्यकर्ता भी शामिल हुए हैं। साथ ही जिला यथावत रखने की मांग को लेकर सांचौर जिला बचाओ संघर्ष समिति का कलेक्ट्रेट के बाहर चौथे दिन भी धरना जारी है। संघर्ष समिति ने साफ कर दिया कि सांचौर जिला यथावत रखने को लेकर अनशन और हड़ताल जारी रहेगा।

सुखराम बिश्नोई की बिगड़ी तबियत

चार दिन से अनशन कर रहे पूर्व मंत्री सुखराम बिश्नोई की तबियत में लगातार गिरावट हो रही और डॉक्टरों ने अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी है, लेकिन उन्होंने धरना स्थल से हटने से इनकार कर दिया है। सुखराम बिश्नोई ने स्पष्ट किया कि जब तक राज्य सरकार द्वारा सांचौर जिले को यथावत रखने का स्पष्टीकरण नहीं आता, तब तक यह संघर्ष थमेगा नहीं। अब पूर्व मंत्री के स्वास्थ्य को लेकर समर्थकों में चिंता बढ़ रही है।
गौरतलब है कि आंदोलन के इस तेजी से बढ़ते स्वरूप को देखते हुए राज्य सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है। संघर्ष समिति का कहना है कि वे तब तक पीछे नहीं हटेंगे जब तक सरकार की ओर से ठोस आश्वासन नहीं मिलता।
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