इस दौरान बालिका की जान तो बच गई, लेकिन उसका एक हाथ काटना पड़ा। बालिका के पिता ने बताया कि उन्होंने लोगों से उधार लेकर उपचार पर करीब छह लाख रुपए खर्च किए। उन्होंने बताया कि उनके परिवार का
आयुष्मान भारत स्वास्थ्य कार्ड बना हुआ है, लेकिन गुजरात में इलाज के दौरान उस कार्ड को स्वीकार नहीं करने से उधार लेकर उपचार करवाना पड़ा।
पार्षद ने उठाया 12वीं तक पढ़ाई का जिम्मा
घटना की जानकारी मिलने पर पार्षद बीरबल बिश्नोइ पीड़ित परिवार के घर पहुंचे और हादसे में घायल बालिका के स्वास्थ्य जानकारी ली। परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए बिश्नोई ने बालिका के 12 वीं तक की पढ़ाई का सम्पूर्ण खर्चा वहन करने की घोषणा की। वहीं राज्य सरकार से आर्थिक सहायता के लिए परिवार को जिला कलक्टर के मार्फत पात्रता के आधार पर पूर्ण सहायता का भरोसा दिलाया।