पिछले साल किसानों को सरसों के भाव बेहतर मिलने से इस बार उपखण्ड क्षेत्र में छह हजार हैक्टेयर से अधिक क्षेत्र में बुवाई की है। बुवाई के बाद समय पर सिंचाई होने तथा मौसम के साथ अनुकूल भूमि होने का फायदा भी किसानों को मिलेगा।
पिछले साल बाजार में सरसों के तेल के भाव पंद्रह किलो के दो हजार रुपए थे, जो बढ़कर साढ़े चौबीस सौ रुपए तक हो गए थे। वैसे वर्तमान में तेल के भाव पंद्रह किलो के 2280 रुपए हैं।
छह हजार हैक्टेयर से ज्यादा में बुवाई
सहायक कृषि अधिकारी पूराराम चौहान ने बताया कि पिछले साल से इस बार अधिक व बंपर बुवाई हुई है। पूरे रेवदर उपखण्ड में लगभग छह हजार हैक्टेयर से अधिक क्षेत्र में बुवाई हुई है। जो जनवरी के अंत तथा फरवरी माह के शुरुआत में तैयार होगी। यह भी पढ़ें
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दाम अच्छा मिलने से यह फसल किसानों की पहली पसंद हो गई है। उपखंड में आज भी किसानों के अलावा ग्रामीण भी सरसों खरीदकर घाणों में जाकर तेल निकलवाते हैं। जिसे वे शुद्ध तेल मानते हैं। बाजार से खरीदना अच्छा नहीं समझते हैं। ऐसे घाणे कई गांवों में लगे है। कई लोग आटा चक्की के साथ घाणे चलाते हैं। जो सरसों के अलावा तिल का तेल भी निकालते हैं।इनका कहना है…
किसान तथा व्यापारी कांतिलाल माली ने बताया कि पिछले साल सरसों के भाव अच्छा मिलने से किसानों को फायदा हुआ था। बाजार में भी तेल के भाव बढ़े थे। कई किसानों ने आलू की जगह सरसों की बुवाई की है।
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