जालोर. नगरपरिषद की विभिन्न शाखाओं से पत्रावलियों के गायब होने का सिलसिला थमने के नाम ही नहीं ले रहा है। उपसभापति मंजू सोलंकी की डीएलबी में शिकायत के बाद डीडीआर जोधपुर से पहुंची जांच टीम की ओर से संबंधित शाखा प्रभारियों से दर्जनों फाइलें जांच के लिए मांगी गई, लेकिन इन प्रभारियों के पास भी ये फाइलें नहीं मिली। उच्चाधिकारियों की सख्ती के बाद इन प्रभारियों ने ऐसी दर्जनों फाइलें तत्कालीन आयुक्त शिकेश कांकरिया के पास होने की लिखित जानकारी दी। जिसके बाद अब मौजूदा आयुक्त की ओर से कांकरिया को बार-बार ये फाइलें नगरपरिषद में जमा कराने के लिए पत्र लिखे जा रहे हैं। जबकि तत्कालीन आयुक्त कांकरिया ये फाइलें उनके रिलीव होने से पहले संबंधित शाखा प्रभारी को सुपुर्द करना बता रहे हैं। खास बात तो यह है कि इनमें से विधि अनुभाग की पांच ऐसी पत्रावलियां भी हैंं जो संबंधित शाखा प्रभारी ने तत्कालीन आयुक्त कांकरिया को मूवमेंट रजिस्टर में हस्ताक्षर कर सुपुर्द की थी, लेकिन रजिस्टर में ये फाइलें वापस जमा कराने की ना तो तारीख है और ना ही कांकरिया के हस्ताक्षर हैं। इस तरह ये फाइलें भी अब नगरपरिषद से गुम होने के कगार पर हैं। खास बात तो यह है कि खुद कांकरिया ने ही उनके कार्यकाल में मूवमेंट रजिस्टर में एंट्री कर फाइल नहीं देने के फरमान जारी किए थे। इसके बावजूद उन्होंने खुद रजिस्टर में हस्ताक्षर कर ये फाइलें विधि अनुभाग से प्राप्त की। वहीं अन्य लिपिकों ने बिना मूवमेंट रजिस्टर में एंट्री कर ये फाइलें दी हैं तो इनका वापस आना अब मुनासिब नहीं लग रहा है। इतनी फाइलें तत्कालीन आयुक्त के पास मौजूदा आयुक्त महिपालसिंह की ओर से तत्कालीन आयुक्त कांकरिया को गत 26 जुलाई को लिखे पत्र में शाखा प्रभारियों की लिखित सूचना के आधार पर विधि अनुभाग की पांच, भूमि रूपांतरण अनुभाग की 23 एवं भवन संकर्मण समिति की बैठक कार्यवाही विवरण रजिस्टर, पार्षद हंसमुख नागर व लालसिंह राजपुरोहित की पत्रावली, एनओसी अनुभाग की 4 पत्रावलियां उन्हें देना बताया है। 12 जुलाई को लिखा पहला पत्र मौजूदा आयुक्त ने नगरपरिषद की विभिन्न शाखाओं में कार्यरत लिपिकों से मिली जानकारी के बाद तत्कालीन आयुक्त कांकरिया को पहली बार 12 जुलाई 2019 को पत्र लिखा था। इसमें भी विधि अनुभाग से संबंधित इन पांच फाइलों को संबंधित लिपिक को सुपुर्द करने की बात लिखी थी। साथ ही मूवमेंट रजिस्टर की प्रति भी उन्हें भेजी गई थी। विधि अनुभाग की ये 5 फाइलें 15 जून 2018 को मूवमेंट रजिस्टर में हस्ताक्षर कर तीन फाइलें रिट नं. 8608/2016 भीमाराम बनाम स्टेट राज., सीवरेज ट्रीटमेंट प्लाण्ट के लिए भूमि अवाप्ति की फाइल, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लान में अवाप्त भूमि के बदले भूमि देने से संबंधित और रेवन्यू बोर्ड में विचाराधीन प्रकरण चौथाराम व संग्रमा की 2 पत्रावलियां तत्कालीन आयुक्त शिकेश कांकरिया को अवलोकन के लिए दी गई थी। ये पांचों फाइलें संबंधित लिपिक ने बार-बार तत्कालीन आयुक्त कांकरिया से मांगी, लेकिन उन्होंने नहीं दी। पार्षद की फाइल भी आयुक्त के पास 3 जून 2019 को उपसभापति मंजू सोलंकी ने कलक्टर (सतर्कता) को शिकायती पत्र देकर लालसिंह रजपुरोहित व पार्षद हंसमुख नागर की भीनमाल बाइपास के पट्टे की पत्रावली संख्या 18 और 19 अवलोकन के लिए उपलब्ध कराने की मांगी थी। इसमें बताया गया था कि सोलंकी ने २९ मार्च को उपाध्यक्ष के नाते और आरटीआई के तहत अवलोकन के लिए तत्कालीन आयुक्त कांकरिया से ये दोनों फाइलें मांगी थी, लेकिन उन्होंने नहीं दी। ऐसे में सोलंकी ने इन फाइलों से संबंधित पट्टे कांकरिया की ओर से सरकारी नियमों की अवहेलना कर बनाने के आरोप भी लगाए थे। साथ ही इन पट्टों को पूर्णतया मिथ्या बताते हुए इससे राजाकोष से हुई बड़ी हानि के बारे में भी बताया था। डीएलबी में की शिकायत उपसभापति सोलंकी ने नगरपरिषद से गायब विभिन्न फाइलों के अलावा पार्षद नागर व लालसिंह की फाइलों को लेकर डीएलबी में भी शिकायत की थी। जिस पर सहायक निदेशक सतर्कता रक्षा पारीक ने 27 जून 2019 को डीडीआर जोधपुर को पत्र लिखकर इन दोनों फाइलों से संबंधित तथ्यों की जांच कर 7 दिन में रिपोर्ट मांगी थी। इसके बाद गत जुलाई महीने में डीडीआर जोधपुर की टीम भी यहां जांच के लिए पहुंची, लेकिन इस टीम को भी ये दोनों फाइलें नहीं मिली। बाद में संबंधित शाखा के लिपिकों ने ये फाइलें तत्कालीन आयुक्त कांकरिया के पास होना बताया और अब मौजूदा आयुक्त कांकरिया से इन फाइलों की मांग कर रहे हैं। तत्कालीन आयुक्त ने खड़े किए हाथ मौजूदा आयुक्त महिपालसिंह की ओर से लिपिकों की रिपोर्ट पर गत 10 जुलाई को कांकरिया को पत्र लिखकर फाइलें लौटाने के लिए लिखा। इसके बाद १२ जुलाई को तत्कालीन आयुक्त ने जवाब में विभिन्न शाखाओं से संंबंधित सभी मूल पत्रावलियां 17 जून 2019 को रिलीव होने से पहले संबंधित शाखा प्रभारी को सुपुर्द करने की बात लिखी। इसके बाद 26 जुलाई को मौजूदा आयुक्त ने फिर से मूवमेंट रजिस्टर की प्रति और संबंधित शाखा के लिखित जवाब का हवाला देते हुए फाइलें जमा कराने के लिए लिखा गया, लेकिन ये फाइलें उनके पास नहीं होना बताया जा रहा है। ऐसे में अब सवाल यह है कि जब ये फाइलें ना तो नगरपरिषद में हैं और ना ही कांकरिया के पास तो आखिरकार गई कहां। इनका कहना… नगरपरिषद से करीब डेढ़ सौ फाइलें गुम हैं। ये सभी ऐसी फाइलें है, जिनमें भ्रष्टाचार किया गया है। इसीलिए इन फाइलों को कहीं दबा दिया गया है। मैंने उच्चाधिकारियों से इन फाइलों की सूची भी मांगी है। साथ ही इन फाइलों को नष्ट करने की संभावना को लेकर आगाह भी किया है। – मंजू सोलंकी, उपसभापति, नगरपरिषद जालोर
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